- क्या आप शनि ग्रह (Saturn in hindi) के बारे में सब कुछ जानना चाहते है? यह लेख आपको वो सारी जानकारी देगा जो आपको चाहिए।
शनि ग्रह हमारे सौरमंडल का छठ्ठा ग्रह तो है साथ ही यह सौरमंडल का सबसे सुंदर ग्रह भी है। जो अपने अंदर कई रहस्यों को सिमटे हुआ है।
जिसके बारे में जानना सच में बहुत रोमांचक है।
तो चलिये जानते है इन रहस्यों को।
Note: इस लेख में 12 रहस्यों को 12 भागों में बांटा गया है।
Table of Contents
शनि ग्रह का इतिहास – history of Saturn in hindi
शनि ग्रह की खोज किसने की थी यह जानना लगभग नामुमकिन है क्योंकि यह ग्रह बिना किसी टेलिस्कोप के नँगी आँखों से भी दिखाई देता है। जिससे कई प्राचीन सभ्यताओं ने इन ग्रह को देखा था।
पर वो गैलीलियो ही था जिसने पहली बार टेलिस्कोप के जरिये इस ग्रह (saturn in hindi) को देखा था। इसके साथ उसे ग्रह के पास दो धुंधले से चाँद भी नजर आए।
पर कुछ समय बाद फिर से देखने पर वो चाँद वहाँ पर नही थे। जो की किसी रहस्य से कम नही था। उस बात को सालो बीत गए और रहस्य ही बना रहा। लेकिन साल 1659 में Christiaan Huygens ने बताया कि सेटर्न के आसपास ऐसी कई चीजे है जो उसके आसपास घूमती है और एक गोल रिंग बनाती है।
तब से हमे पता चला की किसी प्लेनेट के पास रिंग भी होती है।
शनि ग्रह का हिंदी अर्थ – Saturn meaning in hindi
saturn नाम रोमन संस्कृति के धन के देवता पर से रखा गया है। यह नाम ग्रीक संस्कृति के समय के देवता को भी दर्शाता है।
शनि ग्रह का हिंदी अर्थ (Saturn meaning in hindi) भी एक देवता ही है। जिसे हम शनि देव के नाम से जानते है।
शनि ग्रह कैसे बना – formation of saturn planet
आज से लगभग 4.5 अरब साल पहले गैस और धूल के एक विशाल बादल में से हमारे सौरमंडल का जन्म हुआ था। गुरुत्वाकर्षण बल के चलते बादल का द्र्व्यमान एक जगह जमा होने लगा।
वहाँ पर सूर्य का निर्माण हुआ और जो धूल और गैस का भाग बच गया था उसमें से बने ग्रह।
जिसमे एक शनि ग्रह भी था।
लेकिन इसमें एक बात अजीब थी। जमा हो रहे धूल और गैस में गैस की मात्रा ज्यादा थी। इसी वजह से saturn एक गैसीय ग्रह बना।
यह क्या होते है वो हम आगे देखेंगे। पर पहले इसकी खगोलीय जानकारी पर एक नजर डालते है।
शनि ग्रह के बारे में – about Saturn in hindi
हमारी पृथ्वी से नँगी आँखों से देखा जाने वाला शनि (Saturn in hindi) आखरी ग्रह है। सौर मंडल में इसका स्थान छठ्ठा है।
सूर्य से शनि ग्रह की औसतन दुरी 9.5 AU है। इतनी ज्यादा दुरी होने की वजह से प्रकाश को भी यह अंतर काटने में 1 घंटा और 20 मिनिट लग जाते है।
Note: पृथ्वी और सूर्य की बीच की दुरी को 1 AU कहा जाता है।
ग्रह के केंद्र से लेकर उसके छोर तक की लंबाई को त्रिज्या कहा जाता है। पृथ्वी की त्रिज्या 6,400 kilometer है जब की Saturn planet की 58,000 किलोमीटर है। जो की पृथ्वी से लगभग 9 गुना ज्यादा है।
वैसे तो हमारी पृथ्वी जैसे 764 ग्रह इस में समा जाएंगे इतना बड़ा कद है लेकिन द्र्व्यमान सिर्फ 95 गुना ज्यादा है। परिणाम स्वरूप इस ग्रह का घनत्व पृथ्वी की तुलना में 8 गुना कम हो जाता है।
