क्या आपको लगता है कि solar system in hindi में सिर्फ 9 ग्रह और एक तारा सूरज बस इतना ही है। अगर हां, तो आपको बहोत कुछ जानना अभी बाकी है।
हम सौरमंडल को जितना आम समझते है वो इतना सामान्य नही है। 9 ग्रहो के अलावा इसमें आपको दिखाई पड़ते है धूमकेतु, क्षुद्रग्रह, asteroid belt, kuiper belt, बौने ग्रह, सूरज का भविष्य और आखिर में हमारे सौरमंडल की अंतिम सीमा।
आज तक हमने सूर्यमंडल पर जितनी भी रिसर्च की है और जो जो रहस्य जाने है वो सब आज में आपको इस लेख में बताऊंगा।
ज्यादा जानकारी की वजह से लेख लंबा हो सकता है पर होगा बहोत ही रोमांचक। चलिए अब बकवास ना करते हुए सौरमंडल की यात्रा शुरू करते है।
सौर मंडल के इस लेख में आपको मिलने वाली जानकारी।
Table of Contents
Solar system in hindi – सौर मंडल क्या है
अपने तारे के आसपास घूमते ग्रहो की पूरी रचना को star system कहा जाता है। लेटिन भाषा में सूर्य से सबंधित शब्द sol है।
इसीलिए सूर्य को solar नाम दिया गया है। और उस तारे के आसपास घूमते ग्रह की पूरी रचना को solar system कहा जाता है।
About solar system in hindi – प्राथमिक जानकारी
ब्रह्मांड के अनगिनत सौरमंडल में से एक है हमारा सौर मंडल। जिसमे कई बड़े और छोटे ग्रह आये हुए है।
इन ग्रह को अपनी ही धरि पर एक चक्कर पूरा करने में जो समय लगता है उसे एक दीन कहा जाता है। और सूर्य का एक चक्कर पूरा करने में जो समय लगता है उसे हम एक साल कहते है। अलग अलग ग्रहो के लिए यह समय अलग अलग होता है, जिनकी वजह उन ग्रहो की गति होती है।
हमारा सौरमंडल (about solar system in hindi) बहोत बड़े विस्तार में फैला हुआ है इसी वजह से उसे किलोमीटर या माइल में नापना कठिन है। दूसरी और प्रकाश वर्ष एक बहोत बड़ा एकम है। इसीलिए सौरमंडल के लिए एक नए एकम astronomical unit ( खगोलीय इकाई) को लाया गया है।
पृथ्वी और सूर्य के बीच के अंतर को 1AU कहा जाता है। इस अंक की मदद से हम दूसरे ग्रहो की दुरी को पृथ्वी की दुरी से आसानी से तुलना कर सकते है।
1AU=1,49,59,78,70,700 m
साथ ही आप यह भी जान लीजिए।
त्रिज्या: ग्रह के केंद्र से लेकर उसके अंतिम छोर तक की लंबाई। इसे radius भी कहा जाता है।
व्यास: ग्रह के एक छोर से लेकर दूसरे छोर तक की लंबाई। इसे diameter भी कहते है, यह त्रिज्या से हमेशा दुगना ही होता है।
सौरमंडल कैसे बना था
आज से लगभग 4.6 अरब साल पहले अंतरिक्ष के एक विशाल बादल के छोटे छोटे टुकडे गुरुत्वाकर्षण बल की वजह से एक जगह आकर जमा होने लगे।
इन टुकड़ो में जहाँ पर ज्यादा द्र्व्यमान जमा हो रहा था वहाँ हमारे सूर्य की रचना हुई। बाकी का जो भाग बच गया वो ग्रह बन गए।
कोई भी star system जब निर्माण होता है तब अपनी शुरुआत की रचना में वो एक नेब्यूला होता है। फिर वही नेब्युला अंत में जाकर एक सौरमंडल में परिवर्तित होता है।
हमारा सोलार सिस्टम जिस नेब्युला से बना था उसका नाम solar nebula है। इसी नेब्यूला में से जन्म हुआ है हमारे सौरमंडल का।
चलिये अब पहले सूर्य को जानते है और फिर ग्रहो को।
सूर्य – sun
