क्या आप वरुण ग्रह (Neptune in hindi) के बारे में सब कुछ जानना चाहते है? यह लेख आपको वो सारी जानकारी देगा जो आपको चाहिए।
सौरमंडल का आंठवा ग्रह वरुण दूसरे ग्रहों की तुलना में कुछ ज्यादा ही अजीब है। एक समय था जब यह ग्रह वैज्ञानिको के लिए भी एक पहली बना हुआ था।
लेकिन आज के समय में हमारे पास इससे जुड़ी कई अदभुत जानकारी है।
तो चलिए जानते है इस अदभुत जानकारी को।
Note: इस लेख में 10 रहस्यों को 10 भागों में बांटा गया है।
Table of Contents
Neptune in hindi – वरुण ग्रह के बारे में
वरुण ग्रह (Neptune in hindi) का इतिहास बाकी ग्रहो की तुलना में अलग रहा है। क्योकि शनि आखरी ग्रह है जिसे पृथ्वी पर से नँगी आँखों से देखा जा सकता है।
लेकिन इसके बाद के ग्रहो को बिना टेलिस्कोप के देखना संभव नही है। जिसमे वरुण ग्रह भी शामिल है।
इस ग्रह को सबसे पहले देखने वाले इंसान का नाम गैलीलियो था। 17वि सदी में गैलीलियो ने अपने बनाये टेलिस्कोप के जरिये सौरमंडल में रहे ग्रहो का अभ्यास किया था।
लेकिन उसका यह सामान्य टेलिस्कोप इतना सक्षम नही था कि दूर के ग्रहो को स्पष्ट रूप से देख सके।
इसी वजह से गैलीलियो ने जब नेप्च्यून को पहली बार देखा तब उसे यह एक तारा लगा और जब दुबारा देखना चाहा तब तक यह ग्रह टेलिस्कोप की नजरों से दूर जा चूका था।
लेकिन आखिर में वरुण ग्रह की खोज का कारण अरुण ग्रह (युरेनस) बना।
अरुण ग्रह की कक्षा के अभ्यास में एक त्रुटि आ रही थी, जो बताती थी की इसके आसपास एक खगोलीय पिंड होना चाहिए, जो इस पर अपना गुरुत्व प्रभाव डाल रहा था।
इसके लिए खगोल विज्ञानी Urbain Le Verrier ने Johann Galle से मदद मांगी। फिर उन्होंने गाणितिय गणना द्रारा इस ग्रह की स्थिति अनुमान लगाया।
और इस तरह नेप्च्यून पहला ग्रह बना जिसे गणित की मदद से खोजा गया हो।
अब जब कि इस नए ग्रह की खोज हो चुकी थी तो बारी थी इस ग्रह के नाम की। जिसके लिए दोनों वैज्ञानिको ने अपनी तरफ़ से नाम का सुझाव दिया।
Urbain Le Verrier की तरफ से neptune और Johann Galle की तरफ से janus नाम बताया गया।
लेकिन रखना तो कोई एक ही था, आखिर में neptune को ही लोगो ने स्वीकार किया। चलिये अब जानते है इस शब्द का अर्थ।
Meaning of Neptune
neptune नाम रोमन संस्कृति के भगवान पर से रखा गया है जो समुद्र के देवता (god of sea) थे। यह नाम रखने की खास वजह यह थी की इस ग्रह का रंग पानी जैसा दिखाई देता था।
हिंदी भाषा में नेप्च्यून का अर्थ (Meaning of Neptune in hindi) वरुण ग्रह है जो की हमारे समुद्र देवता का नाम है।
Formation of Neptune planet in hindi – वरुण ग्रह का निर्माण
आज से लगभग 4.5 अरब साल पहले धूल और गैस के एक विशाल बादल जिसे नेब्यूला कहा जाता है उसमें से हमारे सौरमंडल का जन्म हुआ था।
गुरुत्वाकर्षण बल की वजह से इसका द्र्व्यमान एक जगह जमा होने लगा और जन्म हुआ हमारे सूर्य का। बाकी बचे भाग में से बने ग्रह।
