क्या आप बृहस्पति ग्रह (jupiter in hindi) के बारे में सब कुछ जानना चाहते है? यह लेख आपको वो सारी जानकारी देगा, जो आपको चाहिए।
हमारे सौरमंडल का सबसे बड़ा ग्रह बृहस्पति ब्रह्मांड की एक अदभुत रचना है जिसके रहस्यों को जानना सच में बहुत मजेदार है।
तो चलिये जानते है वो सारे रहस्यों को एक एक करके।

Note: इस लेख में 15 रहस्यों को 15 भागों में बांटा गया है।
Table of Contents
बृहस्पति ग्रह का इतिहास – history of jupiter planet in hindi
बृहस्पति ग्रह (jupiter in hindi) पृथ्वी से दिखने वाला चौथा सबसे चमकीला खगोलीय पिंड है और आकार में भी बड़ा है।
जिसे ऐसे ही नजर अंदाज नही किया जा सकता और तो और वो हमारी पृथ्वी से ज्यादा दूर भी नही है।
इसीलिए jupiter को हम बिना किसी टेलीस्कोप के अपनी नँगी आँखों से भी देख सकते है।
इसी वजह से कई प्राचीन सभ्यताओं ने इस ग्रह को देखा था।
जिससे इस ग्रह (planet) को किसने खोजा यह कहना लगभग असंभव है।
लेकिन वो Galileo Galilei ही था जिसने 1609 में बृहस्पति ग्रह को पहली बार अपने टेलिस्कोप के जरिये देखा था।

इसके साथ ही उसने बृहस्पति के चार सबसे बड़े चंद्रमा की भी खोज की थी।
इस खोज ने इतिहास रच डाला।
क्योकि इससे पहले माना जाता था की पृथ्वी सौरमंडल का केंद्र है और सारे ग्रह इसकी परिक्रमा कर रहे है।
लेकिन इस खोज से पता चला की सौरमंडल का केंद्र सूर्य है और सारे ग्रह उसकी परिक्रमा कर रहे है।
नाम और हिंदी अर्थ – meaning of jupiter in hindi
jupiter रोमन संस्कृति में बिजली के देवता और देवो के राजा थे।
इसी पर से रोमन सभ्यता इस ग्रह को star of jupiter के नाम से जानती थे।
दूसरी और ग्रीक सभ्यता इसे Phaethon कहती थी। जिसका अर्थ होता है blazing star (चमकता तारा)
हिन्दू संस्कृति में जुपिटर को बृहस्पति ग्रह से जाना जाता है। जो की एक भगवान का नाम है।
इसके अलावा हम इसे गुरु ग्रह के नाम से भी जानते है। जिसका अर्थ बड़ा होता है।
कैसे बना बृहस्पति ग्रह – jupiter formation
आज से लगभग 4.5 अरब साल पहले एक विशाल धूल और गैस के बने बादल में से हमारे सौरमंडल का जन्म हुआ था।
तब गुरुत्वाकर्षण (gravity) बल की वजह से धूल और गैस एक जगह पर जमा होने लगे।
जिससे कई ग्रह बने और उसमे से ही एक था बृहस्पति ग्रह।
लेकिन इस ग्रह की रचना में गैस की मात्रा ज्यादा थी बजाय धूल के।
इससे यह एक गैसीय ग्रह बना।
इसी वजह से जुपिटर पर कोई जमीन नही है। अगर हम वहाँ लैंड करना चाहे तो हम उसके केंद्र में घुसते चले जाएंगे।
क्योकि इसकी सतह गैस और लिकविड से बनी हुई है।
बृहस्पति ग्रह (jupiter planet in hindi) के बनने की एक और धारणा यही है कि यह सौरमंडल के पहले से ही बनना शुरू हो गया था। उस समय वो इस जगह से काफी दूर था।
लेकिन जब सौरमंडल बना तब यह अंदर की और आ गया।
अब बारी है इसके खगोलीय जानकारी की।
बृहस्पति ग्रह की खगोलीय जानकारी – Jupiter in hindi