सौरमंडल का सबसे महत्वपूर्ण भाग सूर्य ब्रह्मांड के कई अरबो तारो मे से एक है। यह हमारे solar system का केंद्र है और सारे ग्रह इसकी परिक्रमा करते है।
यह अकेला SpamSite:~:text=%E0%A4%B9%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A5%87%20%E0%A4%B8%E0%A5%82%E0%A4%B0%E0%A4%9C%20%E0%A4%94%E0%A4%B0%20%E0%A4%89%E0%A4%B8%E0%A4%95%E0%A5%87%20%E0%A4%97%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%B9%E0%A5%80%E0%A4%AF,%E0%A4%AC%E0%A5%80%E0%A4%9A%20%E0%A4%95%E0%A5%80%20%E0%A4%A7%E0%A5%82%E0%A4%B2%20%E0%A4%B6%E0%A4%BE%E0%A4%AE%E0%A4%BF%E0%A4%B2%20%E0%A4%B9%E0%A5%88%E0%A4%82%E0%A5%A4″>सौरमंडल का 99 प्रतिशत द्र्व्यमान रोके हुआ है। इतना द्र्व्यमान होने की वजह से इसका गुरुत्वबल प्रभावी हो जाता है जिससे सारे ग्रह इसके आसपास बंधे हुए है। अरबो किलोमीटर दूर रहा प्लूटो भी।
सूर्य की त्रिज्या 6,96,000 km है। इतने विशाल कद में 13 लाख पृथ्वी आसानी से समा सकती है।
यह हायड्रोजन और हीलियम गैस से मिलकर बना हुआ है और बाकी तारो की तरह यह भी अपनी ऊर्जा न्यूक्लियर फ्यूजन की प्रक्रिया से प्राप्त करता है। जो इसे हायड्रोजन से मिलती है।
सूर्य का रंग असल में सफेद है पर पृथ्वी के वातावरण की वजह से वो हमें पिला नजर आता है। यह अंतरिक्ष में हर सेकंड में अपना 50 लाख टन द्र्व्यमान गुमा रहा है।
सूर्य के लिए संस्कृत भाषा में 108 नाम है। जिनमे से कुछ प्रख्यात है जैसे की रवी, आदित्या, भानु।
पूरा लेख: सूर्य के बारे जानकारी और उससे जुड़े 5 तथ्य
Solar system planets – सौरमंडल के ग्रह
हमारे सौरमंडल में कुल मिलाकर 9 ग्रह (planet) है, पर यह बात असल में सच नही है। अब सिर्फ 8 ही ग्रह है।
वो कौनसा ग्रह है जिसे इसमें से निकाल दिया गया है। आपको आगे पता चल जाएगा।
बुध ग्रह – Mercury planet
बुध हमारे सौरमंडल का सबसे पहला ग्रह है। इसका व्यास 5,000 km से भी कम है। इतने छोटे होने की वजह से वो हमारे सौरमंडल का सबसे छोटा ग्रह कहलाता है।
यह लगभग हमारे चाँद जितने आकार का ही है। पृथ्वी से तुलना करने पर यह पृथ्वी से 26 गुना छोटा है।
सूर्य से नजदीक होने की वजह से इसकी सतह का तापमान दिन में 430 ℃ तक पहुंच जाता हैं और रात के समय -179℃ जितना ठंडा हो जाता है। तापमान के इतने तफावत की वजह से यहाँ पर जीवन संभव नही है।
बुध ग्रह का एक दिन पृथ्वी के 179 दिन का होता है। जब की उसे सूर्य का एक चक्कर पूरा करने में 88 दिन ही लगते है। मतलब की बुध का साल उसके दिन से भी छोटा होता है।
बुध को अंग्रेजी भाषा में mercury कहा जाता है। जो रोमन देवता के नाम पर से रखा गया है।
पूरा लेख: बुध ग्रह की सारी अद्भुत जानकारी
शुक्र ग्रह – venus planet
Solar system का दूसरा ग्रह शुक्र सबसे गर्म ग्रह है। इसकी सतह का तापमान 462℃ है। इतने ज्यादा तापमान के लिए उसका वायुमंडल जिम्मेदार है, जो सूर्य की गर्मी को बाहर नही जाने देता।
