quantum physics in hindi: क्वांटम फिजिक्स क्या है (5 रहस्य)

Quantum physics एक ऐसा शब्द जिसे सुनकर कई लोगो के पसीने छूटने लगते है। क्योंकि उनका मानना है कि यह विषय हमारी समझ से परे है।

परंतु यह कोई कठिन विषय नही है, बस थोडा अजीब है।

अगर आपने जान लिया की क्वांटम फिजिक्स क्या है (quantum physics in hindi) तो आपकी रूचि उसमे बढ़ जाएगी।

तो फिर चलिए आज में आपको बताता हूं क्वांटम फिजिक्स की अद्भुत दुनिया के बारे में।

What is Quantum physics in hindi,क्वांटम फिजिक्स

क्वांटम फिजिक्स क्या है – what is quantum physics in hindi

आपने अणु, परमाणु, इलेक्ट्रान, प्रोटोन जैसे शब्द तो सुने ही होंगे। यह सारी चीजें बहुत छोटी होती है। बहोत ही ज्यादा सूक्ष्म।

20वीं सदी तक यह माना जाता था कि ब्रह्मांड की सबसे छोटी चीज परमाणु है और इसी से सब बना हुआ है।

Atom in hindi, परमाणु क्या है

लेकिन साल 1900 में मैक्स प्लान्क नाम के वैज्ञानिक ने ब्लेक बॉडी रेडियेशन का प्रयोग किया। इस प्रयोग में प्लान्क को एक अजीब चिज दिखी।

उस समय यही माना जाता था की प्रकाश सिर्फ तरंग से मिलकर बना होता है। लेकिन प्लान्क ने देखा की प्रकाश उसके प्रयोग में एक कण (particle) की तरह बर्ताव कर रहा था।

उसी प्रयोग पर से प्लान्क ने अनुमान निकाला की प्रकाश पूरी तरह से ऊर्जा का ना बना होकर छोटे छोटे ऊर्जा के भाग से बना हुआ होता है।

जिसे उसने क्वांटा नाम दिया।

बस यही से शुरू हुआ quantum physics. इसके बाद कई वैज्ञानिको ने क्वांटम फिजिक्स में भाग लिया और कई खोजे की।

इन खोजो में प्रोटोन ओर इलेक्ट्रान भी थे। ये कण परमाणु के अंदर पाए गए। जिससे यह साबित हो गया कि पदार्थ की सबसे छोटी चीज परमाणु नही बल्कि यह कण है।

फिर आगे समय के साथ ऐसे कई सूक्ष्म कणो की खोज हुई जैसे न्यूट्रॉन, पॉज़िट्रान, फोटोन।

अब जब की इस तरह के कई क्वांटम कणो की खोज हुई तो उन पर रिसर्च होने लगी। रिसर्च करने पर पता लगा की यह सूक्ष्म कण अजीब तरह से बर्ताव करते है।

इतने छोटे स्तर पर भौतिक विज्ञान के सामान्य नियम काम नही करते थे। इन कणो को जरूरत थी नए सिद्धांतो की। इसीलिए इसका एक अलग मॉडल बनाया गया, जिसे standard model नाम दिया गया।

तो बस परमाणु के बाद के इन्ही सूक्ष्म कणो की दुनिया को क्वांटम फिजिक्स (quantum physics in hindi) कहा जाता है।

अब पहले कुछ शब्दों को समझते है।

Quantum physics meaning in hindi

Quantum physics भौतिक विज्ञान की एक शाखा है, जिसमे quantum theory के आधार पर सूक्ष्म कणो का अभ्यास किया जाता है।

हिंदी भाषा में इस शब्द का अर्थ सूक्ष्म भौतिकी होता है।

Quantum in hindi

Quantum यह शब्द मैक्स प्लान्क द्रारा दिया गया है। प्रकाश के छोटे छोटे बंडलों को उन्होंने क्वांटा नाम दिया था।

