क्या आप प्लूटो ग्रह (pluto in hindi) के बारे में सब कुछ जानना चाहते है? यह लेख आपको वो सारी जानकारी देगा जो आपको चाहिए।
सौरमंडल का नौवां ग्रह प्लूटो जिसे 75 साल तक एक ग्रह का दर्जा दिया गया और बाद में बेचारे को लात मार कर नौ ग्रहों की जोड़ी में से निकाल दिया।
लेकिन क्यों, वो आपको जानने मिलेगा इस लेख में। साथ ही इसके कुछ अद्भुत तथ्यों को भी। लेकिन पहले हम जानेंगे इसका इतिहास।
Note: इस लेख में 11 रहस्यों को 11 भागों में बांटा गया है।
Table of Contents
History of pluto in hindi – प्लूटो का इतिहास
प्लूटो का इतिहास (History of pluto in hindi) बहुत ही रोमांचक रहा है।
साल 1840 में वैज्ञानिक Urbain Verrier ने न्यूटन के नियम का उपयोग करके पता लगाया कि युरेनस प्लेनेट की कक्षा में कुछ गड़बड़ी चल रही है।
बाद में जब नेप्च्यून की खोज हुई तब उसके द्र्व्यमान में भी कुछ गड़बड़ी आ रही थी।
उस समय वैज्ञानिको को समझ नही आया की युरेनस की कक्षा और नेप्च्यून के द्र्व्यमान दोनों के साथ ऐसा क्यों हो रहा है।
रिसर्च करने पर पता चला की कोई बाहरी अंजान खगोलीय पिंड अपना प्रभाव इन दोनों ग्रहो पर डाल रहा है।
पर वैज्ञानिक इस रहस्य के बारे में कुछ नही जानते थे, इसीलिए इसे नाम दे दिया गया planet X.
फिर साल 1894 में Percival Lowell नाम के खगोल शास्त्री ने Lowell Observatory की स्थापना की और साल 1906 से planet x को खोजना शुरू किया।
उन्होंने 10 साल तक खोज शुरू रखी, जब तक उनकी मृत्यु न हो गयी। खोज के समय लोवेल ने इस रहस्यमय चीज की दो तस्वीरे भी ली थी, लेकिन वो इससे अंजान थे।
Discovery of pluto planet in hindi – प्लूटो की खोज
साल 1929 में Percival Lowell की पत्नी ने यह रिसर्च फिर चालू करवाई और इस ग्रह को खोजने की जिम्मेदारी दी गयी Clyde Tombaugh को।
इस बंदे ने 1 साल की कड़ी महेनत के बाद इस रहस्यमय प्लेनेट को खोज निकाला।
अब जब की नए प्लेनेट की खोज (discovery) हो चुकी थी तो बारी थी उसके नाम की। जिस का अधिकार Lowell Observatory था।
प्लूटो (pluto planet in hindi) इस नाम का सुझाव एक 11 साल की छोटी लड़की ने दिया था। जिसके बदले उसे 450 डॉलर का इनाम भी मिला था।
इस ग्रह का pluto नाम रखने का एक यह भी कारण था कि उसका पहला अक्षर Percival Lowell से मैच होता था। जिन्होंने लेब की स्थापना की थी।
Pluto meaning in hindi – प्लूटो ग्रह का हिंदी अर्थ
pluto नाम रोमन संस्कृति में god of underworld को दर्शाता है। जिसका हिंदी में अर्थ पाताललोक के भगवान होता है।
हिन्दू संस्कृति में प्लूटो का हिंदी नाम (pluto name in hindi) यम है। जो की मृत्यु के देवता है।
Pluto in hindi – प्लूटो के बारे में
प्लूटो (Pluto in hindi) हमारे सौरमंडल का नौवां ग्रह है और साथ में सबसे दूरस्थ भी। सूर्य से इसकी की औसतन दुरी 39 AU है।
Note: सूर्य और पृथ्वी के बीच की दुरी को 1 AU कहा जाता है।