और अगर गुरत्वाकर्षण की बात करे तो वो सिर्फ 10.4 जितना ही है जब की पृथ्वी का 9.8 है।
अब आगे बढ़ते है।
कक्षा और परिभ्रमण – orbits and rotation
अपनी ही धरि पर एक चक्र (rotation) पूरा करने में Saturn को सिर्फ 10.5 घँटे ही लगते है जब की पृथ्वी को 24 घँटे लग जाते है। मतलब की अगर आप इस ग्रह पर हो तो आपका दिन सिर्फ 10.5 घँटे में ही पूरा हो जाएगा।
जो की सौरमंडल का दूसरा सबसे छोटा दिन है।
इससे अगर आप यह सोच रहे हो की तब तो यहाँ पर एक साल भी जल्दी ही पूरा हो जाएगा और मेरा जन्मदिन भी जल्द ही आया करेगा तो आप गलत हो।
शनि ग्रह को सूर्य की एक परिक्रमा (orbit) करने में 29.5 साल लग जाते है। जिसे वहा का एक साल माना जाता है।
इसकी मुख्य वजह सेटर्न की अपने पथ पर आगे बढ़ने की गति है जो की बहोत ही धीमी है, लगभग 9.68 km/s.
शनि ग्रह का अक्षीय झुकाव 26 डिग्री जितना है जो की हमारी पृथ्वी के लगभग समान ही है।
ऋतु के बदलाव के लिए यह झुकाव जरूरी है। क्योकि इससे ग्रह के दोनों ध्रुवों की सूर्य से दूरी अलग अलग बनती है जिससे तापमान में बदलाव होता है।
परिणाम स्वरूप वहाँ पर गर्मी और शर्दी जैसी ऋतुओं का अनुभव होता है।
बिल्जुल हमारी पृथ्वी की तरह।
अब इसकी संरचना को जानते है।
शनि ग्रह कि संरचना – structure of saturn planet in hindi
शनि हायड्रोजन और हीलियम गैस से बना हुआ एक गैस जायंट प्लेनेट है। इसके साथ धूल और मिट्टी भी इस ग्रह को बनाने के लिए जिम्मेदार है लेकिन बहोत कम मात्रा में।
शनि ग्रह की सरंचना (structure of saturn planet in hindi) तीन स्तर से मिलकर बनी है।
कोर (core)
आवरण (mantle)
वायुमंडल (atmosphere)
ग्रह की कोर लोहे और निकल जैसी धातु से मिलकर बनी है और उसके आसपास पत्थरो और पानी से बना हुआ स्तर है।
इस कोर का आकार हमारी पृथ्वी से दुगना है।
इसके ऊपर गैस और तरल पदार्थो से बना आवरण है। जो सतह से लेकर बहुत गहराई तक फैला हुआ है। यहाँ का भयंकर तापमान और दबाव किसी भी यान को नष्ट करने की क्षमता रखता है।
इसके ऊपर आखिर में वायुमंडल है।
क्योकि saturn पर पृथ्वी की तरह कोई ठोस सतह मौजूद नही है। वहाँ हमे सतह के बदले सिर्फ घूमता तरल पदार्थ और गैस ही मिलेंगे।
इसी गैस की वजह से शनि ग्रह का घनत्व सौरमंडल में सबसे कम बनता है। इतना कम की यह ग्रह पानी में तैर भी सकता है।
अब जानते है इसके वायुमंडल को।
शनि ग्रह का वायुमंडल – atmosphere of Saturn in hindi
शनि ग्रह का वायुमंडल ammonia, ammonia hydrosulfide और water से मिलकर बना है।
जो इसे हल्का पीला रंग भी देता है। जिससे यह ग्रह हमे गोल्डन रंग का दीखता है।
इसके वायुमंडल (atmosphere) के ऊपरी स्तर में बादलों की बौछार चलती है। वहाँ के तूफानी बादल 500 meter/s की गति से हरिफाई करते है।
यहाँ का तापमान -175 ℃ जितना ठंडा होता है। लेकिन नीचे के बादल तुलनात्मक रूप से गर्म होते है।
सेटर्न ग्रह पर एक सफेद रंग का धब्बा भी दिखाई देता है। जिसे great white spot नाम दिया गया है।