क्वांटम सिद्धान्त – Quantum theory in hindi

विज्ञान की इन सूक्ष्म कणो की दुनिया में हमारे सामान्य दुनिया के नियम काम नही करते। इसी वजह से एक नई थियरी को सामने लाया गया है, जिसे Quantum field theory कहा जाता है।

यह थियरी हमे सूक्ष्म स्तर पर ऊर्जा और कणो के स्वभाव और उनके व्यवहार को समझने में मदद करती है। जो की उन रहस्यमय प्रयोगों पर आधारित है जिनके बारे में अब हम जानेंगे।

Double slit experiment

यह प्रयोग समझना क्वांटम फिजिक्स (quantum physics in hindi) के लिए बहुत जरूरी है।

साल 1805 में एक वैज्ञानिक ने यह प्रयोग किया था।

प्रयोग कुछ ऐसा था कि पहले एक गन रखी जिसके अंदर से प्रकाश निकलता हो, फिर बिच में एक प्लेट रखी।

इस प्लेट के अंदर दो तिराडे (slit) थी। और ठीक उसके सामने दूसरी तरफ एक बोर्ड को रखा गया था, जिस पर प्रकाश पहुँचने वाला था।

Double slit experiment in hindi

जब प्रकाश को गन में से निकाला गया। वो प्रकाश उन तिराड में से निकलर सामने रखे बोर्ड पर जा गिरा।

लेकिन इस बोर्ड पर प्रकाश तिराड जितनी जगह में ना रहकर उसके आसपास के विस्तार में भी फैल गया। इससे साबित हुआ कि प्रकाश का स्वभाव तरंग (Wave) जैसा है।

Double slit experiment explained in hindi

देखिए, तरंगे पानी की लहर जैसे होती है। तरंगे या तो पूरी होती है या फिर होती ही नही।

आप अभी अपने मन में पानी की लहरो को सोचिये। क्या आप उन में से किसी लहेर को कह सकते है कि यह आधी लहेर है। नही, ऐसा होना संभव नही है। बस कुछ ऐसा ही तरंगों के लिए होता है।

तो जब प्रकाश को तिराड में से निकाला गया तो प्रकाश के अंदर की तरंगे विस्तृत हो गयी। इसी वजह से बोर्ड पर प्रकाश कई जगहों पर दिखा।

अगर प्रकाश कण (particle) होता तो प्रकाश सिर्फ तिराड जितनी जगह पर ही दीखता।

बस यही से निश्चित हुआ की प्रकाश तरंग है।

परंतु साल 1900 में मैक्स प्लान्क ने कहा कि प्रकाश ऊर्जा का ना बना हुआ होकर ऊर्जा के छोटे छोटे बंडलों से बना हुआ होता है। साथ ही उसका प्रयोग भी यह दिखाता था की प्रकाश ने कण की तरह व्यवहार किया।

इसी वजह से double slit experiment को दुबारा किया गया। लेकिन तब भी परिणाम वही मिले जो पहले मिले थे। मतलब की प्रकाश तरंग की तरह ही दिखा।

लेकिन फिर एक बार इस प्रयोग को किया गया और आखिर ऐसा क्यों होता है, वो जानने के लिए प्लेट के पहले एक सेंसर को रखा। जो निकलने वाले प्रकाश को देखने वाला था।

पर जब यह प्रयोग किया गया तो वैज्ञानिक दंग रह गए।

इस बार बोर्ड पर प्रकाश तरंग की तरह नही बल्कि कण की तरह दिखा। प्रकाश आसपास ना फैलकर सिर्फ तिराड जितने विस्तार में ही रहा।

वैज्ञनिक इस प्रयोग से कुछ और उम्मीद कर रहे थे और इनको मिला कुछ और ही। यह कोई आम बात नही थी। क्योंकि इस बार कई रहस्य सामने आने वाले थे। वजह थी प्रकाश का कण की तरह व्यवहार करना।

लेकिन सवाल उठता है क्यों।

क्यों पहले प्रकाश तरंग की तरह दिखा और बाद में एक कण की तरह। एक ही चीज दो स्वभाव (dual nature) की कैसे हो सकती है।