अगर हम इसकी कक्षा को देखेंगे तो वो पूरी तरह से गोल ना होकर थोड़ी विचित्र है। जिससे एक समय पर इसकी सूर्य के सबसे नजदीक होता है और एक समय पर सूर्य से काफी दूर।
सबसे नजदीक अंतर 30 AU है जब की सबसे दूर का अंतर 49 AU है। इतने बड़े तफावत की वजह से इस ग्रह के अंतर को सरेराश 39.5 AU माना जाता है।
जहाँ सूर्य की रौशनी को इसकी पर पहुचने में 5.5 घंटे लग जाते है।
अब आते है आकार पर।
प्लूटो का व्यास 2,376 km है। जो की हमारे चंद्रमा से भी छोटा है। पृथ्वी से तुलना करने पर यह ग्रह पृथ्वी के छठे भाग का ही है।
प्लूटो (pluto in hindi) का द्र्व्यमान हमारे पृथ्वी का सिर्फ 0.22% ही है। इतने कम मांस की वजह से ही यह ग्रह हमेशा वादविवाद का कारण बना है।
Rotation and Orbit – परिभ्रमण और कक्षा
यम ग्रह को अपनी धुरी पर एक चक्र (Rotation) पूरा करने में 153 घँटे का समय लगता है। जिसे एक दिन माना जाता है। जो की पृथ्वी के 6 दिन के समान है।
शुक्र और युरेनस की तरह यह ग्रह भी उल्टा घूमता है, जिसकी वजह से यहाँ सूर्य पश्चिम से निकलता है और पूर्व में अस्त होता है।
अपनी कक्षा में रहकर सूर्य की एक परिक्रमा करने में pluto को 248 साल लगते है। जिसे वहाँ का एक साल माना जाता है।
प्लूटो की यह कक्षा (orbit) बाकी ग्रहो की तुलना में बहुत ही अजीब है।
हर 248 साल में एक बार प्लूटो नेप्च्यून की कक्षा को पार कर लेता है जिससे यह 20 साल तक सूर्य के ज्यादा नजदीक होता है बजाय नेप्च्यून के।
अंतरिक्ष में यह अपनी धरी से लगभग 57 डिग्री जुका हुआ है, जिससे यहा मौसम में बदलाव होते रहते है।
अब इसकी संरचना को जानते है।
Structure and surface – संरचना और सतह
प्लूटो की संरचना (Structure) तीन स्तर से मिलकर बनी है।
कोर (core)
आवरण (mantle)
पपड़ी (crust)
इसकी कोर सिलिकेट पत्थरो से मिलकर बनी है। जो इसके 70% व्यास जितनी बड़ी है।
इसके ऊपर आवरण है जिसपर पानी के समुद्र है।
और आखिर में पपड़ी है जो बर्फ से बनी है।
यम ग्रह (pluto in hindi) की 98% सतह नाइट्रोजन के बर्फ से बनी है और बाकी 2% में मीथेन और कार्बन डाइऑक्साइड है। इस तरह की सतह होना ज्यादा अजीब नही है, पर pluto को जो विशेषता दुसरो से अलग करती है वो है इसका दिल।
pluto की सतह पर एक दिल का आकार बना हुआ है। जो 1,000 किलोमीटर लंबा है। साथ ही यह इसके चमकीले भाग की और है। जिससे हम इसे साफ़ साफ़ देख सकते है।
इस क्षेत्र का नाम Tombaugh Regio है।
यह असल में एक घाटी है जो नाइट्रोजन बर्फ से भरी है। इस पर एक भी गढ्ढा नही पाया गया है। जो सुझाव देता है कि इसकी सतह 1 करोड़ साल से कम पुरानी है।
प्लूटो की सतह का रंग charcoal black, dark orange, white और कुछ जगहों पर तो लाल भी है।
लेकिन कुछ काले रंग के भाग है, जिस पर कुछ वैज्ञानिक यह कहते है कि यह pluto का चॉकलेट जैसा रंग है जब की कुछ को लगता है कि यह अँधेरा है।
