Black hole in hindi

ब्लैक होल (black hole in hindi) ब्रह्मांड के वो दानव है जो रास्ते में आने वाली किसी भी चिज को अपने अंदर निगल जाते है। यहाँ तक की प्रकाश भी उससे बच नही सकता।

जब कोई तारा मरता है तब उसी में से जन्म लेता है एक ब्लैक होल। जब यह black hole बनते है तब इनका आकार तो छोटा होता है लेकिन द्र्व्यमान सूर्य से हजारो गुना ज्यादा।

जिससे उसका गुरुत्वबल बहोत ज्यादा होता है और यही कारण है कि प्रकाश भी उससे बच नही सकता।

लेकिन प्रकाश ही क्यों?

हम हर बार यह क्यों कहते है कि प्रकाश भी नही निकल सकता।

क्योकि हमारे ब्रह्मांड में प्रकाश की गति सबसे ज्यादा है, लगभग 3 लाख किलोमीटर प्रति सेकंड।

किसी भी कण की गति जितनी ज्यादा होगी वो उतना ही गुरुत्वाकर्षण बल से बच पायेगा।

लेकिन यहा light की इतनी ज्यादा गति होने के बावजूद भी वो ब्लैक होल से नही बच सकता।

जो बताता है कि ब्लैक होल का गुरुत्वबल कितना शक्तिशाली है।

Black hole in hindi, what is black hole in hindi, ब्लैक होल क्या है

चलिये अब विस्तार से जानते है कि असल में ब्लैक होल क्या है (what is black hole in hindi). पर उससे पहले एक नजर उसके इतिहास पर।

History of black hole – ब्लैक होल का इतिहास

साल 1915 में अल्बर्ट आइंस्टीन ने ब्लेक होल का जिक्र उसकी Theory of general relativity के द्रारा किया था।

उसने बताया कि हमारे ब्रह्मांड में शक्तिशाली gravity के कारण प्रकाश भी मुड़ सकता है।

इसके बाद Karl Schwarzschild नाम के वैज्ञानिक ने इस बात को आगे बढ़ाया और कहा कि एक बिंदु जिसका घनत्व अंनत हो ऐसी चीज का अस्तित्व ब्रह्मांड में होना चाहिए

यहा पर उसने ब्लैक होल के केंद्र singularity का जिक्र किया था।

पर अंनत और शून्य यह ऐसी वैल्यू है जो अगर भौतिक वीज्ञान के किसी क्षेत्र में दिखाई पड़ती है तो वैज्ञानिको के होश उड़ जाते हैं।

साथ ही इस वैल्यू के साथ मिले परिणामो को भी नकारा जाता है। और ऐसा ही कुछ Karl Schwarzschild के साथ ही हुआ।

अंनत द्र्व्यमान (mass) की वजह से यह बात उतनी ज्यादा नही चली और ब्लैक होल की खोज को नही माना गया।

पर आखिर में साल 1971 में एक ब्लैक होल को खोजा गया जिसका नाम था Cygnus X-1.

अब जानते है कि ब्लैक होल कैसे बनते है (black hole information in hindi).

Black hole in hindi – ब्लैक होल क्या है

जब किसी तारे का ईंधन खत्म हो जाता है तब जाकर ब्लैक होल (black hole in hindi) की स्थिति उतपन्न होती हैं।

होता यह है कि किसी भी तारे (star) को ऊर्जा उसके अंदर रहे हायड्रोजन और हीलियम गैस की वजह से मिलती है।

लेकिन जब करोड़ो साल बाद यह गैस खत्म हो जाते है, तब उस तारे के बीच का भाग पीछे रह जाता है।

इस भाग को कोर कहते है। यह कोर फिर अपने केंद्र के अंदर सिकुड़ने लगता है या कहे वो बचा हुआ भाग छोटा होने लगेगा।

पर एक हद तक ही यह प्रक्रिया होती नजर आएगी।

फिर केंद्र में ज्यादा द्र्व्यमान जमा होने की वजह से तारे का वो भाग खुद की ही गुरुत्व शक्ति को संभाल नही पायेगा।

और फिर एक धमाका होगा और उसी मे से जन्म लेगा black hole.

