क्या आप जानना चाहते है कि परमाणु क्या है और उसकी खोज किसने की थी।
इस लेख में आपको atom in hindi से सबंधित वो सारे सवालो के जवाब मिलेंगे जो आपके मन में उठ रहे है।
साथ ही कुछ ऐसी अदभुत जानकारी भी जो आपको पहले पता नही थी।
तो चलिये अब जानते है।
Table of Contents
परमाणु क्या है – what is atom in hindi
पदार्थ के अंदर रहे सबसे छोटे भाग को परमाणु (atom in hindi) कहते है।
दूसरे शब्दो में कहे तो,
परमाणु किसी भी पदार्थ की सबसे छोटी इकाई है जिसका विभाजन नही किया जा सकता।
परमाणु क्या है उसकी व्याख्या बहुत पहले ही दी जा चुकी है।
प्राचीन समय के एक ग्रीक वैज्ञानिक जिनका नाम Democritus था उन्होंने बताया कि अगर हम किसी पत्थर के दो टुकड़े करेंगे तो हमे उस पत्थर के दो भाग मिलेंगे।
ऐसे ही अगर हम उस पत्थर के टुकड़े करते जाएंगे तो एक समय आएगा की उस छोटे पत्थर के टुकड़े करना असंभव होगा।
इस पर से उन्होंने बताया कि कोई भी पदार्थ बहुत ही छोटे छोटे कणो से मिलकर बना है। जिसे atom (परमाणु) नाम दिया गया
atom शब्द ग्रीक भाषा पर से लिया गया है। जिसका अर्थ होता है indivisible.
मतलब की ऐसी चीज जिसके भाग ना हो सके।
उस समय यही माना जाता था कि पदार्थ की सबसे छोटी इकाई atom ही है।
लेकिन आज के समय हम जानते है कि यह भी 3 सूक्ष्म कणो से मिलकर बना है।
और यह सूक्ष्म कण भी क्वार्क नाम के कण से मिलकर बने हुए होते है।
अब जब की आपने जान लिया है कि परमाणु क्या है तो अब इसकी सरंचना को देखते है।
परमाणु की संरचना – Structure of atom in hindi
बात करे परमाणु की संरचना (structure of atom in hindi) की तो यह बहुत ही छोटा होता है और तीन मुलभुत कणो से मिलकर बना हुआ होता है।
atom के केंद्र को नाभिक कहा जाता है जिसके अंदर प्रोटोन और न्यूट्रोन नामके सूक्ष्म कण मौजूद होते है।
इसी नाभिक के आसपास इलेक्ट्रान अपने पथ पर गोल गोल घूमते रहते है। जिसे कक्षा कहा जाता है।
इसका ज्यादातर भाग खाली ही होता है। और ज्यादातर द्र्व्यमान नाभिक के अंदर समाया हुआ होता है।
पहले इसके तीन मुलभुत कणो के बारे में जानते है।
प्रोटोन – proton
प्रोटोन की खोज Rutherford ने की थी। उसने इसके लिए साल 1911 से 1919 के बिच cathode ray tube प्रयोग किया था और प्रोटोन को खोज निकाला था।
प्रोटोनकेंद्र में रहे नाभिक में पाए जाते है। इसका विद्युत्त भार पॉजिटिव होता है और द्र्व्यमान लगभग न्यूट्रोन जितना ही होता है।
अलग अलग तत्वों के लिए नाभिक के अंदर रहे इस प्रोटोन कण की संख्या भी अलग अलग होती है।
जैसे की,
हायड्रोजन तत्व के परमाणु में प्रोटोन की संख्या सिर्फ एक होती है। जब की कार्बन में 6 प्रोटोन होते है।
वही ऑक्सिइजन में हमे 8 प्रोटोन देखने मिलते है।
यह प्रोटोन भी अतिसूक्ष्म क्वार्क नामके कण से मिलकर बने होते है।
यह दो प्रकार के क्वार्क up और down से मिलकर बनते है।
Up quark का विद्युत्त भार 2/3 होता है और down quark का -1/3.