jupiter planet के विशाल आकार की वजह से वो सौरमंडल का सबसे बड़ा ग्रह कहलाता है।
इसका व्यास 1,42,000 km है। जब की हमारी पृथ्वी का सिर्फ 12,600 km ही है।
तुलना करने पर जुपिटर का आकार पृथ्वी से 11 गुना ज्यादा है।

कद में भी बृहस्पति ग्रह (jupiter in hindi) सबसे आगे है। हम अपनी इस पृथ्वी को इतना विशाल मानते है। लेकिन ऐसी 1,300 पृथ्वी इस ग्रह के अंदर समा सकती है।
इतना बडा कद होने के बावजूद भी jupiter के पास द्र्व्यमान (mass) की बहोत कमी है। पृथ्वी से यह तकरीबन 318 गुना ही ज्यादा भारी है।
आप को लग रहा होगा ये तो बहोत ज्यादा है लेकिन असल में उसके कद के मुकाबले यह द्र्व्यमान कुछ भी नही है। इसकी मुख्य वजह गैस की ज्यादा मात्रा है।
भले ही द्र्व्यमान कम हो, लेकिन jupiter उन ग्रहो में आता है जिसे हम अपनी नँगी आँखों से देख सकते है। क्योंकि यह सूर्य से ज्यादा दुरी पर नही है।
बृहस्पति सौरमंडल का पांचवा ग्रह है और इसकी सूर्य से औसतन दुरी 5.2 AU है।
इतनी दुरी होने की वजह से सूर्य की किरणो को इसकी सतह तक पहुँचने में 44 मिनिट लगते है।
Note: सूर्य और पृथ्वी के बीच के अंतर को 1 AU कहा जाता है।
अब जानते है इस ग्रह की कक्षा को।
परिभ्रमण और कक्षा – rotation and orbit
बृहस्पति ग्रह (jupiter planet in hindi) की कक्षा गोल ना होकर अंडाकार है। जिससे इसकी सूर्य से दूरी कम या ज्यादा होती रहती है।
सबसे कम दूरी जिसे aphelion कहा जाता है वो 4.9 AU है। जब की सबसे ज्यादा दुरी 5.4 AU है। जिसे perihelion कहा जाता है।
सौरमंडल का सबसे छोटा दिन बृहस्पति ग्रह पर होता है। सिर्फ 10 घटे का दिन।
जब की पृथ्वी (earth) के लिए एक दिन 24 घँटे के समान है।
इसकी मुख्य वजह jupiter की अपनी धरि पर तेज गति है।
लेकिन यह जितना अपनी धरि पर तेज है उतना ही अपनी कक्षा पर धीमा। इसे सूर्य का एक चक्कर पूरा करने में 12 साल लग जाते है।
साथ ही यह अपनी धरि पर सिर्फ 3.3 डिग्री ही जुका हुआ है। इसी वजह से यहाँ मौसम में ज्यादा परिवर्तन देखने को नही मिलता।
बृहस्पति ग्रह की रचना – structure of jupiter planet in hindi
jupiter गैस से बना हुआ है इसीलिए वहाँ पृथ्वी की तरह कोई ठोस सतह देखने को नही मिलती है।
इसकी रचना में सिर्फ प्रवाही और गैस ही है। जिसमे 90% हायड्रोजन और 10% हिलयम है।
वैसे देखा जाए तो शनि और जुपिटर की रचना समान है क्योकि यह दोनों ही gas giant planet है।
दूसरी और अरुण और वरुण ग्रह भी गैस से बने हुए है। लेकिन उन पर बर्फ की मात्रा ज्यादा है, जिससे उन्हें ice giant planet कहा जाता है।
अब आगे बढ़ते है।
बृहस्पति ग्रह का वायुमंडल – atmosphere
सौरमंडल का सबसे बड़ा वायुमंडल बृहस्पति ग्रह के पास ही है। जो लगभग 5,000 km जितनी ऊंचाई तक फैला हुआ है।
यह 90% हायड्रोजन और 10% हिलयम वायु से बना है।