जिनमें एक वरुण ग्रह (Formation of Neptune planet) भी था।
अनुमान लगाया गया है कि निर्माण के समय अरुण और वरुण दोनों ग्रह सूर्य के नजदिक थे, लेकिन बाद में दूर हो गये।
अब इसकी खगोलीय जनाकारी पर नजर डालते है।
Distance and size of Neptune – वरुण ग्रह की दूरी और आकार
वरुण ग्रह की खोज साल 1846 में हुई थी तब इसे सौरमंडल का सबसे दूरस्थ ग्रह माना जाता था, लेकिन जब 1930 में प्लूटो की खोज हुई तब यह पद प्लूटो को मिल गया।
पर साल 2006 में IAU ने प्लूटो की कक्षा अजीब है कहकर उसे नौ ग्रहों की जोड़ी से निकाल दिया और नेप्च्यून फिर से सौरमंडल का सबसे दूरस्थ ग्रह बन गया।
वरुण ग्रह सूर्य से 30.1 AU की दुरी (Distance) पर स्थित है। जो सूर्य से आंठवे स्थान पर है। इतने दूर होने की वजह से सूर्य प्रकाश को भी इसकी सतह तक पहुंचने में पूरे 4 घँटे लग जाते है।

Note: पृथ्वी और सूर्य के बीच की दुरी को 1 AU कहा जाता है।
वरुण ग्रह की त्रिज्या 24,622 किलोमीटर है। जो की पृथ्वी से लगभग 4 गुना अधिक है। इतने विशाल आकार (size) के चलते यह सौरमंडल का चौथा सबसे बड़ा ग्रह बन जाता है।
इस विशाल कद में 58 पृथ्वी इसके अंदर समा सकती है। द्र्व्यमान की बात करे तो वो पृथ्वी की तुलना में लगभग 17 गुना ज्यादा है।
नेप्च्यून का यह द्र्व्यमान युरेनस ग्रह से थोड़ा ज्यादा है जो ज्यादा गुरुत्वबल उत्त्पन्न करता है। इसी वजह से यह ग्रह थोड़ा सिकुड़ जाता है और परिणाम स्वरूप युरेनस की तुलना में थोड़ा छोटा दिखाई देता है।
Rotation and orbit – परिभ्रमण और कक्षा
वरुण ग्रह का परिभ्रमण काल सिर्फ 16 घँटे का ही है। जिससे वहा का एक दिन सिर्फ 16 घँटे का ही होता है।
दूसरी और सूर्य से बहुत दूर होने से इसकी कक्षीय अवधि बहुत लंबी है। इसे अपनी कक्षा में रहकर सूर्य की एक परिक्रमा (orbit) पूरी करने में 165 साल लग जाते है।

जिसे वहा का एक साल कहा जाता है।
हर 248 साल में प्लूटो नेप्च्यून (neptune in hindi) की कक्षा के अंदर आ जाता है और तकरीबन 20 साल तक रहता है। इस समय प्लूटो सूर्य से ज्यादा नजदीक होता है बजाय Neptune के।
लेकिन फिर भी वरुण ही सौरमंडल का आंठवा ग्रह बना रहता है क्योकि प्लूटो के पास अब ग्रह का पद नही है।
अंतरिक्ष में वरुण ग्रह का अक्षीय झुकाव 28° जितना है। जो की पृथ्वी (23°) और मंगल ग्रह (25°) के अक्षीय झुकाव के लगभग आसपास ही है।
इसीलिए यहाँ के मौसम में बदलाव देखने को मिलता है। पर जहाँ पृथ्वी पर एक मौसम का समय 4 महीने का होता है वहां neptune पर यह समय 40 साल का हो जाता है।
Structure of Neptune planet – वरुण ग्रह की संरचना
वरुण ग्रह की संरचना (Structure of Neptune) अरुण ग्रह के लगभग समान ही हैं।
यह तीन स्तर से मिलकर बनी है।
कोर (core)
आवरण (mantle)
वायुमंडल (atmosphere)