असल में यह कोई धब्बा नही बल्कि कई तूफानों से मिलकर बना एक बहोत बड़ा तूफान है जो कई किलोमीटर में फैला हुआ है।
यह हमे हर Saturnian year में एक बार दिखाई देता है। मतलब हमारे 29.5 सालो में एक बार। अंदाजा लगाया गया था कि अगली बार यह 2020 में दिखाई देने वाला था।
इसके उपरांत, ग्रह के उत्तरी ध्रुव पर एक बहुत ही रहस्यमय चिज देखने मिली है।
एक भवंडर जिसकी 6 बाजुए है वो घूम रहा है। इसकी सिर्फ एक बाजु ही 13,800 km लंबी है। यहा पर हवा की गति 322 km/h पाई गई है। इस तरह की अजीब रचना अब तक पुरे सौरमंडल में कही पर भी देखने नही मिली है।
Magnetosphere
पहले हम जानते है कि Magnetosphere क्या होता है।
ग्रह के केंद्र में रही धातु और घूर्णन गति की वजह से ग्रह का चुंम्बकीय क्षेत्र बनता है।
यह चुंम्बकीय क्षेत्र वायुमंडल के जिस स्तर पर होता है उसे Magnetosphere कहा जाता है।
लेकिन इसकी जरूरत क्या है।
सूर्य से आने वाले विद्युत्त कण ग्रह के वायुमंडल में प्रवेश करके उसे ही नष्ट करने लगते है। परंतु चुंम्बकीय क्षेत्र के होने की वजह से विद्युत्त कण वायुमंडल में प्रवेश नही कर सकते।
लेकिन फिर भी कुछ कण वायुमंडल में प्रवेश करते है और अपनी ऊर्जा छोड़ते है जिससे वो हमें आसमान में रंगीन दिखाई देते है।
इसे हम aurora कहते है। ऐसा सिर्फ पृथ्वी पर ही नही बल्कि सेटर्न (Saturn in hindi) पर भी देखने मिलता है। क्योकि उसके पास भी अपना आंतरिक चुंम्बकीय क्षेत्र है।
चलिये अब इसके चंद्रमा को जानते है।
उपग्रह – moons of Saturn
आपको यह जानकर आश्चर्य होगा लेकिन शनि ग्रह के पास अब 82 उपग्रह है। जब की हमारे पास सिर्फ एक ही है हमारा अपना चाँद (moon). वैसे कुछ समय पहले वो गुरु ग्रह था जिसे चाँद का राजा माना जाता था।
लेकिन आधुनिक विज्ञान ने saturn के और भी चाँद को खोज निकाला है और अब उसके पास सौरमंडल के सबसे ज्यादा उपग्रह है। इन सारे चाँद में से ज्यादातर 100 किलोमीटर जितने ही बड़े है और लगभग 7 ही बड़े चंद्रमा कहने योग्य है।
लेकिन इन सारे उपग्रह में से टाइटन सबसे खास है।
क्यों, चलिये जानते है।
सबसे बड़ा चाँद – Titan moon in hindi
शनि ग्रह का सबसे बड़ा चाँद टाइटन है। साथ ही यह सौरमंडल का दूसरा सबसे बड़ा चंद्रमा भी है। पहले स्थान पर बृहस्पति ग्रह का गेनीमेड है।
इस चाँद की खोज 1655 में Christiaan Huygens ने की थी। यह हमारे चाँद और बुध ग्रह दोनों से बड़ा है।
यह पहला ऐसा उपग्रह है जिस पर वातावरण और बादल देखने को मिले हो। साल 2005 में स्पेस मिशन Huygens ने इस पर लेंडिंग की थी। और इस चाँद की खोज बिन की थी।
उम्मीद यही है कि हम भविष्य में हम इस ग्रह पर जीवन बना सकेंगे।
शनि ग्रह के वलय – Saturn rings in hindi
सौरमंडल का सबसे सुंदर ग्रह शनि है जिसकी सबसे बड़ी वजह है उसकी रिंग्स।
जब saturn in hindi की रिंग्स को खोजा गया तब खगोल शास्त्रीओ को लगता था कि यह इस ग्रह की खास रचना है। लेकिन जब अरुण ग्रह की रिंग्स की खोज हुई तब साफ हो गया कि ग्रह के पास रिंग्स का होना उस प्लेनेट का ही एक गुणधर्म है।