इसके वायुमंडल की वजह से वहाँ पर स्पेस मिशन करना बहोत ही मुश्किल है। साल 1966 में रूस ने इस पर venera – 3 मिशन किया था, लेकिन वो यान शुक्र की भयानक गरमी की वजह से 3 घंटे में ही नष्ट हो गया।
आसमान में यह सीरियस तारे से भी ज्यादा चमकता है। इसी वजह से रोमन सभ्यताओं ने प्यार और सुंदरता की देवी पर से इस ग्रह का नाम venus रखा है।
पृथ्वी और शुक्र दोनों ग्रह लगभग समान होने की वजह से इनको जुड़वाँ भी कहा जाता है। शुक्र का आकर पृथ्वी के 95% जितना है, जिसको हम कुछ हद तक समान भी कह सकते है।
शुक्र की खास बात यह है की वो उल्टी दिशा में घूमता है। जिस से वहाँ पर सूर्य पश्चिम से उदय होता है और पूर्व में अस्त।
पूरा लेख: शुक्र ग्रह के बारे में 17 रोचक तथ्य
पृथ्वी – earth
सूर्य मंडल का तीसरा ग्रह जो हमारी प्यारी पृथ्वी है वो सबसे खास है। क्योंकि ब्रह्मांड में एक यही ग्रह है जिस पर जीवन है। अब तक हमने जितने भी ग्रहो की खोज की है, उनमे से किसी पर भी हमे अब तक जीवन देखने को नही मिला है।
इसकी त्रिज्या 6,300 km है और यह सूर्य से 1AU कि दुरी पर स्थित है। पृथ्वी पर 70% समुद्र और 30% जमीन है। साथ ही हमारे पास एक उपग्रह भी है, जिसे हमने चाँद (moon) नाम दिया है।
पृथ्वी का 1 सौर दिन 24 घँटे का होता है और एक साल 365 दिन का होता है। 23 डिग्री जुकाव की वजह से शर्दी, गर्मी, बारिश जैसी ऋतु भी देखने को मिलती है।
यहाँ के वायुमंडल में 78% नाइट्रोजन ओर 21% ऑक्सिजन है। इसी वजह से यहाँ पेड़ का अस्तित्व है, साथ ही सूर्य से बचने वाले ओज़ोन का स्तर भी बना हुआ है। पर अफ़सोस, प्रदूषण की वजह से वो अब कमजोर होता जा रहा है।
मंगल ग्रह – mars planet
हां, यह वही ग्रह है जिस पर इंसान भविष्य में जाना चाहता है। पर सिर्फ इस ग्रह पर ही क्यों।
क्योकि यह पृथ्वी की तुलना में बहोत ही समान है। यहॉ का एक दिन 24 घँटे 37 मिनिट का होता है। जब की एक साल 687 दिन का होता है। जो पृथ्वी के दो साल के बराबर है। इसकी सूर्य से दूरी 1.524 AU है।
आयरन ऑक्सिड की वजह से यह ग्रह हमे लाल रंग का दिखाई देता है। इसका व्यास पृथ्वी से आधा है और गुरुत्वाकर्षण बल तो हमारी पृथ्वी से 3 गुना कम है। पर मंगल के पास अपने दो चाँद है फोबोस और डेमोस।
इस ग्रह की एक खास रचना जो इसे दुसरो से अलग करती है उसका नाम olympus mons है। यह एक विशाल ज्वालामुखी पर्वत है जो की सिर्फ मंगल ग्रह का ही नही बल्कि पुरे solar system in hindi का सबसे बड़ा पर्वत है। इसकी ऊंचाई 21 km है, जब की माउन्ट एवरेस्ट की सिर्फ 8.8 km ही है।
मंगल पर Valles Marineris नाम की एक खाई बनी हुई है। जो 400 km लंबी और 7 km गहरी है। लेकिन हम आज तक पता नही लगा पाए है कि उसमे है क्या।
पूरा लेख: मंगल ग्रह से जुडी कुछ महत्वपूर्ण जानकारी
गुरु ग्रह – jupiter planet
सौरमंडल का सबसे बडा ग्रह गुरु पांचवे स्थान पर आता है। इसकी सूर्य से दूरी 5.2 AU है।
इसका व्यास 1,40,000 km है। जब की पृथ्वी का व्यास सिर्फ 12,800 km ही है। पृथ्वी की तुलना में इस ग्रह का कद 1,300 गुना बड़ा है और आराम से इतनी पृथ्वी गुरु में समा सकती है।