इस ग्रह की कोर iron, nickel और silicates से बनी है। जिसका द्र्व्यमान पृथ्वी की तुलना में 1.5 गुना अधिक है।
इसके उपर आवरण है। जो पानी, ऐमोनिया और मीथेन से मिलकर बना है। जो गर्म घना तरल पदार्थ के स्वरूप में है।
यह बर्फ के रूप में भी जाना जाता है। नेप्च्यून का 80% द्र्व्यमान बर्फ ही है। इसी वजह से वरुण ग्रह को ice giant planet भी कहा जाता है बजाय gas giant planet के।
इसी स्तर पर बहुत ही ज्यादा दबाव और तापमान की वजह से मीथेन के अणु डायमंड में परिवर्तित हो जाते है। परिणाम स्वरूप यहा पर डायमंड की बारिश भी होती है।
आवरण के बाद इसका वायुमंडल है जो बहुत गहराई तक फैला हुआ है। गैसीय ग्रह होने की वजह से यहा पर पृथ्वी की तरह कोई ठोस सतह नही है। जहाँ पर हम लेंड कर सके।
Atmosphere of Neptune in hindi – वरुण ग्रह का वायुमंडल
वरुण ग्रह का वायुमंडल (Atmosphere of Neptune) बेहत अजीब है। यह हायड्रोजन और हीलियम से मिलकर बना है। कुछ मात्रा में मीथेन गैस भी है। आप यहां ऑक्सिजन की उम्मीद छोड़ ही दो।
इसी मीथेन गैस की वजह से यह हमें नीले रंग का दिखाई देता है। जीससे वरुण ग्रह को नीला ग्रह (blue planet) भी कहा जाता है।
इसका वायुमंडल सूर्य से आने वाली गर्मी को परावर्तित कर देता है। जिससे यहाँ का तापमान -214℃ से -353℃ तक रहता है। इस तापमान का अंदाजा आप इसी से लगा सकते हो की 0℃ पर पानी बर्फ में बदल जाता है।
सौरमंडल के हर ग्रह के पास अपनी एक खासियत है नेप्च्यून के पास भी है। यहाँ की हवा सबसे तेज चलती है, जिनकी गति 2,200 km/h होती है। जो की सुपरसोनिक की गति के बैरियर को आसानी से तोड़ सकती है।
लेकिन यह हवाए ज्यादातर ग्रह की विरुद्ध दिशा में चलती है।
जिस तरह बृहस्पति ग्रह पर great red spot नाम का एक तूफान हजारो सालो से चल रहा है, उसी तरह का तूफान Voyager 2 यान ने साल 1989 में neptune planet पर भी देखा था। जिसे great dark spot नाम दिया गया है। जो हमारी पृथ्वी से भी बड़ा था।
लेकिन फिर कुछ सालो बाद रिसर्च करने पर वो तूफान वहाँ पर नही था, बदले में दूसरे तूफ़ान देखने मिले, जो दर्शाता है कि नेप्च्यून पर अभी भी बड़ी मात्रा में मौसम सक्रिय है।
सूर्य से सबसे ज्यादा दूर होने की वजह से यहाँ पर उसकी ऊर्जा लगभग ना के बराबर पंहुचती है। लेकिन फिर भी वरुण ग्रह का (neptune in hindi) मौसम सबसे खतरनाक और अजीब है।
यह अभी भी रहस्य है कि ऐसे मौसम के लिए इस ग्रह को ऊर्जा कहाँ से मिलती है।
Rings and moons – वलय और चंद्रमा
जिस तरह शनि ग्रह के पास रिंग्स है उसी तरह नेप्च्यून के पास भी है। लेकिन यह बहोत ही कम घनी और हल्की सी चमकदार है। इसके पास कुल मिलाकर 5 Rings आयी हुई है।
जैसे जैसे वैज्ञानिक इसकी खोज में जुड़ते गये वैसे वैसे उनके नाम पर से इन रिंग्स के नाम रखे गए।
वरुण के पास कुल 14 चंद्रमा (moons) है। इनमे से 6 चाँद को वॉयजर यान ने साल 1989 में ही खोज लिए थे। जब वो इस ग्रह की जाँच कर रहा था।