इसकी वजह थी वो सेंसर, जो हमने प्रकाश को देखने के लिए रखा था। जब हम प्रकाश के उन क्वांटम कणो को नही देख रहे थे तब वो तरंग थे लेकिन जब हम उनको देखने जाते हैं तब वो कण बन जाते है।

बस यही से तय हुआ की प्रकाश के दो स्वभाव है। तरंग और कण।

हमारी दुनिया में दो विरोधी चीजे सही नही हो सकती। दो और दो चार हो सकते है या दो और तीन चार हो सकते है, लेकिन दोनो एक साथ सही नही हो सकते।

लेकिन क्वांटम फिजिक्स (quantum physics in hindi) की दुनिया में ऐसा नही है। वहाँ कुछ भी संभव है। क्वांटम फिजिक्स के इलेक्ट्रॉन और फोटोन जैसे कण एक साथ तरंग भी होते है और कण भी।

मतलब की ऊर्जा में और सॉलिड रूप में एक साथ। visible भी है और invisible भी।

यह कुछ ऐसा है कि आपके हाथ में एक फल है, जो सेब भी है और केला भी। वो भी एक ही समय पर एक ही जगह पर और एक ही चिज के अंदर। है ना गजब का यह quantum physics.

चलिये एक और प्रयोग देखते है।

देखिए प्रकाश जिससे बना है वो कण है फोटोन। जो की इलेक्ट्रान जैसे ही होते है। अब उन तिराड में से इस कण को एक एक करके निकाला जाए तो।

क्योकि अब तो यह कण (इन कणो को आप अनाज के दाने समझ सकते हो) एक एक करके निकलेंगे तो तरंग की तरह ना रहकर कण जैसा ही बर्ताव करेंगे। याद रहे इस प्रयोग में हम कोई सेंसर नही लगाने वाले।

तो यह प्रयोग किया गया और फिर से वैज्ञानिक दंग रह गए। बोर्ड पर प्रकाश तरंगे की तरह ही दिखे।

पर यह होना नामुमकिन है। जब सिर्फ एक पार्टिकल को प्लेट की तिराड में से निकालते है तो वो तरंग की तरह कैसे बर्ताव कर सकता है।

ऐसा तभी हो सकता है जब वो कण एक से ज्यादा हो। मतलब की एक ही कण एक साथ कई जगहों पर मौजूद हो। लेकिन एक ही particle एक से ज्यादा जगहों पर कैसे हो सकता है।

यह हमारी दुनिया में संभव ना हो लेकिन क्वांटम फिजिक्स की दुनिया में है।

यह कुछ इस तरह से समझा जा सकता है कि आप अभी अपने घर पर भी मौजूद हो और अपने स्कुल में भी। आप एक साथ दो जगहों पर हो।

आपको तो अब पता चल ही गया होगा की क्वांटम फिजिक्स असल में कितना रहस्यमय है। लेकिन इसका सबसे बड़ा रहस्य तो अभी बाकी है। जो में आपको इस लेख के अंत में बताऊंगा, लेकिन पहले हम इस रहस्यमय बिल्ली को जानते है।

Schrodinger cat experiment in hindi

मैक्स प्लान्क के बाद कई वैज्ञानिको ने क्वांटम फिजिक्स (quantum physics in hindi) में अपना हाथ आजमाया। यहा तक की आइन्स्टाइन ने भी इसमें हिस्सा लिया था। उन्ही में से एक Schrodinger थे।

उनकी थियरी के मुताबिक क्वांटम पार्टिकल अजीब तरह से व्यवहार करते है। जब इन क्वांटम कणो (quantum particles) को कोई नही देख रहा होता है तब वो सारी संभावनाओ में एक साथ होते है।

लेकिन जब हम उन्हें देखने जाते है तो वो सारे क्वांटम कण मिलकर कोई एक संभावना को हमारे सामने दिखाते है।

यह थियरी कितनी सच है वो देखने के लिए उन्होंने एक प्रयोग किया। उस प्रयोग को Schrödinger cat experiment नाम दिया गया।