प्रोटोन के अंदर दो up quark और एक down quark होता है। जिससे प्रोटोन का विद्युत्त भार 1 बन जाता है।
अब आते है इलेक्ट्रान के ऊपर।
इलेक्ट्रान – electron
इलेक्ट्रान की खोज J.J. Thomson ने साल 1897 में की थी।
इलेक्ट्रान का विद्युत्त भार नेगेटिव होता है और यह नाभिक के आसपास अपने पथ पर घूमते रहते है। इस पथ को orbit कहा जाता है।
यह प्रोटोन की तुलना में बहुत ही छोटे होते है। 1800 गुना छोटे। द्र्व्यमान में भी यह सिर्फ प्रोटोन के 0.054% ही होते है।
इसी वजह से एक atom in hindi का ज्यादातर द्र्व्यमान उसके नाभिक में ही होता है।
किसी भी atom में इलेक्ट्रान और प्रोटोन की संख्या समान ही होती है।
जैसे की कार्बन में नाभिक के अंदर 6 प्रोटोन होते है और उसके आसपास घूमते इलेक्ट्रान की संख्या भी 6 होती है।
इलेक्ट्रान और प्रोटोन दोनों का विद्युत्त भार एकदूसरे से विरुद्ध होने की वजह से यह एकदूसरे को आकर्षित करते है। जिससे दोनों के बिच एक बल बनता है।
इसे कमजोर नाभिकिय बल कहा जाता है।
इलेक्ट्रान किसी भी प्रकार के क्वार्क से मिलकर नही बने होते है। क्योकि यह खुद लगभग एक क्वार्क जितने छोटे होते है।
अब आते है न्यूट्रॉन के ऊपर।
न्यूट्रॉन – neutron
न्यूट्रोन की खोज Chadwick ने साल 1932 की थी।
न्यूट्रोन हमे परमाणु के नाभिक में प्रोटोन के साथ देखने मिलते है। इसका विद्युत्त भार शून्य होता है।
किसी भी तत्व में इसकी संख्या भी प्रोटोन जितनी ही होती है और द्र्व्यमान प्रोटोन से बस थोड़ा सा ही ज्यादा होता है।
न्यूट्रॉन भी प्रोटोन की तरह क्वार्क से मिलकर बने होते है। उसके अंदर एक up quark और दो down quark होते है।
जिससे इसका विद्युत्त भार शून्य हो जाता है और न्यूट्रोन तटस्थ बन जाते है।
अब आपको पता चल गया होगा की एक परमाणु की संरचना (structure of atom) कैसी होती है और उसके अंदर क्या होता है।
चलिये अब इसके इतिहास पर एक नजर दाल लेते है।
परमाणु का इतिहास – History of atom
Atom in hindi का इतिहास बहुत पुराना है।
मैंने आपको पहले ही बता दिया की कैसे एक ग्रीक वैज्ञानिक ने इसकी की कल्पना की थी।
लेकिन इसका विज्ञान के साथ जुड़ाव कुछ सो सालो पहले ही शुरू हुआ था।
जैसे जैसे वैज्ञानिक अपनी थियरी बताते गये वैसे वैसे हम atom के बारे में जानते गये।
जिनमें से पहली थियरी यह है।
John Dalton theory
विज्ञान के संदर्भ में atom की शुरुआत 1808 में हुई थी जब डाल्टन ने अपना परमाणु सिद्धान्त दिया।
उसने हमे कई सारी चीजें बताई जैसे की,
कई सारे परमाणु मिलकर एक पदार्थ की रचना करते है।
परमाणु को तोड़ा नही जा सकता।
इसे बनाया या नष्ट भी नही किया जा सकता।
किसी एक तत्व के सारे परमाणु समान होते है लेकिन दूसरे तत्व के परमाणु से अलग होते है।
इसका यह सिद्धांत लगभग सौ सालों तक चला जब तक इलेक्ट्रान की खोज ना हुई।
थॉमसन का परमाणु मॉडल – Thomson atomic model
साल 1897 में थॉमसन ने एक प्रयोग किया। जिसका नाम cathode ray tubes था।
इस प्रयोग से पता चला की पदार्थ की सबसे छोटी इकाई atom नही होते। उसके अंदर भी कोई नेगेटिव कण होते है।
जिसे उसने इलेक्ट्रान नाम दिया।
थॉमसन के इस मॉडल को plum pudding model नाम दिया गया।
इसके मुताबिक atom के अंदर उसका सारा द्र्व्यमान फैला हुआ होता है और उसमे इलेक्ट्रान के कण बिखरे हुई होते है।
इस मॉडल को तरबुच मॉडल भी कहा जाता है। क्योकि इसमें एक तरबुच की तरह ही सारा द्र्व्यमान समान तरह से फैला हुआ होता है और उसके अंदर रहे बिज इलेक्ट्रान कण को दर्शाते है।
लेकिन थॉमसन का यह मॉडल असफल रहा जिसकी वजह थी रुथरफोर्ड का मॉडल।