लेकिन हिलियम के कण भारी होने की वजह से इस मात्रा में बदलाव आता रहता है।
पुरे वायुमंडल में देखे तो हायड्रोजन और हिलयम का यह प्रमाण 75 -24% देखने को मिलता है।
और बाकी का 1% दूसरे वायु जैसे की methane, water vapor, ammonia, silicon-based compounds, carbon, ethane, oxygen से बना है।
इससे आगे, बृहस्पति ग्रह (jupiter in hindi) के वायुमंडल का सबसे बाहरी स्तर में जमे हुए एमिनिया का भी कुछ हिस्सा शामिल है। जो बादल के स्वरूप में है।
इन बादलो में चलती हवा की गति 360 km/h जितनी होती है।
चुम्बकिय क्षेत्र – magnetosphere
पहले तो हम जानते है कि यह magnetosphere क्या होता है।
ग्रह की कोर में रहे धातु और घूर्णन गति की वजह से दो ध्रुव बनते है।
उत्तर ध्रुव (north pole)
दक्षिण ध्रुव (north pole)
यह दोनों ध्रुव मिलकर ग्रह के चुम्बकिय क्षेत्र की रचना करते है।
यह चुम्बकिय क्षेत्र वायुमंडल के जिस स्तर पर होता है उसे magnetosphere कहते है।
जो सूर्य से आने वाले विद्युत्त कणो को वायुमंडल में प्रवेश करने से रोकते है।
अगर यह कह कण प्रवेश कर गए तो वायुमंडल को ही नष्ट करने लगते है।
अब jupiter planet की बात करते है।
जुपिटर प्लेनेट का चुम्बकिय क्षेत्र सौरमंडल में सबसे शक्तिशाली है।
हमारी पृथ्वी से 14 गुना ज्यादा।
चुम्बकिय क्षेत्र की वजह से बृहस्पति ग्रह पर एक अजीब घटना भी देखने मिलती है।
बृहस्पति ग्रह का एक चाँद जिसका नाम io है, वो बहुत ही ज्यादा मात्रा में सल्फर डाइऑक्साइड गैस को उत्तपन्न करता है।
इस गैस के कण चुम्बकिय क्षेत्र में आकर विद्युत्त प्रक्रिया (ionized) करते है, जिससे प्लाज्मा शीट बनती है।
और यह हमे एक अरोरा (aurora) की तरह दिखाई पड़ता है। इसी घटना की वजह से jupiter का अरोरा सबसे शक्तिशाली बन जाता है।
और सबसे चमकीला भी।
चलिये अब इन्ही चंद्रमाओ के बारे में बात करते है।
उपग्रह – jupiter moons
बात साल 1609 की है। Galileo Galilei अपने टेलिस्कोप के जरिये अंतरिक्ष का अभ्यास कर रहा था। तभी उसे बृहस्पति ग्रह (jupiter in hindi) के आसपास कुछ खगोलीय चीजे दिखाई दी।
पहली बार तो उसे लगा की ये तारे है लेकिन जब उनकी गतिविधियों को जांचा गया तो एक बात साफ़ हो गयी की ये जो भी चिज थी, वो तारे तो बिलकुल नहीं थी।
आखिर में Galileo ने पता लगा ही लिया की यह खगोलीय चीजे और कुछ नही बल्कि jupiter planet के 4 सबसे बड़े चाँद है जो उसके आसपास घूम रहे थे।
इसीलिए उन 4 उपग्रहों की खोज का श्रेय जाता है गेलेलीयो को। जिनके नाम Io, Europa, Ganymede, और Callisto है।
पर आज के समय मे उसके 79 चाँद (moons) की खोज हो चुकी है। इनमे से 63 चाँद 10 km जितने ही बड़े है।
इतने ज्यादा चाँद होने की वजह से उसे king of moons कहा जाता था।
पर अफ़सोस कुछ समय पहले ही शनि ग्रह के कुछ नए चाँद खोजे गये और अब उसके पास कुल मिलाकर 82 चाँद है।
तो अब शनि बन चूका है king of moons.