इस प्रयोग में उसने एक बिल्ली को एक बॉक्स के अंदर बंद किया और बॉक्स में एक जहरीली बोतल रखी। साथ ही एक रेडिएशन निकलने वाले पदार्थ को हथौड़े से जोड़ा।

यह सब कुछ इस तरह से सेट किया गया था कि जब पदार्थ में से रेडिएशन निकलेगा तो हथौड़ा अपने आप बॉटल से टकरायेगा और जहरीली गैस बॉक्स में फ़ैल जाएगी, जिससे बिल्ली मर जाएगी।

लेकिन यहाँ पर ट्विस्ट यह है कि उस पदार्थ में से रेडिएशन निकलने की संभावना 50% ही थीं। मतलब की बिल्ली के मरने की संभावना भी 50% ही रहेगी।

Schrödinger cat in hindi

बिल्ली भी आखिर क्वांटम पार्टिकल से मिलकर ही बनी हुई होती है। तो यहाँ पर बिल्ली की दो संभावनाए है।

इसका मतलब कि बिल्ली एक ही समय पर एक साथ ज़िंदा और मृत दोनों है। क्योकि थियरी के मुताबिक क्वांटम पार्टिकल एक साथ सारी संभावना में होते है।

लेकिन जब हम उन्हें देखने जाते है तब वो सारे क्वांटम पार्टिकल मिलकर कोई एक संभावना को हमारे सामने रखते है।

उसी तरह जब तक बॉक्स बंद है तब तक बिल्ली मरी हुई और जिंदा दोनों है, लेकिन जब हम बॉक्स खोलेंगे तो सारी संभावना मिलकर कोई एक हमे दिखाएंगे। या तो बिल्ली जिंदा होगी या मरी हुई।

तो बस यह प्रयोग किया गया था क्वांटम फिजिक्स (quantum physics in hindi) को समझने के लिए। क्या आपको जानने का मन कर रहा है कि असल में उस बिल्ली का क्या हुआ।

असल में यह प्रयोग पूरी तरह से दिमाग में किया गया था, बस यह जानने के लिए की वो थियरी कितनी सच है।

लेकिन थियरी का कुछ मतलब नही निकला और यह प्रयोग जिसने किया था उसे quantum physics भेजामारी वाला लगा और वो दूसरी खोज में चल पड़ा।

यह प्रयोग जिस थियरी के लिए किया गया था, उस थियरी को आज नकारा जा रहा है। क्योंकि बिल्ली के मरने की संभावना उस हथौड़े, बॉटल, और पदार्थ सब पर थी।

क्योंकि ऐसा हो सकता है कि उनमे से कुछ चीजे ठीक से काम ना करे। जिससे हम यह कह सकते है कि सिर्फ देखने वाले पर ही बिल्ली का आधार नही रहता। और दूसरी बात ये की बिल्ली खुद यह सब देख रही थी तो क्वांटम कणो को देखने वाला कोई था।

वैसे जब तक किसी भी थियरी को साबित नही किया जाता तब तक उसे नही माना जाता। लेकिन इस थियरी के साथ यह भी माना जाता है कि जब हम बॉक्स खोलते है तो बिल्ली एक ब्रह्मांड में ज़िंदा होगी और दूसरे में मरी हुई।

अगर यह बात सच है तो इससे कई रहस्य सामने आएंगे, खास करके समांतर ब्रह्मांड का।

heisenberg uncertainty principle

आपको एक कार में अंजान जगह रख दिया जाए और आपको पता ना हो की आप कहाँ है और आप की कार कितनी गति से चल रही है।

तो आप पहले क्या जानना चाहेंगे। जगह या कार की गति। कुछ लोग कहेंगे कि में दोनों ही जानना चाहता हूँ। लेकिन वो संभव ना हो तो।

ऐसा क्यों इसका जवाब भी क्वांटम फिजिक्स (quantum physics in hindi) ही है। हमारी आम सी दुनिया में तो हम कहाँ है और हमारी गति क्या है, वो दोनों एक साथ जान सकते हैं। लेकिन क्वांटम दुनिया (quantum world) में ऐसा नही हो सकता।