रुथरफोर्ड का परमाणु मॉडल – Rutherford atomic model
साल 1911 में रुथरफोर्ड ने बताया की atom के केंद्र में पॉज़िटिव विद्युतभार होता है और उसके आसपास इलेक्ट्रान घूम रहे होते है।
उसे यह सारी जानकारी अपने प्रयोग से मिली थी जो इस तरह का है।
रुथरफोर्ड ने बहुत ही पतली सोने की प्लेट में से अल्फा किरणों को पसार किया।
तब उसे परिणाम मिला की ज्यादातर किरणे बिना अपना रास्ता बदले चली गयी और कुछ किरणों ने बस थोड़ी सी ही दिशा बदली।
जब की बहुत कम किरणे वापिस आयी।
इस पर से उसने यह निष्कर्ष निकाला की,
1. atom का ज्यादातर भाग खाली है, तभी किरणे बिना विचलित हुई चली गयी।
2. प्रतिकर्षण बल की वजह से कुछ आल्फ किरणे वापिस आईं। मतलब की इसके केंद्र में पॉज़िटिव विद्युतभार होना चाहिए।
3. atom in hindi का ज्यादातर द्र्व्यमान और उसका पॉज़िटिव विद्युतभार बहुत ही सूक्ष्म केंद्र में स्थित है। जिसको नाभिक नाम दिया।
4. गणीत के आधार पर यह पता चला की यह केंद्र मूल परमाणु से 10,000 गुना छोटा है।
5. नाभिक के आसपास इलेक्ट्रान अपने पथ पर घूम रहे होते है। जिसे कक्षा नाम दिया।
6. नाभिक का पोसिटिव विद्युतभार और इलेक्ट्रान का नेगेटिव विद्युतभार दोनों आकर्षण बल द्रारा एकदूसरे को पकड़े हुई है।
रुथरफोर्ड द्रारा दिया यह मॉडल आज के समय में पूरी तरह से सच साबित होता है। और इसे ही ध्यान में रखकर अभ्यास किया जाता है।
इतनी थियरी की वजह से एक सवाल तो जरूर उठता है कि परमाणु की खोज किसने की।
देखिये इसका जवाब देना कठिन है।
क्योकि हजारो साल पहले भारतीय महर्षि कणाद ने यह कल्पना की थी कि अगर हम किसी पदार्थ को विभाजित करते जाएंगे तो हमे छोटे कण मिलेंगे।
लेकिन फिर ऐसी स्थिति आएगी की हम उस कण को विभाजित नही कर सकते।
इस कल्पना के बाद ग्रीक वैज्ञानिक ने भी इसी तरह का कुछ बताया।
और बाद में जॉन डाल्टन ने इस कल्पना को विज्ञान के नजरिये से सबके सामने रखा।
तो इससे निष्कर्ष यही निकलता है कि परमाणु की खोज डाल्टन ने की थी।
परमाण्वीय क्रमांक और भार – Atomic mass and number
atom के अंदर रहे प्रोटोन की संख्या को उस तत्व का परमाण्वीय क्रमांक (atomic number) कहा जाता है।
और इसे z के द्रारा दर्शाया जाता है।
जैसे की,
कार्बन परमाणु के अंदर रहे प्रोटोन की संख्या 6 है तो उसका परमाण्वीय क्रमांक 6 होगा।
उसी तरह हायड्रोजन के अंदर सिर्फ एक प्रोटोन है जिससे उसका परमाण्वीय क्रमांक पहला है।
ऐसे ही जैसे जैसे केंद्र में रहे प्रोटोन की संख्या बढ़ती जाती है। परमाण्वीय क्रमांक बढ़ता जाता है।
अब बात करते है इसके परमाणु भार (atomic mass) की।
नाभिक के अंदर रहे प्रोटोन और न्यूट्रॉन दोनों की कुल संख्या को परमाणु भार कहा जाता है।
जैसे की,
कार्बन के नाभिक में प्रोटोन ओर न्यूट्रॉन दोनों की संख्या 6 है तो इसका परमाणु भार 12 है।
जिसे A संज्ञा से दर्शाया जाता है।
चलिये अब इसके समस्थानिक को जानते है।
समस्थानिक और आयन – Isotopes and ions
मैंने आपको पहले बताया कि किसी भी atom में इलेक्ट्रान, प्रोटोन और न्यूट्रोन की संख्या समान होती है।
लेकिन कई बार ऐसा होता है कि इन्ही तीन कणो की संख्या कम ज्यादा हो जाती है।
पहले हम बात करेंगे न्यूट्रोन के बारे में।
ऐसे तत्व जिनका परमाण्वीय क्रमांक समान हो पर परमाणु भार अलग अलग हो उसे समस्थानिक (isotopes) कहते है।
जाहिर सी बात है परमाण्वीय क्रमांक समान होगा तो दोनों में प्रोटोन की संख्या भी समान ही होगी।
लेकिन दोनों का का भार अलग है। इसका अर्थ की नाभिक में रहे प्रोटोन और न्यूट्रोन की कुल संख्या अलग होगी।