ब्लैक होल का सारा द्र्व्यमान उसके केंद्र में ही होता है, यह केंद्र में रहा द्र्व्यमान वाला भाग बहोत ही सूक्ष्म होता है, एक कण से भी छोटा।

लेकिन उसमे सूर्य से हजारो गुना बड़े तारे जितना द्र्व्यमान समाया होता है।

जैसे जैसे यह आगे बढ़ता है रास्ते में आने वाली सारी चीजो को निगलता जाता है, ज्यादातर तो धूल और गैस को खाकर यह बढ़ता है।

यह सारी निगली हुई चीजे उसके केंद्र में जाकर ही रूकती है।

इससे हम यह कह सकते है कि ब्लैक होल में कुछ नही होता लेकिन सब कुछ होता है।

आम तौर पर सारे ब्लैक होल एक जैसे ही होते है, लेकिन कुछ का द्र्व्यमान सूरज से सो गुना ज्यादा होता है और कुछ का करोड़ो गुना।

इसी पर से ब्लैक होल के तीन प्रकार है।

Stellar mass black hole
Supermassive black hole
Intermediate black hole

Stellar mass black hole

जब किसी छोटे तारे के अंदर का ईंधन समाप्त हो जाता है तब उसी में से जो ब्लैक होल बनता है उसे Stellar mass black hole कहते है।

इन ब्लैक होल का द्र्व्यमान या सरल भाषा में कहे उनका वजन हमारे सूर्य से 3 गुना या उससे ज्यादा होता है। लेकिन आकार सिर्फ दिल्ली या मुम्बई शहर जितना ही होगा।

हमारी मिल्की वे गेलेक्सि या कहे आकाशगंगा में करोड़ो की संख्या में इस तरह के ब्लेक होल आये हुए है।

Supermassive black hole

वो ब्लैक होल जिनका द्र्व्यमान सूर्य से अरबो गुना ज्यादा होता है। जब की आकार सिर्फ हमारे सूर्य जितना ही होता है।

इतने भारी होने की वजह से ही इसे Supermassive black hole नाम दिया गया है।

यह ब्लेक होल आसानी से हमारे सौरमंडल को पलभर में खतम कर सकते है, अगर वो सूर्य की जगह पर हो तो।

लेकिन डरने वाली कोई बात नही है, यह सिर्फ गेलेक्सि के केंद्र में ही पाए जाते है।

कोई ऐसा तारा (star) जिसका द्र्व्यमान और आकार सूर्य से कई ज्यादा हो, यहा तक की अरबो गुना जयादा, उसी में से बनता है यह ब्लैक होल।

पर सिर्फ यह एक ही वजह नही है उसके जन्म की।

जब कई Stellar mass black hole एक दूसरे से टकराते है तब वो सब एक हो जाते है और जन्म देते है सुपर मैसिव ब्लैक होल को।

एक और वजह यही है कि जब अंतरिक्ष में कई बड़े बादल टकराते है तन उनका द्र्व्यमान बहोत ज्यादा हो जाता है और वो अपने अंदर सिकुड़ने लगते है।

फिर इसमें से जन्म लेता है एक विशाल ब्लेक होल।

चौथी संभावना यह है कि तारो के कई समूह एकसाथ आते है और आपस में मिलते है जिसके परिणाम में जन्म होता है एक super massive black hole का।

Intermediate black hole

क्या हमारे ब्रह्मांड में सिर्फ छोटे और विशाल ब्लैक होल ही पाए जाते है।

यह सवाल वैज्ञानिको के लिए भी पहली बना हुआ था कि क्यों हमे अब तक कोई मीडियम आकार का ब्लैक होल (Intermediate black hole) नही मिला।

क्या इस तरह के ब्लैक होल (black hole in hindi) का अस्तित्व है।

जवाब है हां।

अभी कुछ समय पहले के अभ्यास के दौरान ही इस तरह के black hole की खोज हुई है जिनका द्र्व्यमान सूर्य से कुछ हजारो गुना ही ज्यादा है।

साल 2018 की रिसर्च के मुताबिक कुछ गेलेक्सि से ऐसे x ray किरणों को डिटेक्ट किया गया है, जो ब्लैक होल की घटना से निकलते हो।

यह रिसर्च के अनुसार इन ब्लैक होल का द्र्व्यमान 36,000 से 3,16,000 सूर्य जितना हो सकता है।

वो तारे जो सूर्य से हजारो गुना बड़े है लेकिन इतने भी विशाल नही की उसमे से सुपर मैसिव ब्लैक होल बन सके , उनमे से बनते है यह सामान्य आकार के ब्लेक होल जिन्हें Intermediate black hole नाम दिया है।

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यहा हमने जान लिया की ब्लैक होल के कितने प्रकार होते है, अब बारी है यह जानने की ब्लैक होल की शक्ति कहा तक होती है और उसके केंद्र में आखिर क्या होता है।