भले ही गुरू ग्रह के पास सबसे ज्यादा चाँद ना हो लेकिन उसके पास एक ऐसा चंद्रमा है जिसके सामने कोई नही टिक सकता।
हां, में बात कर रहा हु Ganymede की। यह सिर्फ बृहस्पति ग्रह का ही नही बल्कि पूरे सौरमंडल का सबसे बड़ा उपग्रह है।
यहाँ तक की वो हमारे पडोशी ग्रह बुध से भी बड़ा है। इसीलिए किसी और चाँद की जानकारी हो ना हो, पर इस चाँद की जानकारी होना बेहत जरूरी है।
सबसे बड़ा उपग्रह – Ganymede
Ganymede ऐसा चाँद है जिसका आकार बुध ग्रह और प्लुटो दोनों से बड़ा है।
Ganymede का व्यास 5,268 km है। इसी वजह से वो हमारे सौरमंडल का 9वा सबसे बड़ा खोगोलिय पिंड बन जाता है।
इसका यह नाम ग्रीक संस्कृति के भगवान पर से रखा गया है।
यह चाँद पथ्थर और बर्फ से बना हुआ है।
और यह अकेला ऐसा चंद्रमा है जिसके पास अपना वायुमंडल है।
जिनमे oxygen और ozone के साथ और भी वायु देखने को मिले है। इससे हमें इस उपग्रह पर जीवन की संभावना दिखाई पड़ती है।
साथ ही Ganymede के पास चुम्बकीय क्षेत्र है। जो की सौरमंडल के किसी भी उपग्रह पर नही है।
बृहस्पति ग्रह की रिंग्स – jupiter rings
सौरमंडल में सिर्फ शनी के पास ही नही बल्कि हमारे बृहस्पति ग्रह के पास भी रिंग्स है। उसकी रिंग्स को तीन भागों में बांटा गया है।
अंदर की रिंग, मुख्य चमकीली रिंग्स, बहार की पतली रिंग्स।
यह सारी रिंग्स पथ्थर और धूल से मिलकर बनी हुई है जब की शनि की ज्यादातर रिंग्स बर्फ के टुकड़ो से मिलकर बनी है।
बृहस्पति ग्रह का मौसम – climate
jupiter का मौसम सबसे खतरनाक है। यहाँ हमेशा आंधी और तूफान चलते ही रहते है।
जिनकी गति 360 km/h की होती है।
कुछ तूफान घँटे तक चलते है तो कुछ सदियां चलते रहते है।
जैसे की,
बृहस्पति ग्रह पर great red spot का धब्बा दिखाई देता है।
यह असल में कोई धब्बा नही बल्कि तूफान है। जो आकार में हमारी पृथ्वी से भी बड़ा है।
माना जाता है कि यह तूफान साल 1831 से चल रहा है।
अभ्यास से पता चला है कि यह हर साल 950 km छोटा होता जा रहा है।
इसके अलावा उत्तरी भाग में एक अजीब तरह की चिज देखने को मिली है।
Juno मिशन ने बताया है कि यहाँ पर आठ तूफ़ान एक विशाल तूफ़ान के चारो और घूम रहे है।
ऐसा ही कुछ दक्षिण भाग में हैं।
पांच विशाल तूफ़ान एक छोटे तूफ़ान के चारो और घूम रहे है।
jupiter planet ग्रह की यह बहुत ही अजीब चिज है।
दूसरी और बृहस्पति ग्रह के पास ठोस सतह नही है।
इससे वहा का वायुमंडल ग्रह के अंदर तक चला जाता है। लगभग 1,000 km नीचे।
यहाँ तापमान और दबाव के बहुत ज्यादा होने की वजह से कार्बन अणु डायमंड में परिवर्तित हो जाते है जिससे वहाँ डायमंड की बारिश होती है।
ठीक ऐसा ही शनि ग्रह पर भी देखने को मिलता है।
सौरमंडल के साथ जुड़ाव – interaction solar system
बृहस्पति ग्रह का गुरुत्वाकर्षण बल हमारे सौरमंडल के आकर को बनाये रखने में मदद करता है।