यहाँ के सबसे बड़े पर्वत की ऊंचाई 2-3 किलोमीटर है। जब की सबसे बड़ी खाई 350 km लंबी है।
इसके अलावा इस ग्रह पर 260 km व्यास का विशाल गढ्ढा भी मौजूद है।
अब इसके निर्माण के बारे में जानते है।
Formation of pluto – यम ग्रह का निर्माण
हमारे सौरमंडल का जन्म धूल और गैस के एक विशाल बादल जिसे नेब्यूला कहा जाता है उसमें हुआ था।
गुरुत्वाकर्षण बल के चलते इस बादल का द्र्व्यमान एक जगह जमा होने लगा और वहाँ जन्म हुआ सूर्य का।
जो भाग बच गया उसमे से बने ग्रह।
यह घटना के बाद भी यम ग्रह के निर्माण (Formation) को लेकर कई उलझने है।
नेप्च्यून के पार बर्फ और धूल से बना एक विशाल घेरा है, जिसे काइपर घेरा (kuiper belt) कहा जाता है। इस घेरे में 1 खरब से भी ज्यादा धुमकेतु है।
प्लूटो इस क्षेत्र में रहकर सूर्य की परिक्रमा करता है।
यह अनुमान लगाया जा रहा है कि pluto कई धुमकेतु से मिलकर बना होगा। या किसी विशाल खगोलीय पिंड के टकराव से इसका जन्म हुआ होगा।
इस घेरे का सबसे बड़ा खगोलीय पिंड प्लूटो ही है। वरुण ग्रह का चंद्रमा ट्राइटन इस से बस थोड़ा ही बड़ा है।
जिससे यह अंदाजा लगाया जा रहा है कि प्लूटो और ट्राइटन का निर्माण एक ही स्त्रोत से हुआ होगा।
क्योकि दोनों की संरचना भी समान हैं।
एक अनुमान यह भी है कि हो सकता है कि पहले ट्राइटन भी यम ग्रह की तरह सूर्य की परिक्रमा करता था लेकिन फिर वरुण ग्रह के गुरुत्वाकर्षण बल ने इसे अपनी कक्षा में खिंच लिया होगा।
जो भी हो लेकिन यह अभी भी एक रहस्य ही है।
Atmosphere of pluto in hindi – प्लूटो ग्रह का वायुमंडल
प्लूटो का वायुमंडल नाइट्रोजन, मीथेन और कार्बन मोनोऑक्साईड से मिलकर बना है। यह बहुत पतला वायुमंडल है।
pluto का वायुमंडल (Atmosphere) एक धुमकेतु की तरह है। जब यह सूर्य के नजदीक आता है तब इसका वायुमंडल फैलता है और दूर जाते ही सिकुड़ जाता है।
ऐसा होने कि वजह नाइट्रोजन बर्फ है। जो सूर्य की गर्मी ज्यादा होने से गैस बन जाता है और दूर जाने पर फिर से जम जाता है।
इसका यह पतला वायुमंडल सतह पर पानी रखने के लिए सक्षम है। छायद प्राचीन समय में इस पर पानी के समुद्र भी रहे होंगे।
न्यू रिसर्च से पता चला है कि इसके वायुमंडल के ऊपर के भाग का तापमान -203 ℃ है। इतने ठंडे तापमान की वजह से यंत्र काम करना बंध कर देते है जिससे यहा स्पेस मिशन करना बहुत मुश्किल है।
Moons – चंद्रमा
इतना छोटा होने के बावजूद प्लूटो के पास पांच उपग्रह है। जब की हमारे पास सिर्फ एक ही है।
माना जाता है कि यह सारे चंद्रमा (moons) यम ग्रह के किसी समान खगोलीय पिंड के टकराव से बने थे।
वैसे इनकी जानकारी में कुछ ज्यादा तो नही है लेकिन फिर भी इसकी एक दो बाते बता ही देता हूं।
Charon: यह नाम ग्रीक की संस्कृति ferryman of the dead से लिया गया है जिसका अर्थ होता है मृतकों का पिता।