Event horizon – घटना क्षितिज

Event horizon ब्लैक होल की एक काल्पनिक डिस्क है जो उसके चारों और बनी होती है।अगर कोई खगोलीय चिज इस डिस्क को पार करती है तो फिर उसका वापिस आना असंभव है।

वो सीधा black hole के केंद्र में जाकर ही गिरेगी।

इसके दो स्तर होते है।
अंदर का स्तर (inner event horizon)
बहार का स्तर (outer event horizon)

अगर कोई चिज घटना क्षितिज के बहार के स्तर पर है तो वो थोड़ा बहोत ही केंद्र की तरफ खींचेगी। पर ब्लैक होल के भयंकर गुरुत्वबल (gravity) का शिकार बनने से बच जाएगी।

लेकिन वो अंदर के स्तर पर है तो वो गुरुत्वाकर्षण बल का शिकार होती सीधे ब्लैक होल के केंद्र में चली जाएगी।

Singularity – सिंगुलैरिटी

ब्लैक होल के केंद्र को Singularity कह जाता है, असल में यहाँ क्या है वो किसी को पता नही, लेकिन कुछ थियरी की माने तो यह सिर्फ एक सूक्ष्म बिंदु ही है जिसमे अंनत द्र्व्यमान समाया हुआ है

या कह सकते है कि इसकी घनता अंनत होती है। black hole का जो गुरुत्वबल बल उत्पन्न होता है वो यहाँ से ही होता है।

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ब्लैक होल में गिरने वाली चिज सिकुड़ कर यहा पर आकर ही जमा हो जाएगी।

साथ ही यहा केंद्र मे वो स्थिति उत्पन होती है जो ब्रह्मांड में कही नही देखने मिलती।

यह पर समय और स्थान (spacetime) दोनों एक हो जाते है।

ऐसा होने से ब्रह्मांड की कई सीमाएं टूटती है जिसके बारे में हम आगे बात करेंगे।

ब्लैक होल के नजदीक धीमा समय

न्यूटन के समय यही माना जाता था कि ब्रह्मांड में सब जगह समय एक साथ ही चलता है और यह सुनने में भी तर्किक है।

मान लीजिए आप अभी के समय दिल्ली है और आपका दोस्त जिसका नाम रोहन है वो मुम्बई में है।

अब जब आपका एक घँटा बीतेगा तो उतना ही समय रोहन के लिए बीतेगा। ऐसा कभी नही होगा आपके दो घँटे बीत गए लेकिन रोहन का सिर्फ एक घंटा ही बिता हो।

पहले यही सोच पुरे ब्रह्मांड पर लागू होती थी, जैसे अगर पृथ्वी पे एक घँटा बीतेगा तो पूरे ब्रह्मांड में एक घंटा बीतेगा।

लेकिन आइन्स्टाइन की थियरी से यह बात गलत साबित हुई। अंतरिक्ष में समय गुरुत्वबल पर निर्भर करता है।

अगर आप ब्लैक होल (black hole in hindi) के नजदीक हो और आपका दोस्त रोहन ब्लेक होल से दूर आपको देख रहा है तो वो आपकी हलनचलन को धीमा देखता पाएगा। जब की आप के लिए सब सामान्य होगा।

इसी तरह अगर आप रोहन को देखेंगे तो आपके लिए उसकी प्रतिक्रियाएं बहोत तेज होगी। जब की उसके लिए सब सामान्य होगा।

यह इसीलिए होता है कि आप black hole के पास है और वहाँ गुरुत्वबल बहोत ज्यादा होता है, जिससे वहा समय धीमा गुजरेगा वही दूसरी और रोहन जिस स्थान पर है वहाँ गुरुत्वबल थोड़ा कम है। जिससे उसके लिए समय आपकी तुलना में ज्यादा तेज होगा।

अगर आपने होलीवुड की मूवी interstellar देखी है तो आपको पता होगा की उसमे वो अंतरिक्ष यात्री ब्लैक होल के नजदीक रहे एक प्लेनेट पर जाते है और वहा कुछ ही समय बिताते है लेकिन पृथ्वी पर समय कई सालों जितना बीत गया होता है।

Hawking radiation – हॉकिंग विकिरण

साल 1974 में वैज्ञानिक स्टीफन हॉकिंग ने यह थियरी दी की black hole हमेशा रेडियशन को उत्सर्जित करते रहते है। इस थियरी को Hawking radiation नाम दिया गया।