सौर मंडल का सबसे छोटा दिन गुरु का होता है। जो सिर्फ 10 घँटे का होता है, लेकिन उसका एक साल पृथ्वी के 12 साल बराबर है। साथ ही यह एक गैसीय ग्रह है। जिससे यहाँ पर आपको जमीन देखने को नही मिलती।
यह सोलार सिस्टम का सबसे बड़ा ग्रह तो है ही, साथ में इसका उपग्रह गेनीमेड भी सौरमंडल का सबसे बड़ा चाँद है।
गुरु पर एक लाल रंग का धब्बा दिखाई पड़ता है जो हजारो सालो से चल रहा एक तूफान है। यह तूफान इतने क्षेत्र में फैला है की 3 पृथ्वी समा जाए।
गुरु को jupiter भी कहा जाता है जो रोमन संस्कृति के एक देवता का नाम है। इसी तरह गुरु को हम बृहस्पति ग्रह कहते है और वो भी हिन्दू संस्कृति के देवता का नाम ही है।
पूरा लेख: गुरु ग्रह के रहस्य और 9 रोचक तथ्य
शनि – saturn
Solar system का छठ्ठा और नँगी आँखों से देखे जाने वाला शनि आखरी ग्रह है। इसके आकार का अंदाजा आप इसी से लगा सकते हो की इसका व्यास 1,20,000 km है। जो गुरु की तुलना में थोड़ा ही छोटा है।
गुरु की तरह शनि भी एक गैस जायंट प्लेनेट है। मतलब की यह पर कोई जमीन नही है। इसी वजह से इस ग्रह पर भी जीवन संभव नही है।
इस ग्रह पर दिन तो सिर्फ 10.5 घंटे का ही होता है लेकिन इसका एक साल पृथ्वी के 29.5 साल के बराबर है।
इस ग्रह को जो दूसरों से अलग करती है वो है उसकी रिंग्स। इसके पास दूसरे ग्रहों के मुकाबले ज्यादा रिंग्स हैं। इसी वजह से उसे सौर मंडल का सबसे सुंदर ग्रह भी कहा जाता है।
सबसे ज्यादा चाँद शनि ग्रह के पास है। 82 चाँद के साथ वो चाँद का राजा कहलाता है। इन सब में से टाइटन सबसे बड़ा चाँद है। शनि ग्रह की घनता इतनी कम है कि अगर आप उसे समंदर में रखेंगे तो वो तैरने लगेगा।
पूरा लेख: शनि ग्रह की 6 अजीब बाते
अरुण – uranus
नीले रंग का यह ग्रह सौर मंडल के सांतवे स्थान पर है और सूर्य से औसतन दुरी 19.8AU है।
यह ग्रह अपनी कक्षा पर बहोत तेज होने की वजह से 17 घँटे मे ही दिन पूरा करता है। पर सूर्य का एक चक्कर पूरा करने में 84 साल लग जाते है।
शुक्र के बाद यह दूसरा ग्रह है को उलटी दिशा में घूमता है। पर जहाँ शुक्र सबसे गर्म ग्रह है वहा युरेनस सबसे ठंडा है।
यह अपनी कक्षा से 97 डिग्री तक जुका हुआ है। उसी वजह से इसका एक ध्रुव 42 साल तक सूर्य के सामने रहता है ओर एक अंधकार में डूबा रहता है।
यह एक gas giant planet है पर इसकी कुछ सतह ऐमोनिया और मीथेन के बर्फ से ढंकी पड़ी है इसी वजह से इसे ice giant planet भी कहा जाता हैं।
पूरा लेख: रहस्यमय अरुण ग्रह
वरुण – Neptune
सौरमंडल के आंठवे स्थान पर स्थित यह ग्रह अंतिम है। हिंदी भाषा में इसे वरुण ग्रह के नाम से जाना जाता है। सूर्य से इसकी दुरी 30.31AU है। इतनी दुरी और धीमी गति की वजह से सूर्य का एक चक्कर पूरक करने में उसे 164 साल लग जाते है।
यह ग्रह लगभग युरेनस जैसा ही है। बस दिखने में थोड़ा ज्यादा नीला है। इसकी सतह पर भी ऐमोनिया और मीथेन की बनी हुई बर्फ ही आयी हुई है। इसी लिए इसे भी ice giant planet कहा जाता है।
इस ग्रह पर तूफानी हवा सबसे तेज होती है। जिनकी गति 2,100 km/h तक की होती है। इस पर अभी तक एक ही यान ने अभ्यास किया है।