pluto के इस चंद्रमा का व्यास 1,200 km है। इतने बड़े होने की वजह से pluto पर इसका गुरुत्वाकर्षण प्रभाव पड़ता है और ऐसा लगता है मानो दो ग्रह एक दूसरे की परिक्रमा करते हो। बिलकुल बाइनरी स्टार सिस्टम की तरह।
इसी वजह से वैज्ञानिक इन्हें double dwarf planet के रूप से भी जानते है।
एक संभावना यह है कि प्लूटो (pluto in hindi) के किसी खगोलीय पिंड के टकराव से charon का जन्म हुआ होगा या फिर charon खुद इस से टकराया होगा।
Nix: इस चाँद की त्रिज्या सिर्फ 50 किलोमीटर है। इसका यह नाम रात की देवी (goddess of night) से रखा गया है। साथ ही इसे खोजने वाले यान New horizons को सन्मानित करने के लिए भी। क्योकि उसका भी पहला अक्षर N है। वैसे इसकी खोज 2005 हुई थी।
Styx: इस उपग्रह को देखकर लगता है कि जैसे इसकी खोज अभी ही हुई हो। साल 2012 में खोजे गये इस उपग्रह का नाम ग्रीक के देवता styx पर से ही रखा गया है। जिन्होंने पाताल लोक और पृथ्वी के बीच की सीमा बनाई थी।
यम ग्रह के इस चंद्रमा की लंबाई सिर्फ 16 किलोमीटर है।
Kerberos: 2011 में खोजे गये इस चाँद की लंबाई 19 किलोमीटर है। kerberos कई सिर वाले कुते का नाम है जो पाताललोक के दरवाजे की रखवाली करता था।
इस चंद्रमा को देखकर ऐसा लगता है मानो दो छोटे पिंड के मिलने से इसका निर्माण हुआ होगा।
Hydra: इस चाँद को Nix के साथ ही 2005 में खोजा गया था। इसकी लंबाई 51 किलोमीटर है, जिसकी वजह से यह दूसरा सबसे बड़ा चाँद बनता है। पाताल लोक के नौ सिर वाले सांप को ग्रीक संस्कृति में hydra कहाँ जाता था।
अब आते है सबसे खास विषय पर।
Why pluto is not a Planet in hindi – क्यों प्लूटो ग्रह नही है
pluto को लेकर अभी भी कई वादविवाद होते है, लेकिन सबसे बड़ा विवाद यह है कि क्यों प्लूटो ग्रह नही है (Why pluto is not a Planet in hindi).
साल 1930 में जब यम ग्रह की खोज हुई तब उसे एक ग्रह का दर्जा दिया गया।
फिर साल 2005 में ऐसे एक खगोलीय पिंड की खोज हुई जो सूर्य का चक्कर लगा रहा था। जिसे eris नाम दिया गया और एक बौने ग्रह का पद मिला।
Note: बौने ग्रह (dwarf planet in hindi) पृथ्वी से काफी छोटे होते है।
एरिस और प्लूटो दोनो काफी समान आकार के थे। इसी वजह से pluto को भी 75 साल बाद 2006 में IAU ने उसे नौंवे ग्रह से उठाकर बौने ग्रह में डाल दिया और पीछे रह गए सौर मंडल के आठ ग्रह।
लेकिन यह बात यहाँ तक ही सीमित नही रही, इससे काफी लोग नाराज हुए और इस निंर्णय को नही माना। उन्होंने कहा कि प्लूटो एक ग्रह ही है।
यहाँ तक की NASA के एडमिनिस्ट्रेटर ने भी यह कहा कि में भी प्लूटो (pluto in hindi) को एक ग्रह ही मानता हूं।
लेकिन अब सवाल उठता है क्यों इसे ग्रह के पद से हटाया गया। दोनों के समान आकार की वजह से क्यों एक ग्रह था और क्यों एक बौना ग्रह।
जिस पर चर्चा हुई और यह तय हुआ की किसी भी ग्रह के लिए तीन शर्तो का पूरा होना जरूरी है।