शनि ग्रह के वलयों की कुल संख्या 7 है। A B C D E F और G group. इन सारी रिंग्स की चौड़ाई इतनी है कि हमारी पृथ्वी जैसे 4 ग्रह आराम से फिट हो जाए।
यह रिंग्स ज्यादातर बर्फ, धूल और पत्थरों से मिलकर बनी है। जो एक छोटे से कण से लेकर विशाल घर जितने बड़े है। कुछ तो पर्वत के समान भी है।
अनुमान लगाया गया है कि सेटर्न के यह वलय धुमकेतु, क्षुद्रग्रह और चंद्रमा के टुकड़ो का मलबा है। जो ग्रह की ग्रेविटी की वजह से कक्षा में आ गए होंगे।
यह रिंग्स ग्रह से 2,82,000 km तक फैली हुई है। ग्रह से बाहर की और आते D C B A F G और आखिर में E ring आयी हुई है।
इसमें रिंग्स A और B के बीच में 4,800 km की खाली जगह है जिसे Cassini Division नाम दिया गया है।
मजेदार बात तो यह है की प्रत्येक वलय ग्रह के चारों ओर एक अलग गति से परिक्रमा कर रहे है।
जीवन और मिशन – life and mission on Saturn planet in hindi
इतना सब कुछ जानने के बाद एक सवाल उठता है कि क्या शनि ग्रह पर जीवन (life) संभव है। नही, हम इस ग्रह पर नही रह सकते। क्योकि saturn planet सिर्फ गैस से बना हुआ है जिस पर आप जमीन को देखने की बात छोड़ ही दो।
लेकिन कोई बात नही, इसका चंद्रमा titan हमारे लिए ही बना है।
टाइटन पर वातावरण और जमीन दोनों है। जिससे वहा रहने की संभावना बढ़ जाती है। इसी लिए साल 2026 में space mission dragonfly नामक अंतरिक्ष यान titan पर भेजा जाने वाला है।
यह कैसे वहाँ लेंड करेगा उसका चित्रण आप इस वीडियो में देख सकते है।
अब आते है इसके मिशन (mission) की तरफ।
सबसे पहले pioneer 11 ने इस ग्रह की मुलाकात की थी, फिर ब्रह्मांड की सफर में निकले voyager यान ने भी इसके 3 चंद्रमा को खोज निकाला था।
पर सबसे अधिक और अविश्वशनीय माहिती हमें Cassini mission द्रारा मिली थी।
इस यान ने 13 साल तक शनि ग्रह का अभ्यास किया और हमे बहुत सारी जनाकारी दी। फिर आखिर में इसे जानबुझकर ग्रह के भयंकर वायुमंडल में नष्ट कर दिया गया।
क्या अब आप इस ग्रह से जुड़े अद्भुत तथ्यों को जानना चाहेंगे।
शनि ग्रह के तथ्य – facts about Saturn planet in hindi
शनि ग्रह का चुम्बकीय क्षेत्र पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र की तुलना में थोड़ा कमजोर है।
10 करोड़ साल बाद saturn अपनी रिंग्स को खो देगा। तो सही यही है कि आप उन रिंग्स को अभी देख लो।
शनिवार नाम इसी ग्रह से ही प्रेरित है।
सेटर्न की हवाएं नेप्च्यून के बाद की सबसे तेज हवाएं है।
जब इस ग्रह के 20 नए चाँद खोजे गये थे तब एक ऑनलाइन फंक्शन रखा गया था, जिसमे हम उन चाँद के लिए अपनी तरफ से नाम भी दे सकते थे।
तो बस यह थी कुछ जानकारी शनि ग्रह (Saturn in hindi) के बारे में। उम्मीद है कि आपको पसंद आयी होगी।
अब बारी आपकी है कॉमेंट में यह बताने की, की इस लेख में सबसे अच्छा आपको क्या लगा।
लेकिन अगर आप कुछ रोमांचक पढ़ना चाहते हो तो इन लेखो को जरूर देखें।
👉 मंगल ग्रह के 11 रहस्य (special facts)
👉 तारे क्या है और कैसे बनते है
👉 सौरमंडल जन्म से लेकर अंत तक (कुछ खास)
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