ऐसा हो ही नही सकता कि आपने बचपन dhruv tara की कहानी ना सुनी हो। एक ऐसा बालक जो अडग तारा बन गया।
लेकिन आज के समय में विज्ञान और ब्रह्मांड की कई अद्भुत खोजे हो चुकी है तो यह जानना जरूरी बनता है कि इस तारे का क्या रहस्य है जिससे यह अपनी जगह पर स्थिर है।
लेकिन विज्ञान की दृष्टि से जानने से पहले हमें उस प्राचीन कहानी dhruv tara story in hindi को जानना होगा।
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Dhruv tara story in hindi
यह बात प्राचीन समय की है। एक राजा जिसकी दो रानियां थी। सुनीति और सुरुचि। दोनों के एक एक पुत्र भी थे। सुनीति के पुत्र का नाम ध्रुव और सुरुचि के पुत्र का नाम उत्तम था।
दोनों रानियों में फर्क बस इतना था कि सुनीति उत्तम को अपने ही बेटे जैसे प्यार करती थी जब की सुरुचि ध्रुव और उसकी माँ से ईर्ष्या करती थी।
कारण यही था कि सुनीति बड़ी रानी होने की वजह से उसका बेटा ध्रुव ही बड़ा होकर राजा बनने वाला था। जब की सुरुचि अपने बेटे को राजा बनाना चाहती थी। लेकिन यह संभव नही था।
एक खास बात यह भी थी की राजा उतनापद छोटी रानी को उसकी सुंदरता की वजह से ज्यादा चाहते थे।
उसीका फायदा उठाकर सुरुचि ने ध्रुव और उनकी माँ को महल से निकलवा दिया और दूर जंगल में छोड़ ने का आदेश दिया।
लेकिन इससे कुछ खास बदला नही। सुनीति जंगल में ही अपने बेटे के साथ रहने लगी। इसी तरह समय बीतने लगा।
सब कुछ सही चल रहा था जब तक ध्रुव ने अपनी माँ को अपने पिता से मिलने की इच्छा जताई।
“माँ मेंरे पिता कोन है और कहा रहते है?” ध्रुव ने कहा।
“वो दूर महलों में रहते है।” माँ ने जवाब दिया।
“में उनसे मिलना चाहता हु” ध्रुव ने वापस कहा।
“ठीक है पुत्र जाओ।” माँ ने अपनी सहमति दिखाई।
ध्रुव अपने पिता से मिलने के लिए महल गया। जब उसके पिताने उसे देखा तो उसे अपनी गोद में बैठा दिया।
यह देख कर सुरुचि को जलन हुई। इसीलिए उसने ध्रुव को महल के बाहर निकाल दिया और कहाँ की राजा की गोद पर सिर्फ मेरे बेटे का अधिकार है सिर्फ वही राजा बनेगा।
इस घटना के बाद ध्रुव जंगल वापिस लौट गया और पूरा दिन उस घटना के बारे में सोचता रहा।
आखिर में उसने अपनी माँ को यह बात बताई। यह सुनकर माँ ने कहा।
अगर तुम्हे गोद में बैठना है तो इस सृष्टि के पिता नारायण की गोद में बैठो। वो सर्व शक्तिमान और दयालु है।
“वो कहाँ मिलेंगे माँ” ध्रुव ने पूछा।
माँ ने उत्तर की और दूर पहाड़ो की तरफ इशारा किया।
इसके बाद एक रात को ध्रुव उत्तर के पहाड़ो की और निकल पड़ा। वहाँ पर उसे नारदमुनि मिले। ध्रुव ने उनसे भगवान नारायण से मिलने का रास्ता पूछा।
नारदमुनि ने कहा ” धैर्य रखो वो तुम्हे अवश्य मिलेंगे।” यह कहकर नारदमुनि ने ध्यान करने का तरीका बताया
उसी वक़्त ध्रुव भगवान नारायण के ध्यान में बैठ गया।