जिसका अर्थ निकलता है की दोनों परमाणु में न्यूट्रोन की संख्या अलग अलग होगी।
ऐसे तत्वों को समस्थानिक कहते है।
उदाहरण के तौर पर,
हायड्रोजन तत्व के 3 समस्थानिक है।
तीनो में इलेक्ट्रान और प्रोटोन की संख्या 1 ही है पर न्यूट्रोन की संख्या तीनो में अलग अलग है।
पहले में 0, दूसरे में 1 और तीसरे में 2
इसी तरह का कुछ कार्बन तत्व में भी देखने मिलता है।
सामान्य तौर पर कार्बन के अंदर तीनो कण 6 की संख्या में होते है।
लेकिन इसी तत्व के कुछ परमाणु में न्यूट्रोन की संख्या 7 और कुछ में 8 देखने मिलती है।
जिन्हें कार्बन का isotopes कहा जाता है। और उन्हें कुछ तरह लिखा जाता है।
Carbon – 12
Carbon – 13
Carbon – 14
यह तो बात हो गयी न्यूट्रोन कण की, लेकिन क्या हो अगर इलेक्ट्रान कम ज्यादा हो तो,
तब परमाणु ions बन जाते है।
कैसे आइए जानते है।
एक परमाणु उदासीन होता है इसमें किसी भी तरह का विद्युत्त भार नही होता।
क्योकि इसमे ऋण आवेशित कण (electron) और धन आवेशित कण (Proton) की संख्या समान होती है। जिससे यह तटस्थ बन जाता है।
लेकिन अगर हम नाभिक के बहार घूमते इलेक्ट्रान की कक्षा में से एक इलेक्ट्रान निकाल ले तो क्या होगा।
इससे ऋण आवेशित भाग कम हो जायेगा और धन आवेशित भाग बढ जाएगा।
जिससे वो atom धन विद्युतभार वाला बन जाएगा।
इसके विरुद्ध अगर हम एक इलेक्ट्रान को इसमें डाल देते है तो ऋण आवेशित भाग बढ़ जाएगा।
जिससे atom ऋणात्मक विद्युत्त भार वाला बन जाएगा।
अणु और परमाणु में अंतर – Difference between atom and molecule
क्या आपको कभी ऐसा लगा है कि यह अणु और परमाणु के बिच में क्या अंतर है।
अगर हां, तो चलिए जानते है।
दो या दो से अधिक परमाणु मिलकर एक अणु की रचना करते है।
यह अणु दो तरह का होता है।
एक ही समान तत्वों से मिलकर बनने वाले अणु।
दो अलग अलग तत्वों से मिलकर बनने वाला अणु।
इसके अलावा एक तफावत यह है कि परमाणु कभी स्वतंत्र अवस्था में नही रह सकते लेकिन अणु रह सकते है।
उदाहरण के तौर पर,
आपको कभी हायड्रोजन का एक atom प्रकृति में देखने नही मिलेगा।
यह या तो दो की जोड़ी में होंगे या किसी अन्य तत्व के साथ।
यहाँ तक हमने जाना की परमाणु क्या होते है और उसके अंदर क्या होता है, लेकिन अब बारी है इस विषय को एक कदम आगे ले जाने की।
प्रतिपदार्थ – Antimatter
एंटीमैटर जिसका अर्थ होता है प्रतिपदार्थ।
यह आम पदार्थ की तुलना में विरुद्ध होते है। जैसे कोई पदार्थ या तत्व जिस परमाणु से मिलकर बना है ठीक उसका विपरीत होना
जहाँ एक सामान्य पदार्थ (matter) 3 कणो से मिलकर बना होता है, ठीक उसी तरह प्रतिपदार्थ (antimatter) का इसी तरह के कणो से मिलकर बना हुआ होता है।
लेकिन इसके परमाणु की रचना विरुद्ध होती है।
इसमें प्रोटोन का विद्युतभार ऋण आवेशित और इलेक्ट्रान का विद्युत्त भार धन आवेशित होता है।
इसी वजह से इन्हें antimatter कहा जाता है।
यह कण बहुत ही शक्तिशाली होते है और इसकी ऊर्जा से हम बहुत कुछ कर सकते है।
लेकिन अफ़सोस ब्रह्मांड में इसकी मात्रा बहुत कम है। और तो और यह स्वतंत्र रूप से मिलना भी मुश्किल है।
क्योकि जैसे ही antimatter सामान्य पदार्थ के संपर्क में आते है वैसे ही दोनों मिलकर नष्ट हो जाते है।
Conclusion
उम्मीद है कि आपको परमाणु क्या है और किसे कहते है उसके बारे में अच्छी जानकारी मिल गयी होगी।
वैसे परमाणु (atom in hindi) के अंदर की दुनिया के बारे में जानना अभी बहुत कुछ बाकी है, जिसके लिए आप यह लेख देख सकते हो।
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