इस पर साल 2025 में NASA नेप्च्यून पर अपना मिशन करने वाला है। जो इसके साथ इसके सबसे बड़े उपग्रह ट्राइटन का भी अभ्यास करेगा।
यम – pluto
एक ऐसा ग्रह जिसे हम solar system के 9 ग्रहो की जोड़ी समझते है लेकिन उससे ग्रह का दर्जा छीन लिया गया है।
साल 2005 में IAU ने इसे प्लूटो के पद से दरखास्त कर दिया। क्योकि इसकी कक्षा बाकी ग्रहो की तुलना में अलग थी। इसीलिए अब वो एक ग्रह ना होकर बौने ग्रह में आता है।
इसकी कक्षा गोलाकार है और एक बार तो ऐसी परिस्थिति आ जाती है कि प्लूटो नेप्च्यून की तुलना में सूर्य से ज्यादा नजदीक होता है।
वैसे प्लूटो पर एक दिन 153 घँटे का होता है जो पृथ्वी के 6 दिन समान है। साल की बात करे तो उसे सूर्य का एक चक्कर पूरा करने में 248 साल लग जाते है।
इसका व्यास 2,376 km है, जो गुरु के सबसे बड़े चाँद से भी छोटा है। इसका आकार पृथ्वी के छठ्ठे भाग का ही है।
भले ही यह आकार में छोटा हो, लेकिन इसके पास अपने खुद के 5 उपग्रह है। और वो भी इसकी तरह मन चाहे ऐसे परिक्रमा करते रहते है।
पूरा लेख: अजीब प्लूटो ग्रह की कहानी
कुदरती उपग्रह – moons
उपग्रह जिसे आसान भाषा में हम चाँद कहते है। यह ग्रह के चारो और घुमते नजर आते है। इनका आकर छोटे टुकड़े से लेकर प्लुटो से भी बड़ा होता है।
अलग अलग ग्रहो के पास चाँद की संख्या अलग अलग होती हैं। जहाँ बुध के पास एक भी उपग्रह नही है वहाँ शनि 82 चाँद का मालिक है।
हमारे सौरमंडल (solar system) में कुल मिलाकर 214 उपग्रह है। जिनमे ज्यादातर छोटे और एकसमान ही है। पर कुछ ऐसे उपग्रह है जिन्हें जानना जरूरी बनता है।
जिसमे आते है पृथ्वी का एकमात्र उपग्रह चाँद, गुरु का गेनीमेड और शनि का टाइटन।
moon
हमारी पृथ्वी के पास सिर्फ एक ही उपग्रह है जिसे हम चाँद कहते है। यह पृथ्वी से तकरीबन 3,84,000 km की दुरी पर है।
यह आकार में 1,734 km का है। अगर परिभ्रमण की बात करे तो चंद्र अपनी धरि पर 27 दीन में एक चक्कर पूरा करता है। इतना ही समय उसे पृथ्वी का एक चक्कर काटने में लगता है।
यहाँ की जमीन भी ज्यादातर पृथ्वी जैसी समान ही है। कही पर गढ़े तो कही पर समतल जमीन। चाँद प्रकाश विहीन हैं, रात के समय जब सूर्य का प्रकाश इस पर पड़ता है तब वो चमकीला दिखाई देता है।
चाँद के पास अपना कोई वायुमंडल नही है इसी वजह से वहा पानी का अस्तित्व भी नही है। लेकिन अभी कुछ समय पहले नासा के sofia ने चाँद पर पानी के अणुओं की खोज की है जो वहाँ की मिट्टी में था।
हम चाँद पर भी पहुंच चुके है। साल 1969 में नील आर्मस्ट्रांग और उनके मित्र ने चाँद पर पहला कदम रखा था।
Titan
शनि के 82 उपग्रह में से सबसे बड़ा और सौरमंडल का दूसरा सबसे बड़ा उपग्रह titan है। यह इकलौता उपग्रह है जिस पर हमें वातावरण देखने को मिला हो। इसका व्यास 5,000 km के आसपास है।
इस उपग्रह पर वायुमंडल, नदिया, जिले, बारिश सब कुछ हैं लेकिन जो नदिया बहती है वो मिथेन की होती है साथ ही यहाँ के ज्वालामुखी से बर्फीली ऐमोनिया निकलती है।