ध्रुव के दृढ मनोबल की वजह से आसपास के विस्तार में ऊर्जा बढ़ने लगी। ऊर्जा इस हद तक बढ़ गयी की पास के सात ऋषिमुनियो को भी इसका अहसास होने लगा।
ऋषिमुनियो को लगा कोई महान व्यक्ति ध्यान में होने चाहिए लेकिन जब उन्होंने वहा जाकर देखा तो पता चला की वो तो मात्र एक बालक है।
यह देखकर सारे ऋषिमुनि भी ध्रुव के आसपास बैठकर भगवान नारायण का ध्यान करने लगे।
यह सब देखकर इंद्रदेव चिंतित होने लगे उन्हें लगा की कही यह बालक भगवान नारायण से इंद्रासन ना मांग ले।
इसीलिए उन्होंने ध्रुव का ध्यान भटकाने के लिए अपनी अप्सरा को माँ सुनीति का रूप बदलकर ध्रुव के पास भेजा, लेकिन ध्रुव का मन जरा भी विचलित नही हुआ।
बाद में कई दानव भी आये लेकिन उन सात ऋषिमुनियो ने बालक ध्रुव की रक्षा की।
इसी तरह ध्रुव अपने ध्यान पर अडग रहा और आखिर में भगवान नारायण ने प्रसन्न होकर कहा।
“है बालक क्या चाहिए तुम्हे?”
“मुझे मेरे पिता अपनी गोद में नही बैठने देते। मेरी माँ ने कहा आप इस सृष्टि के पिता हो। में आपकी गोद में बैठना चाहता हु।”
“आकाश ही मेरी गोद है में तुम्हे हमेशा के लिए अपनी गोद में स्थान देता हूं।” भगवान नारायण ने कहा।
इसीके साथ भगवान नारायण ने उन सात ऋषिमुनियो को भी ध्रुव की रक्षा के लिए आसमान में उसके आसपास स्थान दिया।
माना जाता है कि ध्रुव के दृढ़ मनोबल की वजह से dhruv tara स्थिर है और कभी भी अपनी जगह से नही हिलता।
यह तो थी हमारी संस्कृति की एक अद्भुत कहानी। (dhruv tara story in hindi) लेकिन आज के समय में विज्ञान बहोत आगे बढ़ चुका है और ब्रह्मांड के कई रहस्यों को उजागर किया है।
पर आज भी dhruv tara अपनी जगह से विचलित नही होता और ऐसा क्यों होता है उसका विज्ञान भी आज हमारे सामने है। तो चलिए जानते है ध्रुव तारे का विज्ञान।
dhruv tara meaning in hindi
ध्रुव तारा जिसे अंग्रेजी भाषा में pole star या north star कहा जाता है।
ईसका हिंदी भाषा में अर्थ उत्तर का तारा होता है।
इस तारे को Polaris star भी कहा जाता है।
dhruv tara in hindi
अगर आप ब्रह्मांड के रहस्यों को जानने में रूचि रखते हो तो आपको पता ही होगा की सारे खगोलीय चीजो की अपनी एक गति होती है। यहा तक की तारो और गेलेक्सि की भी।
तो फिर ऐसा क्या रहस्य है जो dhruv tara को अपनी जगह पर स्थिर बनाये रखे है। जवाब है पृथ्वी की अक्षांश रेखा।
हमारी पृथ्वी अंतरिक्ष में सीधी ना होकर थोड़ी सी जुकी हुई है और उसी जुकाव के साथ गोल गोल घूमती है। पृथ्वी के ऊपर का जो भाग है उसे उत्तर ध्रुव (north pole) कहते है और नीचे के भाग को दक्षिण ध्रुव। (south pole)
पृथ्वी गोल घूमती है जिससे सारे तारे पूर्व से उदय होते है और पश्चिम में अस्त। बिलकुल हमारे सूर्य की तरह। लेकिन ध्रुव तारा (dhruv tara in hindi) पृथ्वी के अक्षांश के ठीक सामने आया है। इसी वजह से वो ना तो वो अस्त होता है और ना ही उदय। बस अपनी जगह पर स्थिर रहता है।