साथ ही इसका शक्तिशाली गुरुत्वाकर्षण बल बाहरी सौरमंडल से आने वाले क्षुद्रग्रह और धुमकेतु को अपनी तरफ खिंच लेता है और अंदर आने से रोकता है।
इसी वजह से इस ग्रह पर उल्कापिंड का प्रभाव पृथ्वी की तुलना में 200 गुना अधिक रहता है।
दूसरी और कुछ लॉगो का कहना है कि jupiter दूर रहे क्षुद्रग्रहो को अपनी तरफ आकर्षित करता है जिससे वो खगोलीय पिंड हमारे नजदीक आते है।
एक संभावना यह भी है कि solar system के शुरूआती समय में जो ग्रहो पर उल्कापिंडों की बमबारी हुई थी।
उसकी वजह बृहस्पति ग्रह (Jupiter in hindi) था।
जो भी हो हम आगे बढ़ते है।
जीवन और मिशन – life and mission
जमीन ना होने और तेज उठते तूफानों की वजह से जुपिटर पर जीवन असंभव है। पर उसके चाँद पर अभी भी कुछ संभावनाए दिख रही है।
साल 2011 में juno यान को jupiter पर भेजा गया था और वो अभी भी कार्यशील स्थिति में है। अब साल 2026 में अगला मिशन किया जाएगा।

ब्रह्मांड की सफर पर निकले दो यान voyager 1 और voyager 2 ने भी बृहस्पति ग्रह का अभ्यास किया था।

वैसे, बृहस्पति ग्रह के शक्तिशाली चुम्बकिय क्षेत्र और उसकी प्लाज्मा शीट की वजह से उस ग्रह पर मिशन करना मुश्किल है।
क्योकि यह रेडियेशन छोड़ते है, जो यान को खराब करने की पूरी शक्ति रखते है।
इससे भी आगे, वहाँ सतह ना होने की वजह से यान को उतारना बहुत मुश्किल है।
क्योकि वहाँ का तापमान और दबाव यान को तोड़ने और पिघलाने की शक्ति रखता है।
अब jupiter के बदले उसके चंद्रमा पर ज्यादा ध्यान दिया जा रहा है। इसीलिए अगला मिशन उसके सबसे बड़े उपग्रह पर किया जाएगा।
इनमे मुख्य है European Space Agency का jupiter Icy Moons Explorer जो 2022 में लौन्च होगा।
क्या अब आप बृहस्पति ग्रह से जुड़े कुछ तथ्यों को जानना चाहेंगे।
Facts about Jupiter planet in hindi
अगर सौरमंडल के सारे ग्रहो को मिला दिया जाए तो भी जुपिटर का द्र्व्यमान 2.5 गुना ज्यादा होगा।
जब बृहस्पति ग्रह बना था तब वो आज की तुलना में दुगना बड़ा था। पर हर साल वो 2 cm जितना सिकुड़ता जा रहा है।
सौरमंडल का सबसे बड़ा समुद्र बृहस्पति ग्रह पर है। हायड्रोजन का समुद्र।
अगर बृहस्पति ग्रह का द्र्व्यमान 75 गुना ज्यादा होता तो वो एक तारा बना जाता। और हमे सौरमंडल में एक नही बली दो तारे देखने मिलते।
अगर आपका वजन पृथ्वी पर 100 kg है तो बृहस्पति ग्रह पर 240 kg होगा।
अब बारी आपकी है कॉमेंट में यह बताने की आपको बृहस्पति ग्रह (Jupiter in hindi) की कौन सी बात सबसे अच्छी लगी।
और अगर आप कुछ मजेदार पढ़ना चाहते है तो यह लेख जरूर देखें।
👉 जानिये सौरमंडल के जन्म से लेकर अंत तक की जानकारी (आखिर में कुछ खास)
Thanks for finally writing about > Jupiter in hindi: जानिए बृहस्पति ग्रह
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