अगर यह थियरी सच है तो ब्लैक होल(black hole in hindi) समय के साथ अपने द्रव्यमान को गुमाते जाएंगे और छोटे होते जाएंगे।

इसके मुताबिक बड़े ब्लैक होल कम मात्रा में रेडियशन उत्सर्जित करते है जब की छोटे ब्लेक होल ज्यादा।

छोटे ब्लैक होल के पास पहले से ही कम द्र्व्यमान (mass) होता है और उल्टा वो ज्यादा रेडियशन छोड़ते है, उसी वजह से उनका जीवन बहोत छोटा होता है।

जैसे की,

अगर किसी black hole का द्र्व्यमान कार जितना है तो उसका आकार 10^−24 जितना होगा और उसे खत्म होने में सिर्फ सेकंड के करोड़वें हिस्से का ही समय लगेगा।

इतने समय में उत्सर्जित होने वाले radiation की चमक सूर्य से भी 200 गुना ज्यादा होगी।

वही दूसरी और बड़े ब्लैक होल लंबे समय तक चलते रहते है। पर इसकी वजह क्या है।

इसका कारण है कोस्मिक माइक्रोवेव बैकग्राउंड। यह ब्रह्मांड की उत्त्पति के समय अंतरिक्ष में फैला रेडियेशन है जो आज भी मौजूद है।

ब्लैक होल निगलने के लिये इन विकिरण को भी नही छोड़ते। लेकिन छोटे ब्लेक होल इतना सारा नही खिंच पाते जितना बड़े खाते है।

बड़े ब्लैक होल जितना हॉकिंग विकिरण गुमाते है उससे कई ज्यादा ब्रह्मांड में से सोख लेते है, जिससे वो बढ़ते ही जाते है।

अगर हॉकिंग रेडिएशन की थियरी सच है तो सूर्य जितने द्र्व्यमान वाले black hole को खत्म होने में 10^64 (10 के पीछे 64 शून्य) साल लग जाएंगे और जो supermassive black hole होते है उनका तो पुछीये ही मत, लगभग 10^106 साल।

यहा तक आपने जान लिया की आमतौर पर ब्लैक होल क्या है (what is black hole in hindi) और उसमे में क्या होता है, लेकिन अब समय आ गया है कुछ ऐसा जानने का जो हमे ले जाएगा दूसरे ब्रह्मांड में।

चलिये अब फिर से ब्लैक होल के केंद्र में चलते है।

what is inside a black hole – ब्लेक होल के अंदर क्या होता है

हमने पहले जो ब्लैक होल के केंद्र के बारे में जाना वो स्थिर स्थिति थी। लेकिन अगर हम घूमते black hole में गिरते है तो एक जादुई संभावना जन्म लेती है।

1. जैसे आप केंद्र के नजदीक पहुचने लगेंगे space and time एक होता जाएगा जिससे ब्लैक होल एक नए ब्रह्मांड का रास्ता बन जाएगा।

ऐसा लगेगा जैसे ब्लैक होल दो ब्रह्मांड के बिच की सुरंग हो, इस सुरंग को worm hole नाम दिया है।

इस wormhole के जरिये आप पहुंच जाएंगे एक नयी दुनिया में।

2. या फिर आप अपने ही भुतकाल में वापिस चले जाओगे जिसे हम time travel कहते है।

अगर यह सच साबित होता है कि हम ब्लैक होल के जरिये भुतकाल में समय यात्रा कर सकते है तो कई समस्याए उतपन्न होगी।

जिनमे अबसे प्रख्यात है दादाजी वाली।

अगर आप भुतकाल में जाकर अपने दादाजी को मार देते हो तो आपका जन्म कैसे हुआ और आपका जन्म नही हुआ तो आपके दादाजी को किसने मारा।

यही सवाल की वजह से कुछ लोग इस संभावना को नही मानते।

3. एक और संभावना यह है कि black hole की दुसरी तरफ वाइट होल बना होता है जो अपने अंदर की सारी चीजो को बहार की तरफ फेकता है।

यह कुछ हद तक सही भी लगता है। क्योंकि ब्रह्मांड का नियम है कि कोई भी कण या ऊर्जा को बनाया या नष्ट नही किया जाता है तो ब्लैक होल में गयी सारी चीजो का क्या।

इसका जवाब है white hole. जो ब्लैक होल के द्रारा निगली हुई चीजो को बहार निकालता है।