अगर आप कुछ दिनों तक उत्तर के तारो का अभ्यास करेंगे तो आपको दिखाई देगा की सारे तारे गोल गोल घूम रहे है सिवाय बिच वाले के। और यही बिच वाला तारा ध्रुव है।
जब आप उत्तर में देखेंगे तो आपको दो तारामंडल दिखाई देंगे। इन दोनों तारामंडल में नीचे वाले का नाम Ursa major है और नीचे वाले तारामंडल का नाम ursa minor है।
दोनों तारामंडल में सात सात तारे मौजूद है। और ध्रुव तारा ursa minor के अंत बिंदु पर आया हुआ है।
ब्रह्मांड का वो तारा – dhruv tara
अगर हम ध्रुव की हमारे सूरज से तुलना करें तो वो सूरज से लगभग 30 गुना ज्यादा बड़ा और 2200 गुना ज्यादा तेजस्वी है।
वैसे तो माना ये भी जाता है कि ध्रुव ( dhruv star) उत्तर ब्रह्मांड का सबसे तेजस्वी तारा है लेकिन असल में वो 48वे स्थान पर आता है।
अब सवाल उठता है कि ध्रुव तारा क्या हमेशा अपनी जगह स्थिर रहेगा। जवाब है ना।
मैंने आपको पहले ही बता दिया की ब्रह्मांड में सबकी गति होती है। ध्रुव तारे (dhruv tara in hindi) की भी अपनी एक गति है।
अभी वो पूरी तरह से पृथ्वी के अक्षांश के सामने नही है। पर साल 2105 तक ध्रुव और पृथ्वी का अक्षांश पूरी तरह से एक दूसरे के सामने होंगे।
फिर वो अपनी जगह बदलने लगेगा लेकिन 26,000 साल बाद फिर dhruv tara ही उत्तर का तारा या कहे pole star बन जाएगा।
ऐसा होने की वजह तारो की गति नही बल्कि पृथ्वी की घूर्णन गति है। क्योकि लंबे समय बाद पृथ्वी के अक्षांश में थोड़ा बहोत बदलाव आता है।
Facts about dhruv tara in hindi
अभी के समय में आप होकायंत्र के बदले ध्रुव तारे पर ज्यादा विश्वास कर सकते हो क्योकि पृथ्वी के कुछ विस्तार में चुम्बकीय क्षेत्र ज्यादा होने की वजह से होकायंत्र गलत दिशा दिखाता है जब की dhruv tara हमेशा उत्तर की और ही इशारा करता है।
हमारा देश भारत पृथ्वी के उत्तर की तरफ आया हुआ है इसी वजह से हम अपने देश के किसी भी कोने से ध्रुव तारे ( dhruv tara in hindi) को देख सकते है।
12 साल बाद vega नामक सितारा उत्तर दिशा के नजदीक आने लगेगा। यह तारा उत्तर दिशा का सबसे तेजस्वी होने की वजह से फिर इसे ही north star माना जाएगा।
अगर आप उत्तर ध्रुव पर रहते है तो आपके सिर के ठीक ऊपर ध्रुव तारा देखने को मिलेगा।
प्राचीन समय में लोग ध्रुव तारे का उपयोग दिशा जानने के लिए करते थे। खास करके समंदर और रेगिस्तान के यात्री।
तो ध्रुव तारे से जुडी यह अद्भुत जनाकारी (dhruv tara story in hindi) आपको कैसी लगी। ब्रह्मांड ऐसे कई रहस्यों से भरा पड़ा है। ऐसे रहस्य जिसकी आपने कभी कल्पना भी ना की हो। जिनमे से कुछ यह है।
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