क्या आप जानना चाहते है कि तारे क्या है और कैसे बनते है।
अगर हां, तो इस लेख को अंत तक ज़रूर पढ़े, क्योकि ब्रह्मांड में हमे कई तरह के स्टार (star in hindi) देखने को मिलते है। जिनके बारे में जानना सच में बहोत ही मजेदार है।
तो चलिये जानते है तारों की अदभुत दुनिया को।
Table of Contents
about star in hindi – तारे क्या है
तारे (star) हायड्रोजन और हिलयम गैस से बने विशाल खगोलीय पिंड होते है।
इनके केंद्र में न्यूक्लियर फ्यूज़न (nuclear fusion) की प्रक्रिया होती है। जिसमें हायड्रोजन तत्व हिलयम में बदलते है। इस प्रक्रिया से तारो को अपनी ऊर्जा मिलती है।
पृथ्वी के सबसे नजदीकी तारा (star in hindi) हमारा अपना सूर्य है। यह इतना बड़ा है कि उसमे 13 लाख पृथ्वी समा सके।
इससे आगे बढ़े तो दूसरा नजदीकी का तारा proxima centauri है। जो हम से लगभग 4 प्रकाश वर्ष की दुरी पर स्थित है।
इसी तरह ब्रह्मांड में बहोत सारे स्टार बिखरे हुए है। सिर्फ हमारी आकाशगंगा मंदाकिनी में ही 200 अरब तारों के होने का अनुमान है।
साल 2016 की रिसर्च के मुताबिक ब्रह्मांड में 2 खरब (2*10^12) गैलेक्सि है। इससे आप अंदाजा लगा सकते है कि ब्रह्मांड में कितने star अपना अस्तित्व बनाये हुए है।
अगर आपको लगता है कि सारे तारे एक ही तरह के होते है तो आप गलत हो।
ब्रह्मांड में हमे तरह तरह के तारे देखने को मिलते है।
चलिये आज इन्ही तारो के बारे में जानते है की वो कैसे बनते है और उनका आगे क्या होता है।
How star form – तारे कैसे बनते है
धूल और गैस से बना विशाल बादल जिसे नेब्यूला कहते है, एक समय पर गुरुत्वाकर्षण बल के चलते उसका द्र्व्यमान केंद्र में जमा होने लगता है।
साथ ही वह तेज गति से घूमने भी लगता है, तेज गति की वजह से इसका तापमान 15,000,000 degrees तक बढ़ जाता है।
धूल और गैस से बने इस खगोलीय पिंड को प्रोटोस्टार (protostar) कहा जाता है। प्रोटोस्टार को बनने में 1,00,000 साल लग जाते है।
जब इसका तापमान और द्र्व्यमान (mass) एक सीमा तक पहुंच जाता है तब इसमें न्यूक्लिर फ्यूज़न की प्रक्रिया शुरू हो जाती है।
इस प्रक्रिया से बहार की तरफ दबाव बनता है और तारा स्थिर होने लगता है। फिर यह तारा main sequence star में बदल जाता है, जो की इस समय हमारा सूर्य है।
तारे का यह मुख्य जीवनकाल होता है, जिसमे वो अपना 90% जीवन बिताता है।
इस अवस्था के दौरान स्टार के कोर में न्यूक्लिअर फ्यूज़न की प्रक्रिया होती रहती है, जिसमे हायड्रोजन हिलयम में बदलता है और ऊर्जा को उत्तपन्न करता है।
हमारे सूर्य को भी अपनी ऊर्जा इसी तरह से मिलती है।
तारा जितना विशाल होगा उसे उतनी ही ज्यादा उर्जा की जरूरत होगी, परिणाम स्वरूप उसका जीवनकाल भी छोटा हो जाता है।
आज के समय में ब्रह्मांड के ज्यादातर star इसी अवस्था में है। तारे इस अवस्था में 1-10 अरब साल तक रहते है। हमारे सूर्य ने अब तक 4.6 अरब वर्ष पूरे कर लिए है।
और अभी भी उसके पास 5 अरब साल बाकी है। इसी तरह एक तारा अपना जीवन व्यतीत करता है।