इनमे से ट्राइटन सबसे बड़ा है। सारे चाँद का 99.5% द्र्व्यमान इस अकेले के पास है। आश्चर्य की बात तो यह है कि यह सौरमंडल का एकलौता ऐसा चाँद है जो उल्टी दिशा में घूमता है।
यह उपग्रह Neptune के मिलने के ठीक 17 दिन बाद खोजा गया था।
ट्राइटन का व्यास लगभग 2,700 km के आसपास है। जो की प्लूटो से भी बड़ा है। यह सौरमंडल का सातवां सबसे बड़ा चंद्रमा है।
अनुमान लगाया गया है कि ट्राइटन एक बौना ग्रह था जिसे नेप्च्यून की ग्रेविटी ने अपनी कक्षा में खिंच लिया होगा।
इसकी आंतरिक सरंचना प्लूटो से मिलती है जिसका अर्थ है कि दोनों का निर्माण एक ही स्त्रोत से हुआ होगा।
ट्राइटन के आवरण के अंदर रहा पानी कई बार बहार सतह पर आता है और जम जाता है। जिससे इसकी सतह नाइट्रोजन बर्फ से ढंक जाती है।
परिणाम स्वरूप इसकी सतह सक्रिय रूप से नवीनीकृत होती रहती है।
पानी होने के बाद भी इस चंद्रमा पर जीवन बहुत मुश्किल है। सूर्य से दूर होने की वजह से यहा पर बहुत ही ठंडा तापमान होता है करीब – 235 ℃. जो जीवन के लिए अनुकूल नही है।
Life and mission of Neptune – जीवन और मिशन
यह बात पहले ही साफ़ हो गयी है की वरुण ग्रह पर जीवन (Life) संभव नही है। क्योकि इसके वातावरण में ना ऑक्सिजन है और ना ही यहां पर ठोस जमीन है।
पर इसके सबसे बड़े उपग्रह ट्राइटन पर जीवन संभव हो सकता है। लेकिन नाइट्रोजन की वजह से यह भी बेहत ठंडा है।
अब आते है इसके अंतरिक्ष मिशन (mission) पर।
वरुण ग्रह (neptune in hindi) हम से बहोत दूर है, जिससे उस पर मिशन करना बेहत कठिन है, फिर भी एक यान Voyager 2 उस तक पहुंच गया था और उसने इस ग्रह की ढेर सारी जानकारी हमे दी थी।
साल 2025 में NASA इस ग्रह पर अपना मिशन करेगा जो इस ग्रह के साथ ट्राइटन की भी रिसर्च करेगा।
लेकिन तब तक हम इस ग्रह से जुड़े कुछ अदभुत तथ्यों को जान लेते है।
Facts about Neptune planet in hindi – अरुण ग्रह के तथ्य
साल 1846 में वरुण ग्रह की खोज होने के बाद साल 2011 में उसका एक साल पूरा हुआ था।
साल 2041 में वरुण ग्रह हमारी पृथ्वी से सबसे करीब होगा। सिर्फ 28.8 AU दुर।
ज्यादातर संस्कृति में इस ग्रह को समुद्र के राजा या देवता के नाम से ही जाना जाता है।
Neptune planet का चुम्बकीय क्षेत्र पृथ्वी से 27 गुना ज्यादा शक्तिशाली है।
नेप्च्यून पर सूर्य पृथ्वी की तुलना में 900 गुना कम चमकीला दिखाई देता है।
Conclusion
तो बस यह थी कुछ जानकारी वरुण ग्रह (Neptune in hindi) के बारे में। उम्मीद है आपको पसंद आयी होगी।
अब बारी आपकी है कॉमेंट में यह बताने की, की इस लेख में सबसे अच्छा आपको क्या लगा।
इसका इतिहास या वायुमंडल। जो भी हो कॉमेंट में बताएं।
लेकिन, अगर आप कुछ रोमांचक पढ़ना चाहते है तो इन लेखो को एक बार जरूर देखें।
👉 तारे क्या है और कैसे बनते है (खास तारे)
👉 क्वांटम फिजिक्स की रहस्यमय दुनिया (सरल भाषा में)