4. कुछ थियरी की माने तो हर ब्लैक होल के अंदर एक ब्रह्मांड होता है। तो यह भी संभव है कि हमारा ब्रह्मांड भी किसी black hole के अंदर आया हुआ होगा।

अगर यह बात सच है तो असल में ब्रह्मांड कितना बड़ा होगा।

Black hole image – ब्लेक होल की तस्वीर

ब्लैक होल की इमेज लेना असंभव है, क्योकि हम सिर्फ उसी चिज को देख सकते है जिस पर प्रकाश परावर्तित होता हो।

लेकिन ब्लैक होल (black hole in hindi) पर जो भी प्रकाश पड़ता है वो कभी वापिस नही आता। यही वजह है कि हम कभी ब्लैक होल की तस्वीर नही ले सकते और ना ही कभी उसे देख सकते है।

पर आपने अभी कुछ समय पहले सुना होगा की black hole की फोटो ली गयी है।

वो कैसे ली गयी, चलिये जानते है।

साल 2019 में ब्लैक होल इमेज जो सामने आयी उसके लिये पूरी दुनिया में 8 विशाल radio telescope को लगाया गया था जिन्हें event horizon telescope नाम दिया गया था।

इन सारे टेलिस्ककोप का उपयोग करके M87 (messier 87) गेलेक्सि के केंद्र में रहे ब्लैक होल की वजह से उतपन्न होने वाली गुरुत्व तरंगे और रेडियो तरंगे को इकठ्ठा करके यह तस्वीर बनायी गयी है।

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मतलब जो अभी हमारे सामने तस्वीर आयी है वो पूरी तरह से असली नही है। सच तो ये है कि हम कभी black hole को देख ही नही सकते।

हां, ऐसा हो सकता है को भविष्य में हम इसे देखने में कामयाब हो जाए, पर अभी के समय यह संभव नही है।

अब चलिये फिर से बात करते है उसके केंद्र के बारे में।

black hole theory in hindi – ब्लैक होल सिद्धांत

Black hole का केंद्र कितना रहस्यमय है यह बताने की जरूरत नहीं है लेकिन अभी भी वो एक ऐसी थियरी की तरफ इशारा करता है जिसे अभी तक हम नहीं जान पाए है।

बात ऐसी है की Singularity जो की ब्लैक होल का केंद्र है वहाँ पर theory of general relativity और quantum field theory दोनों सिद्धांत के नियम का पालन होता है।

समस्या यह है कि प्रकुति को समझने वाली दो अलग अलग थियरी एक साथ कैसे।

चलिये यह बात विस्तार से जानते है।

क्वांटम फिजिक्स की दुनिया जो अति सूक्ष्म स्तर पर बनी होती है, वहाँ हमारी सामान्य दुनिया के नियम काम नही करते।

उस स्तर के अपने ही क्वांटम फिजिक्स के नियम होते है।

लेकिन यह बात में आपको अभी क्यों बता रहा हु।

क्योकि ब्रह्मांड की स्थूल या कहे बड़ी वस्तु जैसे की धूल, पथ्थर, ग्रह, तारे ,गेलेक्सि इन सब पर classic physics के नियम लागु होते है जो theory of relativity द्रारा बताया गया है।

दूसरी और सूक्ष्म स्तर पर रहे कण जैसे की इलेक्ट्रान, प्रोटोन पर quamtum Physics के नियम लागू होते है। जो quantum field theory के द्रारा बताये गये है।

पर कभी भी ऐसा नही हो सकता कि दोनों के नियम एक साथ हो।

यहा तक की हमारे पास ऐसी कोई थियरी भी नही है जो इन दोनों को एक कर सके।

पर ब्लैक होल के केंद्र में दोनों थियरी एक साथ दिखाई पड़ती है। जो की असंभव है। यह बात कई नियमो को तोड़कर रख देती है।

इसका मतलब यह हुआ की एक ऐसी थियरी जरूर होनी चाहिए जो दोनों थियरी को एक साथ लाती हो। जो की हमे अभी तक नही मिली है।

फिर भी एक थियरी है जो दोनों को साथ लाती है उसे नाम दिया गया है string theory.

पर यह पूरी तरह से सच साबित नही हुई है।

अब बारी है black hole in hindi से जुड़े कुछ ऐसे सामान्य सवालो को जानने की जो बहुत बार पूछे जाते है।

Frequently asked questions – सवाल जवाब

कुछ सामान्य सवाल और उसके जवाब आपके लिए।

क्या होगा अगर सूर्य की जगह ब्लैक होल होता तो?