जैसे जैसे वो अपने जीवन काल में आगे बढ़ता है, उसका तापमान और प्रकाश भी लगातार बढ़ता रहता है।
जब हमारा सूर्य बना था तब उसका प्रकाश आज की तुलना में 40% कम था।
जब कोर में रहा हायड्रोजन तत्व खत्म हो जाएगा तब कोर हिलयम से अपनी ऊर्जा बनाने लगता है। जो की हायड्रोजन से भारी तत्व है।
हीलियम के खत्म होने के बाद तारा कार्बन जैसे ज्यादा भारी तत्वों से अपनी ऊर्जा उत्त्पन्न करने लगेगा।
हीलियम से उत्तपन्न दबाव हायड्रोजन से उतपन्न दबाव से कम होगा, लेकिन गुरुत्वाकर्षण बल केंद्र की तरफ ज्यादा होगा। ऐसे ही आगे के तत्वो से बहार का दबाव कम होता जाएगा और गुरुत्वाकर्षण बल (gravity) केंद्र की तरफ बढ़ता जाएगा।
इससे तारे का कोर केंद्र में धीरे धीरे सिकुड़ने लगेगा।
साथ ही हायड्रोजन खत्म होने के बाद तारे का बाहरी स्तर अंतरिक्ष में फैलने लगेगा। विशाल आकर के साथ इसका रंग भी लाल होता जाता है।
तारे की इस अवस्था को red giant star कहा जाता है। अगर तारे का द्र्व्यमान ज्यादा है तो आकार बहोत बड़ा बन जाता है जिसे red super giant star नाम दिया गया है।
इस अवस्था में तारा समय के साथ ठंडा होता जाता है और लगभग 1 अरब साल जितना समय बिताता है।
हमारा सूर्य भी 5 अरब साल बाद एक red giant star में परिवर्तित हो जाएगा। तब यह 1 astronomical unit जितना फ़ैल जाएगा और शुक्र, बुध ग्रह के साथ हमारी पृथ्वी को भी अपने अंदर समा लेगा।
स्टार का अदभुत सफर अब यही से शुरू होता है, क्योकि यहाँ से वो अपना रास्ता खुद तय करेंगे।
चलिये जानते है कि लाल तारों का क्या होता है।
तारों का जीवन चक्र – life cycle of star in hindi
Red giant star की अवस्था में तारा भारी तत्वों से अपनी ऊर्जा बना रहा होता है और साथ ही कोर अंदर सिकुड़ता जाता है।
लेकिन जब कोर लोहे (iron) तत्व को उत्त्पन्न करने लगेगा तब तारे में इतनी शक्ति नही होगी कि वो लोहे के अणुओं को तोड़ के उससे ऊर्जा बना सके।
इससे nuclear fusion की प्रक्रिया रुक जाएगी और तारे को ऊर्जा मिलनी बंद हो जाएगी।
इससे केंद्र की तरफ लगता गुरुत्वाकर्षण बल हावी हो जाएगा जिससे कोर अपने ही अंदर ज्यादा सिकुड़ता जाएगा।
अब यहा से तीन परिस्थिति जन्म लेती है। इस red giant star का आगे क्या होगा वो उसके द्र्व्यमान पर निर्भर करता है।
इसमें से पहली है white dwarf star की अवस्था।
White dwarf star – सफेद बौना तारा
इस समय तारे के कोर के अंदर की फ्यूज़न प्रकिया बंद हो गई है। जिससे गुरुत्वाकर्षण बल का विरोध करने के लिए कुछ भी नही है।
इससे स्टार का कोर केंद्र में गिरता ही जाएगा। लेकिन एक समय पर अणुओ के बीच रहा न्यूक्लिअर बल इसका विरोध करेगा और तारा संतुलित अवस्था में हो जाएगा।
इस समय तारे का बहार का स्तर अंतरिक्ष में पूरी तरह से फ़ैल चूका होगा और पीछे छूट जाएगा सिर्फ यह कोर।
इस कोर की सतह का तापमान और गुरुत्वाकर्षण बल बहोत ही ज्यादा होगा।