यहाँ का तापमान -180℃ जो की बहोत ही ठंडा होता है।। ऐसा होने की वजह इसका वायुमंडल है जो सूर्य की गर्मी को परावर्तित कर देता है जिससे solar system के इस उपग्रह को जितना ठंडा होना चाहिए उससे ज्यादा है।
यह उपग्रह कुछ हद तक पृथ्वी जैसा है इससे हमे उम्मीद दिखाई देती है कि भविष्य में कभी इस पर जीवन बनाया जा सकता है।
Ganymede
गुरु का सबसे बड़ा चाँद गेनीमेड प्लूटो से भी बड़ा है। इसका व्यास 5,268 km है जो शनि ग्रह के टाइटन से सिर्फ थोड़ा ही बड़ा है।
माना जाता है कि इस उपग्रह पर एक पतला सा ऑक्सिजन और ओज़ोन का वायुमंडल भी है जिससे यहाँ पर जीवन की संभावना दिखाई देती है। पर असल में वो बहोत ही पतला है जिससे जीवन बनाना मुश्किल है।
इस उपग्रह के तीन स्तर है। पहला स्तर केंद्र में लोहे से बना है जो चुम्बकीय क्षेत्र उतपन्न करता है। अगर आपको नही पता तो बता दू की गेनीमेड सौरमंडल (about solar system) का ऐसा एकमात्र उपग्रह है जिसके पास चुम्बकीय क्षेत्र है।
दुसरा स्तर पथ्थरों से बना हुआ है और उस पर आया है तीसरा स्तर जो बर्फ से ढंका पड़ा है। इस बर्फ की मोटाई लगभग 800 km है।
सूर्यमंडल के इस ग्रह को कुछ लोग ब्रह्मांड का सबसे बड़ा ग्रह मानते है। क्योंकि अब तक खोजे गये ब्रह्मांड में हमे इतना बड़ा उपग्रह नही मिला है। लेकिन हमें ब्रह्मांड की रचना को भूलना नही चाहिए इसमें अनगिनत सौरमंडल अस्तित्व बनाये हुए है।
Asteroid belt
Astroid belt मंगल और गुरु ग्रह के बीच का एक क्षेत्र है जो छोटे और अनिमियत आकार के खगोलीय पिंड से भरा पड़ा है।
इन खगोलीय पिंडो को Asteroid कहा जाता है जिसे हिंदी भाषा में क्षुद्रग्रह कहते है। यह आमतौर पर पत्थरो और धूल से ही बने हुए होते है। जिनका आकार 1000 km से लेकर एक धूल के कण के बराबर होता है।
इस क्षेत्र में 1 km से बड़े क्षुद्रग्रह की संख्या 11-19 लाख तक की है। बाकी छोटे मोटे टुकड़ो से तो भरा पड़ा है यह क्षेत्र।
इन सब में 5 बहोत बड़े है। जिसमे whereas Vesta, Pallas और Hygiea नाम के क्षुद्रग्रह की लंबाई 600 km के आसपास है। जब की एक की लंबाई 950 km तक है। इसे ceres नाम दिया गया है। इतने बड़े होने की वजह से उसे एक बौना ग्रह भी कहा जाता है।
Kuiper belt
kuiper belt नेप्च्यून की कक्षा से लेकर पलूटो के पार तक फैला हुआ एक क्षेत्र है। जिसमे asteroid belt की तरह ही asteroid भरे पड़े है। लेकिन यह क्षेत्र उससे 20 गुना बडा है।
इसके अंदर जो क्षुद्रग्रह पाए जाते है वो पत्थर और धूल से तो बने होते ही है लेकिन इनमे कई बर्फ और धातु से बने भी पाए जाते है।
साथ ही यह कई बौने ग्रहो का भी घर है। जो इस क्षेत्र के सबसे बड़े खगोलीय पिंड है। इनमे प्लूटो का उपग्रह charon भी बौने ग्रहो की तुलना में कम छोटा नही है। यह बौने ग्रह क्या होते है, चलिये जानते है।
Dwarf planet – बौने ग्रह
बौने ग्रह सौरमंडल के वो खगोलीय पिंड है जो सूर्य की परिक्रमा करते है पर यह ग्रह की तुलना में छोटे होते होते है।
सामान्य तौर पर ग्रह के लिए तीन नियम होते है।
- सूर्य के चारो और परिक्रमा करना।
- इतना गुरुत्वबल होना जिससे उनका द्र्व्यमान गोल आकार बना सके।