सीधा सा जवाब है वो ब्लेक होल पुरे सौर मंडल को खा जाता।

पर यह निर्भर करता है कि वो ब्लेक होल कितना बड़ा है, क्योकि अगर छोटा ब्लैक होल हुआ तो ऐसा हो सकता है कि उसके event horizon की रेखा ग्रहो से काफी दूर रहे, जिससे ग्रह को वो अपनी तरफ ना खिंच पाए।

अगर सूर्य ब्लैक होल बन जाए तो?

अगर सूर्य ब्लैक होल बन जाए तो वो किसी भी ग्रह को नही निगल पाएगा। जो जैसा था वैसा हो रहेगा।

क्योकि सूर्य के black hole बनने पर उसका सिर्फ आकार छोटा होगा, द्र्व्यमान तो उतना ही रहेगा और गुरुत्वबल द्रव्यमान पर आधारित है ना की आकार पर।

पर हम सूर्य का प्रकाश और उसकी गर्मी को खो देंगे जिससे ठंड बढ़ जाएगी और जीवन समाप्त हो जाएगा।

ब्लैक होल की खोज किसने की?

इसकी खोज का श्रेय जाता है Karl Schwarzschild को

क्या पृथ्वी ब्लैक होल बन सकती है?

हां, ब्रह्मांड की कोई भी वस्तु ब्लैक होल बन सकती है, बस शर्त इतनी है कि उसे सूक्ष्म स्तर पर सिकुड़ दिया जाना चाहिए।

वैसे इसके लिए एक सूत्र भी है, की किसी भी वस्तु को black hole बनाने के लिए कितना छोटा करना पड़ेगा।

अगर आपको पृथ्वी को ब्लैक होल बनाना है तो उसे 1 या 2 cm जितना करना पड़ेगा।

अब आप हो सोचिये 6,300 km बड़ी पृथ्वी को आप कैसे मटर के दाने जितना छोटा करोगे।

सबसे नजदीकी ब्लैक होल कोन सा है और क्या हमें उससे खतरा है?

हमारे सबसे नजदीकी ब्लैक होल V616 Monocerotis है, जो की हमारी ही आकाशगंगा में आया हुआ है।

यह पृथ्वी से 3,000 प्रकाश वर्ष दूर है, तो इससे हमें खतरा तो बिलकुल भी नही है। साथ ही आप यह भी जान लीजिए की यह stellar mass black hole है और इसका द्र्व्यमान 10 सूर्य जितना है।

अब बारी है सबसे खास सवाल की।

क्या होगा अगर हम ब्लैक होल में गिर जाए तो?

अगर आप ब्लेक होल में गिरेंगे तो event horizon को पार करते ही आपके चीथड़े उड़ जाएंगे।

वैसे मैंने पहले ही बता दिया है कि अगर आप black hole में गिरेंगे तो क्या होगा। अगर स्थिर ब्लैक होल हुआ तो केंद्र में चले जाएंगे और घूमता हुआ तो किसी और ब्रह्मांड में चले जाओगे।

जैसे ही आप event horizon को पार करेंगे तो आपके शरीर का पूरा खिंचाव नीचे के तरफ हो जाएगा और तभी आपकी मृत्यु हो जाएगी।

दुसरा अगर हॉकिंग रेडिएशन पूरी तरह से सच है तो event horizon के तुरंत बाद ही आप गर्मी की वजह से जल जाएंगे।

चलिये अब आखिर में ब्लैक होल से जुडे कुछ अजीब तथ्यों को जान लेते है।

Black hole Facts in hindi

1. दो ब्लैक होल जब आपस में टकराकर एक होते है तब खतरनाक तरंगों को जन्म देते है।

2. हमारी आकाशगंगा में लगभग 1 करोड़ से 1 अरब जितने black hole आये हुए है।

3. हमारी गेलेक्सि के केंद्र में रहे supermassive black hole का नाम sagittarius A है।

4. ब्रह्मांड का सबसे बड़ा ब्लैक होल TON 618 है जिसके पास हमारे सूर्य से 66 अरब गुना ज्यादा द्र्व्यमान है।

तो बस यह थी कुछ जानकारी ब्लैक होल (black hole in hindi) से जुडी जानकारी। अब बारी आपकी है कि आप् कॉमेंट में बताए की इस लेख में आपको सबसे ज्यादा क्या अच्छा लगा।

साथ ही अगर आपको ऐसा ही कुछ रोमांचक पढ़ना है तो आप यह लेख देख सकते हो।

 

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