तारे की इसी अवस्था को white dwarf star कहते है। वैसे, यह दिखने में भी सफेद रंग का ही होता है।
अब जब की इसके अंदर किसी भी तरह की ऊर्जा का उत्सर्जन नही हो रहा है तो यह सफेद बौना तारा अपना तापमान अंतरिक्ष में खोता जाएगा।
छोटे आकार की वजह से यह अंतरिक्ष में बहोत ही धीरे अपनी ऊर्जा का व्यय करता है। जब हमारा सूर्य white dwarf star बनेगा तब उसका आकार सिर्फ पृथ्वी जितना ही रह जाएगा।
Star की यह अवस्था कई अरबो सालो तक बनी रहती है।
आखिर में जब इसकी सारी ऊर्जा खत्म हो जाएगी तब यह black dwarf star में बदल जाता है।
इस तरह के तारो की उम्र अरबो नही बल्कि खरबो में होती है। 10 ट्रिलियन से भी ज्यादा।
अभी तक हमे ऐसा एक भी तारा नही मिला है, क्योकि ब्रह्मांड की उम्र ही इतनी नही हुई है कि कोई तारा black dwarf star बन सके।
जब स्टार (star in hindi) बना था तब अगर उसका द्र्व्यमान 0.5M – 8M के बीच होता है तब हमे white dwarf star की स्थिति देखने को मिलती है।
SpamSite000000;”>Note: 1M = 1 सूर्य का द्र्व्यमान
लेकिन क्या होगा अगर SpamSite000000;”>तारे का द्र्व्यमान इससे ज्यादा हो।
चलिये जानते है।
Neutron star – न्यूट्रॉन स्टार
सामान्य बात है कि ज्यादा द्र्व्यमान वाले तारे की कोर का द्र्व्यमान भी ज्यादा होगा। इसी वजह से केंद्र की तरफ लगने वाला गुरुत्वाकर्षण बल भी ज्यादा होगा।
जब कोर अंदर की और सिकुड़ता जाता है तब यह शक्तिशाली गुरुत्वाकर्षण बल अणुओ के न्यूक्लिर बल पर हावी होकर उसे तोड़ देता है।
यह न्यूक्लेअर बल इलेक्ट्रान और प्रोटोन के बीच होता है। लेकिन गुरुत्वाकर्षण बल उसे तोड़ देता है।
जिससे इलेक्ट्रान और प्रोटोन एक हो जाते है और न्यूट्रोन कण का निर्माण करते है। परिणाम स्वरूप कोर में सिर्फ न्यूट्रोन कण ही रहते है।
अणुओ के बीच का बल टूटने से एक खतरनाक धमाका होता है जिसे supernova कहते है।
न्यूक्लिअर फ्यूज़न की प्रक्रिया रुकने से लेकर supernova की घटना सिर्फ 1 सेकंड से भी कम समय में होती है।
कोर में सिर्फ न्यूट्रोन कण होने से इसे neutron star कहा जाता है। इसका आकार 10 km के आसपास ही होता है। लेकिन द्र्व्यमान 3 सूर्य के बराबर।
न्यूट्रॉन स्टार की यह घटना तब होती है जब तारे का शुरुआती द्र्व्यमान 8M – 25M के बीच हो।
फिर वही सवाल, क्या होगा अगर तारे का द्र्व्यमान 25M से ज्यादा हो।
तब ब्रह्मांड के सबसे खतरनाक पिंड ब्लैक होल जन्म लेते है।
कैसे, आइए जानते है।
Black hole
तारे की फ्यूजन प्रक्रिया खत्म होने के बाद की कहानी।
तारे के विशाल कोर के कारण गुरुत्वाकर्षण बल बहोत ही शक्तिशाली बन जाता है। (न्यूट्रोन स्टार से भी ज्यादा)
यह इतना शक्तिशाली होता है कि कोर के सिकुड़ते समय वो अंदर रहे अणुओ के बीच के सारे बल को तोड़ देता है।
यहाँ तक की न्यूक्लियस में रहे बल को भी।
परिणाम स्वरूप स्टार का सारा द्र्व्यमान एक सूक्ष्म बिंदु में जमा हो जाता है।
फिर एक धमाके से जन्म लेता है एक ब्लैक होल।
