धूमकेतु भी ब्रह्मांड की दूसरी रचनाओं की तरह ही होते है, लेकिन जहाँ दूसरे खगोलीय पिंड पथ्थर और धूल से बने होते है वहाँ धूमकेतु (comet in hindi) की रचना धूल, गैस और खास करके बर्फ से बनी होती है।
जिस तरह से सौरमंडल के ग्रह सूर्य की परिक्रमा करते है उसी तरह धुमकेतु भी सूर्य के चारो और घूमते है, लेकिन वो ग्रहो की तरह सूर्य को अपना केंद्र नही बनाते बल्कि उसे अपनी कक्षा के अंत बिंदु की तरह लेते है।
जब यह Dhumketu सूर्य के नजदीक से पसार होता है तब सूर्य की गर्मी की वजह से उसके अंदर के गैस और बर्फ जलते है और यही गैस और बर्फ की वजह से वो comet चमक उठते है साथ ही यह पीछे एक लंबी पूंछ को बनाते है।
केन्द्र में से निकलने वाला बर्फ बहोत ही ज्यादा मात्रा में होता है, इसी वजह से धुमकेतु के पीछे बनने वाली पुंछ की लंबाई भी बहोत ज्यादा होती है। आम तौर पर यह पृथ्वी की लंबाई से 15 गुना बड़ी होती है। जब की
एक धुमकेतु की लंबाई 3 किलोमीटर से लेकर 30 किलोमीटर ही होती है।
जब पूंछ की लंबाई 1 AU से अधिक बढ़ जाती है तब हमें वो धुमकेतु नँगी आँखों से दिखाई देते है। कुछ धुमकेतु (comet in hindi) को हम देखने में असमर्थ होते है क्योंकि उनकी चमक हल्की सी ही होती है।
आपके मन में सवाल जरूर आया होगा की असल में यह Dhumketu आते कहा से है और किस तरह से सूर्य की परिक्रमा करते है। चलिये अब इसका भी जवाब जानते है।
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comet in hindi
सौरमंडल का आंठवा ग्रह नेप्च्यून जिस कक्षा में घूमता है वहाँ सूर्य के चारो और क्षुद्रग्रह का एक गोल घेरा बना हुआ है। क्षुद्रग्रह धूल, गैस और पथ्थर इन्ही सब से मिलकर बने एक खगोलीय पिंड होते है। तो बस इसी घेरे में से धुमकेतु (comet in hindi) आते है। इस घेरे को kuiper belt के नाम से जाना जाता है।
लेकिन क्या सारे धुमकेतु वही से आते है। नही, एक और जगह है जहाँ से ये धुमकेतु आते है। उस जगह का नाम oort cloud है और यह सौरमंडल के बहार स्थित है। यह एक विशाल बादल है जो 2,000 AU – 1,00,000 AU तक फैला हुआ है।
धुमकेतु kuipier belt और Oort cloud से सूर्य तक आते है और फिर वहा से वापस मुड जाते है। लेकिन कोन से धुमकेतु कहा से आते है वो कैसे पता चलता है।
इसका एक सरल सा जवाब है, जिस धुमकेतु (comet in hindi) की कक्षा का समय 200 साल से कम का होता है वो kuiper belt से आते है और इन्हें short period comet कहा जाता है। जो 200 साल से अधिक कक्षा समय वाले होते है उन्हें long period comet कहा जाता है। यह उर्ट क्लाउड से आते है।
अब चलिये जानते है Dhumketu का इतिहास
History of comet in hindi
इसका इतिहास (history of comet in hindi) बड़ा सिम्पल है, मैंने आपको पहले बताया उसी तरह जब यह सूर्य के नजदीक से पसार होते है तो हम इसे देख सकते है। प्राचीन समय में भी लोग इन्हें देखते है जिनका उल्लेख उनके प्राचीन किताबो में हमे मिलता है। पहले के समय में लोग इसे एक तारा समझते थे और भगवान के तौर पर पूजते भी थे।
विज्ञान के मुताबिक भी इसका इतिहास बेहत रोमांचक है। पहले लोगो को लगता था कि धुमकेतु हमेशा ब्रह्मांड में अलग अलग जगहों पर सफर करते रहते है और सूर्य के नजदीक सिर्फ एक बार ही आते है।
पर Edmond halley नामके खगोल शास्त्री ने एक धुमकेतु का अभ्यास किया। उसने बताया कि पिछली बार जब साल 1531, 1607 और 1680 में जो धुमकेतु दिखाई दिया था, वो एक ही था और अब यह भविष्य में साल 1758 में दिखाई देगा।
इसकी यह संभावना सच साबित हुई। इससे यह निश्चित हो गया कि धुमकेतु की भी ब्रह्मांड में अपनी एक कक्षा होती है और वो उसी पर सफर करते है। खोजने वाले वैज्ञानिक के सन्मान में इस धुमकेतु का नाम भी Halley comet रखा गया।
अब आपने जान लिया की धुमकेतु (comet in hindi) की खोज कैसे हुई चलिये जानते है उसकी रचना को, जो की थोड़ी सी अजीब है।
About comet in hindi
Dhumketu को समझने के लिए आपको पहले इन भागो को समझना होगा।
Nucleus: यह केंद्र का भाग होता है जिसके अंदर बर्फ और गैस आयी होती है। आम तौर पर एक धुमकेतु (comet in hindi) का यह भाग 16 किलोमीटर जितना बड़ा होता है।
Coma: जब धुमकेतु अपने अंदर से गैस और धूल उत्पन्न करता है तब उसके आसपास एक पतला सा वातावरण बनने लगता है। इसमें ज्यादा हायड्रोजन होने की वजह से इसे हायड्रोजन बादल भी कहा जाता है। यह बादल करोड़ो किलोमीटर तक फैला हुआ होता है। कभी कभी तो यह सूर्य से भी बड़ा हो जाता है।
साल 2007 में दिखाई देने वाला Holmes comet का हायड्रोजन बादल सूर्य से भी बड़ा था। पर जैसे जैसे यह सूर्य से दूर जाता है वैसे वैसे वो छोटा होता जाता है।
Tail: धुमकेतु के केंद्र से निकले पदार्थ से दो तरह की पूंछ बनती है। gas tail और dust tail.