क्वांटम कण में ऐसी शक्तिया होती है की जब हम इन कणो की गति नापने जाते है तो उसकी जगह बदल जाती है और जब जगह नापने जाते है तब गति।

इसकी वजह है इनका अति सूक्ष्म होना। जब हम इनकी गति नापते है तब हमारी अड़चन से उनकी जगह बदल जाती है।

ठीक इसके विरुद्ध, जब हम इसके स्थान को जानने का प्रयास करते है तो इनकी गति में खलेल पंहुचती है।

कुल मिलाकर दोनों एक साथ जानना असंभव है। इस सिद्धांत को ही heisenberg uncertainty principle कहा जाता है।

Quantum entanglement

आप यह घटना देखिए। दो दोस्त है। रोहन और सोहन। यह दोनों पहले हाथ मिलाते है और फिर अपने अपने रास्ते चले जाते है। अब दोनों एकदूसरे से बहोत दूर है।

तो अब में रोहन को गोल गोल घुमाता हु। इसी वजह से सोहन भी गोल गोल घूमने लगता है। तो क्या ऐसा संभव है की रोहन की असर सोहन पर हो।

हमारे आम से जीवन में भले ऐसा ना होता हो पर क्वांटम फिजिक्स ऐसा करने में सक्षम है।

जब क्वांटम के कोई दो कण (electron, photon) एक दूसरे के संपर्क में आते है तो वो एक दूसरे से जुड़ जाते है।

अब अगर इन दोनों कणो को एक दुसरे से अलग करते है तब भी वो एक दूसरे से जुड़े हुए ही रहते है।

जब हम उनमे से किसी एक कण पर कोई बदलाव करते है तो वो बदलाव दूसरे कण पर भी होगा। भले ही दोनों कणो के बीच की दुरी हजारो किलोमीटर क्यों न हो।

क्वांटम फिजिक्स (Quantum physics in hindi) की इस घटना का उपयोग करके एक फोटोन को 213 किलोमीटर दूर टेलीपोर्ट किया गया था।

Delay choice experiment

मैंने आपको कहा था की लेख के अंत में में आपको एक जादुई चिज के बारे में बताऊंगा। तो वो समय आ चुका हैं।

double slit experiment में सेंसर को प्लेट के पहले लगाते थे तो उसी सेंसर की वजह से प्रकाश एक कण की तरह प्लेट की तिराड में से निकलता था। क्योंकि वह प्रकाश जानता था कि कि कोई उसे देख रहा है।

लेकिन क्या हो अगर हम सेंसर को उस प्लेट के बाद रखे। इससे होगा यह की प्रकाश उन तिराड (slit) से तरंग के रूप में निकलेगा।

Delay choice experiment in hindi

परंतु उसे देखने वाला तो तब होगा नही, ओर जब तिराड में से निकलेगा तो सेंसर उसे देख लेगा।

तो यह प्रयोग किया गया और परिणाम फिर से ऐसे मिले जिसकी उम्मीद नही थीं। प्रकाश ने कण (particle) की तरह बर्ताव किया

तो सवाल उठता है क्यों?

जब की सेंसर प्लेट के दूसरी तरफ रखा है तो उससे कोई फर्क नही पड़ेगा, क्योकि तिराड में से कण निकलेंगे तो बोर्ड पर कण दिखेंगे और तरंग निकलेंगे तो तरंग।

इस प्रयोग में कोई भी सेंसर प्लेट के पहले नही लगा था तो प्रकाश तिराड में से तरंग की तरह निकलेगा और तरंग की तरह ही बोर्ड पर जा गिरेगा।

पर प्रयोग में हमे परिणाम मिला की प्रकाश कण की तरह ही दिखा।

ऐसा तो तभी हो सकता है जब उन क्वांटम कणो को पता हो की प्लेट की दूसरी तरफ कोई सेंसर लगा हुआ है और उन्होंने उसी तरह बर्ताव किया जैसे उनको पहले से सब मालूम हो।