सिर्फ एक बिंदु में पुरे तारे का द्र्व्यमान होने से इसका गुरुत्वाकर्षण बल इतना ज्यादा होता है की नजदीक से गुजरने वाला प्रकाश भी नही बच सकता।
ब्लैक होल (black hole) के सूक्ष्म केंद्र को singularity कहते है। इसमें अंनत द्र्व्यमान समाया होता है।
अभी तक वैज्ञानिक यह नही जान पाए है कि इसमें क्या होता है। कुछ का मानना है कि ब्लैक होल का यह केंद्र दूसरे ब्रह्मांड में जाने का रास्ता है।
ब्लैक होल (जन्म से लेकर अंत तक की जानकारी)
तारों के अवशेष – star remain
जब सुपरनोवा का धमाका होता है तब उससे उत्तपन्न शोक वेव तारे का बाहरी स्तर जो की अंतरिक्ष में फ़ैल चूका होता है उसे दूर अंतरिक्ष में फेंक देता है।
यह अवशेष धातु, पत्थर और गैस के रूप में होते है, जो रेडियशन और एक्स रे किरणों को उत्सर्जित करते है।
वैज्ञानिक इन्ही किरणों के जरिये उनका पता लगाते है।
Fail star
यह जानना सच में मजेदार है कि तारे कैसे बनते है और वो कैसे अलग अलग स्वरूप में परिवर्तित होते है।
पर यह सब तभी संभव है कब कोई तारा प्रोटोस्टार बने।
नेब्यूला से बनने वाले प्रोटोस्टार का द्र्व्यमान अगर आधे सूर्य से कम होता है तो कम गुरुत्वाकर्षण बल के चलते उसके अंदर न्यूक्लेअर फ्यूज़न की प्रक्रिया कभी शुरू ही नहीं हो पाती।
परिणाम स्वरूप वो आगे बढ़ नही पता और एक brown dwarf star में बदल जाता है।
यह ब्राउन स्टार अंतरिक्ष में बहोत धीमे धीमे अपनी ऊर्जा को छोड़ता है और समय के साथ ठंडा होता जाता है।
स्टार की यह अवस्था बहोत लंबी होती है। ऐसे तारे कई खरबो साल तक जीते है।
फिर जब इसकी सारी ऊर्जा खत्म हो जाती है तब आखिर में यह काले बौने तारे (black dwarf star in hindi) में रूपांतरित हो जाता है।
खास तारे – special star
अब जानते है कुछ ऐसे तारों के बारे में जो दूसरो से अलग पड़ते है।
और इनमे से पहला है हमारा सूर्य।
Sun
सूर्य जैसे करोडो तारे ब्रह्मांड में अपना स्थान बनाये हुए है, लेकिन फिर भी सूर्य हमारे लिए सबसे खास है।
क्योकि इससे मिलने वाली ऊर्जा ही पृथ्वी पर जीवन को संभव बनाती है।
सूर्य आज से 4.6 अरब साल पहले एक गैस और धूल के बादल जिसे सोलर नेब्यूला कहा गया है, उसमे से बना था।
अभी यह अपने main sequence star अवस्था में है। इसने अपना आधा जीवन बिता दिया है और अभी 4 से 5 अरब साल का जीवन शेष है।
हायड्रोजन खत्म होने के बाद जब सूर्य red giant star में परिवर्तित होगा, तब यह पृथ्वी तक फैल जाएगा और अपने अंदर बुध, शुक्र पृथ्वी इन सारे ग्रहो को समा लेगा।
और फिर white dwarf star में परिवर्तित हो जाएगा।
Sirius star
सीरियस वो तारा है जो सबसे ज्यादा चमकता है।
हम से 8.6 प्रकाश वर्ष दूर महाश्वान तारामंडल में यह तारा स्थित है।
इसकी चमक सूर्य से 42 गुना ज्यादा है। इसे हम पृथ्वी से नँगी आँखों से भी देख सकते है।
यह स्टार सूर्य से लगभग 71 प्रतिशत आकार में बड़ा है और द्रव्यमान में दुगना।
अजीब बात तो यह है कि sirius एक नही बल्कि दो तारो का समूह है। सिरियास A और सिरियस B.