- कक्षा दूसरे खगोलीय पिंड से मुक्त होनी चाहिए।
प्लूटो जो की 9 ग्रहो की जोड़ी में आता था। उसका आकार तो बहुत छोटा था साथ ही उसकी कक्षा वरुण ग्रह में चली जाती थी। बस इसी वजह से निकाल दिया उस बेचारे को।
अब तक solar system में 5 बौने ग्रहो की खोज हो चुकी है। जिनके नाम Ceres, Pluto, Eris, Haumea और Makemake है।
जिनमे से सिर्फ Ceres एक ही ऐसा है जो asteroid belt में आता हो। बाकी सब kupier belt में आते है।
इन बौने ग्रहो की कुछ मुख्य बातें।
Ceres: यह 950 km लंबा बौना ग्रह है। इसे सूरज का चक्कर लगाने में 4.6 साल लग जाते है।
Pluto: इसके बारे में तो हमने बात कर ही ली है। फिर भी कह देता हूं की इसका व्यास 2360 km है।
Eris: इसका व्यास 2,300 km है। जो प्लूटो से बस थोड़ा ही कम है। इसकी कक्षा इतनी बड़ी है की इसे सूर्य का एक चक्कर काटने में 557 साल लग जाते हैं।
Haumea: इस बौने ग्रह की खोज साल 2004 में हुई थी। यह आकार में 1,600 km जितना लंबा है पर इसे सूर्य का एक चक्कर पूरा करने में 285 साल लग जाते हैं। गजब की बात तो यह है कि इसके पास अपने दो चाँद भी है।
Makemake: इस छोटे बौने ग्रह कि खोज 2016 में जाके हुई थी। क्योकि यह जीस जगह पर है वो छोटे मोटे पत्थरो से भरा पड़ा है। जिसे हम kupier belt कहते है। इसका व्यास भी 1600 km के आसपास है।
सौरमंडल में धूमकेतु – comets
धुमकेतु बर्फ और पथ्थर से बने एक खगोलीय पिंड होते है जो अंतरिक्ष में घूमते रहते है। इनकी लंबाई 10 km से 40 km तक की होती है।
यह धुमकेतु भी सूर्य की परिक्रमा करते है लेकिन इनकी कक्षा अंडाकार होती है। यह आमतौर पर ग्रह की तरह सूर्य को केंद्र नही बनाते पर उसको अपनी कक्षा के अंत बिंदु की तरह रखते है।
यह जब सूर्य के पास से गुजरते है तब इनका बर्फ पिघलने लगता है। जिसकी वजह से यह ज्यादा चमकते है और हम इन्हें नँगी आँखों से देख सकते है।सौरमंडल में 6,619 से भी अधिक धुमकेतु अपना अस्तित्व बनाये हुए है जिनमे से ज्यादातर छोटे है।
धूमकेतु की अपनी कक्षा को पूरी करने का समय कुछ सो सालो से लेकर हजारो सालो तक का होता है। solar system in hindi में दो तरह के धूमकेतु पाए जाते है।
एक वो जो जिनकी कक्षा का समय 200 साल से कम होता है। यह धूमकेतु kupier belt से आते है। दूसरे वो जिनकी कक्षा का समय 200 साल से ज्यादा होता है यह उर्ट क्लाउड से आते है।
फेमस धूमकेतु हेली का है जो 76 साल में सिर्फ एक बार देखने को मिलता हैं। यह अगली बार 2062 में देखने को मिलेगा।
पूरा लेख: हेली का धूमकेतु और प्राचीन सभ्यताए
Heliopause – सौरमंडल का अंत
सौर मंडल के आखरी छोर को हिलियोपोस कहा जाता है। इस जगह पर सूर्य के सौर पवन (solar wind) का प्रभाव खत्म हो जाता है।
Heliopause असल में वो जगह होती है जहाँ सोलर कण और इंटरस्टेलर के कण का प्रभाव समान रहता है।
यह जगह प्लूटो के बाद आती है जो सूर्य से 123 AU दूर है जब की सूर्य से प्लूटो की दूरी 40 AU है। Heliopause की बाहर की सीमा से शुरू होता है interstellar medium.