धूल से बनी पूंछ ठीक धुमकेतु (comet in hindi) के पीछे होती है यह लाखो किलो मीटर लंबी होती है, जब यह पूंछ पृथ्वी के पास से निकलती है तब इसके कुछ टुकड़े पृथ्वी पर आ गिरते है।
दूसरी पूंछ गैस से मिलकर बनी होती है। सूर्य के सौर पवन में रहे विद्युत कण जब इस पर पड़ते है तब यह आयनिय हो जाती है और बहोत ज्यादा चमकने लगती है। इसकी लंबाई कई करोडो किलोमिटर तक होती है।
Comet meaning in hindi
Comet शब्द लेटिन और ग्रीक भाषा से आया है। जिसका अर्थ long hair star यानि की लंबे बालों वाला तारा होता है। यह नाम उसे अपनी लम्बी पूंछ की वजह से मिला है।
हिंदी भाषा (comet meaning in hindi) में comet को धुमकेतु के नाम से जाना जाता है।
Famous comets in hindi
सबसे ज्यादा फेमस हेली का धुमकेतु (Halley’s comet in hindi) है। जो की 76 साल में सिर्फ एक बार ही दिखता है। इसके बारे में हमने पहले ही बात की है, लेकिन अभी भी कुछ जानकारी है जो हमे जाननी चाहिये।
इसका उल्लेख प्राचीन किताब Bayeux Tapestry में भी किया गया है। यह Dhumketu 15 km लंबा और 8 km चौड़ा है। यह आखरी बार हमें साल 1986 में दिखाई दिया था, उस समय यह ध्रुव तारे से भी ज्यादा चमक रहा था। अब हमे ये साल 2061 में दिखाई देगा।
Shoemaker-Levy 9 नाम के धुमकेतु ने साल 1994 में गुरु ग्रह को एक जोरदार टक्कर मारी। हुआ ये था कि जब यह comet गुरु ग्रह के नजदीक से गुजर रहा था तब उसके गुरुत्वाकर्षण बल ने उसे अपनी तरफ खिंचा। इस टक्कर की वजह से गुरु ग्रह की सतह पर एक आग का गोला उतपन्न हुआ जो की 3,000 km ऊपर तक उडा।
Comet ISON नाम का धुमकेतु साल 2013 में सूर्य के नजदीक आया था, लेकिन सूर्य की भयानक गर्मी की वजह से वो वहाँ पर ही नष्ट हो गया।
इन फेमस धुमकेतु (comets in hindi) के अलावा कुछ और बाते भी है जो जानना जरूरी बनता है उनमें से कुछ मैंने आपको नीचे फेक्ट में बताई है।
Facts about comet in hindi
कहा जाता है कि oort cloud में करोड़ो की संख्या में धुमकेतु आये हुए है।
धुमकेतु (comets) और क्षुद्रग्रह (asteroid) का आकार लगभग समान होता है इसीलिए कई बार धुमकेतु को पहचानना कठिन हो जाता है।
क्षुद्रग्रह और Dhumketu में बस यही फर्क यही होता है कि उसके केंद्र में बर्फ आयी होती है जब की क्षुद्रग्रह का केंद्र धूल और पथ्थर से ही बना होता है।
साल 2004 में नासा ने deep impact नाम का एक मिशन भी किया था। यह जानने के लिए की धुमकेतु (comets in hindi) में कितनी मात्रा में पानी से बना बर्फ होता है। तब उन्हें पता चला की इसमें मीथेन, कार्बन डाइऑक्साइड और ऐमोनिया से बनी बर्फ भी मौजूद है।
जब यह धुमकेतु हमारी पृथ्वी की और आते है तब सूर्य की गरमी कि वजह से उसमे से निकला कुछ मलबा पृथ्वी पर भी आ गिरता है। जिसे हम meteor shower कहते है। हर साल ऑगस्ट महीने में Swift-Tuttle comet नाम के धुमकेतु का मलबा हमारी पृथ्वी पर आ गिरता है।
जो Dhumketu बहोत ज्यादा चमकते है उसे great comet कहा जाता है
ज्यादातर comet के पूंछ की चमक हल्की सी होती है इसीलिए बिना टेलिस्कोप के इसे देखना संभव नही होता।
तो बस यह थी कुछ जानकारी धुमकेतु (comet in hindi) के बारे में। अगर आपको सौरमंडल के बारे में वो जानना है जो कभी किसीने पहले ना बताया हो तो यह लेख आपके लिए ही है।