1. खगोलीय पिंड सूर्य के चारो और कक्षा में परिक्रमा करता हो।
2. खगोलीय पिंड का द्र्व्यमान इतना होना चाहिए की अपने गुरूत्वाकर्षण बल से गोल आकार बना सके।
3. खगोलीय पिंड के आसपास की कक्षा साफ़ होनी चाहिए।
लेकिन प्लूटो तीसरी शर्त पर विफल रहता है। क्योंकि इसका द्र्व्यमान उसके आसपास की कक्षा में रहे खगोलीय पिंडो से कम है।
जो दर्शाता है कि यह एक बौना ग्रह है। आज के समय हमारे सौरमंडल में कई बौने ग्रह है जिसमे प्लूटो सबसे बड़ा बौना ग्रह कहलाता है।
तब तो IAU ने बता दिया की क्यों प्लूटो ग्रह नही (pluto is not a Planet in hindi) है। लेकिन अभी साल 2015 में हुए न्यू होराइज़न्स स्पेस मिशन से यह पता चला है कि इस ग्रह को हम जितना अजीब मानते थे यह उससे भी ज्यादा अजीब है और कुछ ऐसी विशेषताए भी पाई गई है जो बताती है कि यह एक ग्रह बनने योग्य है।
जैसे की भूमिगत महासागर, कार्बनिक पदार्थ और इसका कई स्तरों से मिलकर बना हुआ वायुमंडल।
अभी के समय यह एक बौना ग्रह (dwarf planet in hindi) ही है। पर संभावना है कि भविष्य में यह फिर से नौवा ग्रह बनेगा।
जो भी हो हम आगे बढ़ते है।
Life and mission – जीवन और अंतरिक्ष मिशन
क्या प्लूटो पर जीवन संभव है?
नही।
यहाँ के बहुत ही ठंडे तापमान की वजह से इंसानी जीवन (life) लगभग नामुमकिन है। भले ही इस ग्रह पर पानी मौजूद हो।
साथ ही सूर्य से दूर होने के वजह से यहाँ पर ना उसका प्रकाश है और ना ही गर्मी।
साल 2005 में new horizons अंतरिक्ष मिशन हुआ था। यह पहला यान था जिसने यम ग्रह और उसके चंद्रमाओं का अध्ययन किया हो।
साल 2015 में वो प्लूटो के सबसे करीब था। अभी के समय वो kuiper belt के सबसे दूरस्थ खगोलीय पिंड के अभ्यास के लिए निकल पडा है।
अब इसके अगले मिशन की चर्चाएं हो रही है।
यहाँ पर हमारे 11 रहस्य समाप्त होते है। अब इस ग्रह से जुड़े कुछ अद्भुत तथ्यों को जानते है।
Facts about pluto planet in hindi – प्लूटो से जुड़े अद्भुत तथ्य
प्लूटो को खोजने वाले वैज्ञानिक की अस्ति को new horizons यान में रखा गया था।
साल 1979 – 1999 के बीच यम ग्रह सूर्य से ज्यादा नजदीक था बजाय नेप्च्यून के।
1941 में Glenn T. Seaborg ने एक नया तत्व खोज निकाला था, जिसका नाम इसी ग्रह पर से plutonium रखा गया।
मिकी माउस कार्टून में एक कुत्ते का नाम प्लूटो है, जो इसी ग्रह से प्रेरित है।
प्लूटो प्लेनेट का 1/3 हिस्सा पानी से बना हुआ है।
Conclusion
तो बस यह थी कुछ जानकारी प्लूटो (pluto in hindi) के बारे में। उम्मीद है आपको पसंद आयी होगी।
अब बारी आपकी है कॉमेंट में यह बताने की, की इस लेख में सबसे अच्छा आपको क्या लगा।
इसका इतिहास या कक्षा। जो भी हो कॉमेंट में बताएं।
लेकिन, अगर आप कुछ रोमांचक पढ़ना चाहते है तो इन लेखो को एक बार जरूर देखें।
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👉 क्वांटम फिजिक्स की रहस्यमय दुनिया (सरल भाषा में)