या हम कह सकते है कि उन क्वांटम कणो ने टाइम ट्रेवल किया हो। जब वो तिराड में से निकले तो उन्हें पता चल गया कि कोई सेंसर लगा है फिर वो भुतकाल में पीछे गये, उस समय में जब वो कण तिराड में से नही निकले थे।

जो की उन क्वांटम कणो को अब मालूम था कि आगे एक सेंसर लगा है तो वो तिराड में से एक कण की तरह ही निकले।

इस प्रयोग से क्वांटम फिजिक्स (quantum physics in hindi) का रहस्य सामने आया की वो time travel कर सकते है। और अगर क्वांटम कण समय में पीछे जा सकते है तो हम भी जा सकते है। क्योकि आखिर हम भी तो उसी से बने हैं।

में जानता हु की यह समझना थोड़ा कठिन है, इसी वजह से मैंने यहा एक वीडियो दिया हुआ है।

FAQ

परमाणु का क्वांटम यांत्रिकी मॉडल क्या है?

परमाणु के क्वांटम यांत्रिक मॉडल में डी ब्रोगली तरंग दैर्ध्य, श्रोडिंगर समीकरण और हाइजेनबर्ग अनिश्चितता सिद्धांत का उपयोग करके इलेक्ट्रॉनों को संभाव्य पदार्थ तरंगों के रूप में सोचा जाता है।

क्वांटम मैकेनिकल वेव फंक्शन क्या है इसके स्वतंत्र चर क्या हैं?

क्वांटम भौतिकी में वेव फंक्शन क्वांटम स्थिति का गणितीय विवरण है।

क्वांटम फिजिक्स के सुपरपोजिशन सिद्धांत के अनुसार, वेव फंक्शन को एक साथ जोड़ा जा सकता है और जटिल संख्याओं से गुणा करके नए वेव फंक्शन का निर्माण किया जा सकता है।

क्वाण्टम यांत्रिकी के अभिगृहीत क्या है?

इसके अंदर परिभाषाओ का समूह है, जो की क्वांटम फिजिक्स की भौतिक संरचना और गाणीतिक भाषा होती है।

क्या रसायन शास्त्र में क्वांटम यांत्रिकी है?

हां, रसायन शास्त्र में क्वांटम यांत्रिकी का समावेश होता है।

Conclusion

इस लेख में हमने जाना की क्वांटम फिजिक्स क्या है (quantum physics in hindi). साथ ही उसके सिद्धांत भी।

उम्मीद है आपको यह जानकारी पसंद आयी होगी।

अब बारी आपकी है कमेंट में यह बताने की, की इस लेख में सबसे अच्छा आपको क्या लगा।

इसका इतिहास या रहस्यमय प्रयोग। जो भी हो कमेंट में बताएं।

लेकिन, अगर आप और भी कुछ रोमांचक पढ़ना चाहते है तो इन लेखों को एक बार जरूर देखें।

👉 जानिए विज्ञान क्या है (2020 की 5 नई खोज)

👉 रसायन विज्ञान की अदभुत दुनिया ( मुलभुत सिद्धांत)

👉 भौतिक विज्ञान क्या है (कुछ खास)

6 thoughts on “quantum physics in hindi: क्वांटम फिजिक्स क्या है (5 रहस्य)”

  1. Very nice information about time travel due to quantum feild, Mean that any one can decode into self by supporting time travel .

    Reply
  2. THANX NICE INFO BUT KYA TIME TRAVEL SABHAV HAI
    AB TAK quantum feild KA USE KISI NE KIYA KYA ESA HO SAKTA HAI
    quantum feild EK ANSULJHA RAHSAY HAI SHAYAD ANE WALE TIME ME ISE KOI SULJHA SAKE

    Reply
    • अभी quantum physics को पूरी तरह से समजा नही जा सका है। क्योंकि इतने सूक्ष्म स्तर का विश्लेषण करने की हमारी क्षमता मर्यादित है।

      Reply

Leave a Comment