Sirius B एक white dwarf star है। जिसकी चमक sirius A की तुलना में काफी कम है।
इसी वजह से यह दूसरा तारा हमें कभी नही दीखता।
प्राचीन भारत में sirius A को मृगव्याध के नाम से जानते थे, जिसका अर्थ हिरन का शिकारी होता है।
अब बढ़ते है अगले star की तरफ।
Dhruv tara
ऐसा हो ही नही सकता कि आपने ध्रुव तारे के बारे में ना सुना हो।
एक बालक जो अडग ध्रुव तारा बना गया वो हमे उत्तर दिशा की तरफ दिखाई देता है।
लेकिन क्या कभी आपने सोचा है कि जहा ब्रह्मांड के सारे स्टार घूमते नजर आते है वहाँ ध्रुव तारा क्यों स्थिर दिखाई पड़ता है।
इसकी वजह है पृथ्वी का उत्तर ध्रुवीय अक्षांश।
पृथ्वी के गोल घूमने से हमे तारों की स्थिति बदलती नजर आती है, लेकिन dhruv star पृथ्वी के अक्षांश के ठीक सामने आया हुआ है।
जिससे हमे वो कभी विचलित होता नजर नही आता।
ध्रुव तारा उत्तर दिशा में urja minor तारामंडल में स्थित है। जो हम से लगभग 433 प्रकाश वर्ष दूर है।
अब बारी है अगले तारे की।
Biggest star
जब अरबो की संख्या में तारे मौजूद हो तो मन में यह सवाल जरूर उठता है कि ब्रह्मांड का सबसे बड़ा तारा कोन सा है।
ब्रह्मांड का सबसे बड़ा तारा uy scuti है। जो हमारी पृथ्वी से दूर scutam constellation में मौजूद है।
यह हम से 5,220 प्रकाश वर्ष दूर है और मिल्की वे के केंद्र के नजदिक भी।
इसकी त्रिज्या सूर्य से 1708 गुना ज्यादा है। कद में यह इतना विशाल है कि uy scuti में 270 करोड़ सूर्य समा जाए।
इसकी चमक भी सूर्य से 3,40,000 गुना ज्यादा है।
अगर यह स्टार (star in hindi) सूर्य के स्थान पर आ जाए तो इसका आकार शनि ग्रह तक फ़ैल जाएगा और वायुमंडल प्लूटो तक।
भले ही आकार में बडा हो, लेकिन द्र्व्यमान सूर्य से सिर्फ 30 गुना ही ज्यादा है।
अभी यह तारा red super giant star की अवस्था में है। जब इसका कोर लोहे का उत्पादन शुरू कर देगा तब सुपरनोवा के धमाके से एक विशाल ब्लैक होल का जन्म होगा।
लेकिन कुछ वैज्ञानिको का कहना है कि यह इतना विशाल तारा है कि red giant star के बाद वो yellow giant star में परिवर्तित होगा, फिर जाकर ब्लैक होल बनेगा।
आइए, अब एक रहस्यमय तारे को जानते है।
Methuselah star
एक ऐसा तारा जो ब्रह्मांड से भी पुराना है।
आप कहेंगे ऐसा कैसे हो सकता है, इसका मतलब तो यह हुआ की उस स्टार का अस्तित्व ब्रह्मांड से पहले भी था।
पर हम सब जानते है कि ब्रह्मांड की उत्त्पति एक बिंदु के धमाके से हुई थी, जिसे big bang कहा गया है।
तो फिर यह तारा आया कहाँ से।
Methuselah star से आने वाली रौशनी से यह पता चला है कि इसकी उम्र 14.4±0.8 अरब साल है।
मतलब की 14.4 अरब साल में 0.8 अरब साल कम या ज्यादा।
अब अगर इसकी न्यूनतम उम्र जाने तो भी वो (14.4-0.8) 13.6 अरब साल है। जब की ब्रह्मांड की उम्र भी 13.6 अरब साल ही है।
पर रिसर्च के मुताबिक ब्रह्मांड का पहला तारा big bang के 10 करोड़ साल के बाद बना था।
तो यह तारा आया कहा से।
पता नही।
आपको क्या लगता है की हम ब्रह्मांड को जितना पुराना समझ रहे है यह उससे भी ज्यादा पुराना है।
अब बारी है आपके कुछ सवालों के जवाब देने की।
Question about star
तारे क्यों चमकते है?
तारे अपने प्रकाश की वजह से चमकते है।
पृथ्वी से तारे कितने बड़े हैं?
पृथ्वी से तारे लाख से करोड़ो गुना बड़े होते है।
तारे क्यों टिमटिमाते हैं?
पृथ्वी के वायुमंडल के अलग अलग घनत्व और तापमान की वजह से तारे हमे टिमटिमाते नजर आते है।
चलिये अब तारों से जुड़े कुछ रोचक तथ्यो को जान लेते है।
Facts about star in hindi – तारों से जुड़े रोचक तथ्य
स्टार की चमक और उसके प्रकाश पर से तारों के तापमान और द्र्व्यमान का अंदाजा लगाया जाता है।
बड़े तारों का जीवनकाल छोटे तारो की तुलना में कम होता है।
नए तारों का रंग नीला और पुराने तारों का रंग लाल होता है।
अगर स्टार ना होते तो छायद ही ब्रह्मांड का अस्तित्व होता।
तारे (star in hindi) से जुडी यह अदभुत जानकारी आपको कैसी लगी वो जरूर बताना। और अगर आप कुछ रोमांचक पढ़ना चाहते है तो यह लेख जरूर देखे।
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