इंटरस्टेलर मीडियम और उर्ट क्लाउड
ब्रह्मांड के दो सौरमंडल के बीच की एक ऐसी जगह जो दोनों सौर मंडल के प्रभाव से मुक्त हो उसे इंटरस्टेलर मीडियम कहा जाता है। यह बस अंतरिक्ष की एक विशाल खली जगह होती है।
यह मीडियम शुरू होने के बाद आता है उर्ट क्लाउड। यह एक विशाल बादल है जिसमे पत्थर, बर्फ के टुकड़े, गैस, धूल सब है और वो अरबो की संख्या में है। यह उर्ट क्लाउड 99,000 AU में फैला हुआ है।
Note: में आपको सलाह दूंगा की आप नीचे के फोटो को ध्यान से देखिये। अगर आप high quality image में देखना चाहते है तो उनकी लिंक फोटो के नीचे दी है।
जिस जगह पर सूर्य की गुरुत्व शक्ति का प्रभाव खत्म हो जाता है उसे भी solar system का अंत कहा जाता है। आश्चर्य की बात ये है कि सूर्य का गुरुत्व बल उर्ट क्लाउड तक जाता है और सूर्य से उसकी दुरी 2,000AU के आसपास मानी जा रही है।
हमारे सूर्य की असर इतनी दूर तक जाती है इससे आपको अंदाजा लग गया होगा की हमारा सूरज कितना शक्तिशाली है।
सौरमंडल के मिशन – space mission
साल 1977 में दो यान वॉयजर 1 और वॉयजर 2 ब्रह्मांड की गहराइयो को खोजने के लिए रवाना हुए थे। इन दोनो यानो ने पहले सौरमंडल के अलग अलग ग्रहो की जानकारी प्राप्त की और फिर चले पड़े अपने रास्ते।
वॉयजर 1 ने साल 2012 में ही हिलीयोपोस को पार कर लिया था। जहाँ वॉयजर 2 ने साल 2018 में इसे पार किया। इसीके साथ यह इंसानो से सबसे ज्यादा दूर जाने वाले यान बन चुके है।
आश्चर्य की बात तो ये है कि यह दोनों यान इतने दूर होने के बावजूद भी जानकारी भेज रहे है लेकिन वॉयजर 1 अभी जिस जगह पर है वहाँ चारो और अँधेरा ही अँधेरा है इस वजह से उनके केमेरो को बंद कर दिया है जिससे उनकी ऊर्जा को बचाया जा सके।
कुछ साल बाद इन यानो की शक्ति पूरी तरह से खत्म हो जाएगी तब उनसे हमारा संपर्क टूट जाएगा। फिर यह दोनों यान अनंत ब्रह्मांड में अकेले घूमते रहेंगे। भविष्य में अगर किसी एलियन सभ्यता को यह यान मिलता है तो उसे हमारे होने का सबूत मिलेगा।
➡️एलियन की खोज में निकला यान – Voyager 1
➡️ब्रह्मांड की जानकारी का खजाना – Voyager 2
जबी तक एलियन हम से संपर्क करते है तब तक हम सौरमंडल से जुड़े कुछ अद्भुत तथ्य ही जान लेते है।
facts about solar system – सौरमंडल के बारे में तथ्य
हमारा सौर मंडल मिल्की वे के जिस स्थान पर अभी है पिछली बार उसी स्थान पर डायनासोर के समय पर था।
हमारे सौरमंडल का सबसे नजदीकी तारा Alpha Centauri है।
सूर्यमंडल मिल्की वे के केंद्र से 26,660 प्रकाश वर्ष दूर है।
मुझे बस यह 3 ही तथ्य आते हैं। अगर आपको सौरमंडल (about solar system in hindi) के और तथ्य आते है तो कॉमेंट में बता दीजिए साथ ही
ब्रह्मांड के और रहस्यो को जानना है तो आप यह पढ़ सकते हो।
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good work bhai…. all the best
I couldn’t resist commenting. Very well written!