क्या आप शुक्र ग्रह (venus in hindi) के बारे में सब कुछ जानना चाहते है? यह लेख आपको वो सारी जानकारी देगा, जो आपको चाहिए।
शुक्र ग्रह सौरमंडल का दूसरा ग्रह है। जो बहुत ही अजीब और रहस्यमय है।
जिसके बारे में जानना सच में बहुत ही रोमांचक है।
तो चलिये जानते है इस ग्रह को गहराई से।
Note: इस लेख में 9 रहस्यों को 9 भागो में बांटा गया है।
Table of Contents
History of Venus in hindi – शुक्र ग्रह का इतिहास
शुक्र ग्रह का इतिहास (History of Venus) एक ग्रह की तरह नहीं बल्कि एक तारे की तरह रहा है।
वीनस आसमान में बहुत चमकीला दिखाई देता है, जिससे प्राचीन सभ्यताएं इसे दो अलग अलग तारें मानती थी।
सुबह का तारा और श्याम का तारा। जो सूर्य के उदय और अस्त होने पर दिखाई देते थे।
ग्रीक वासी इन दोनों तारों को Phosphorus और Hesperus के नाम से पहचानते थे।
जब की रोमन संस्कृति की तरफ से Lucifer और vesper नाम दिए गए थे।
लेकिन उन्हें नहीं पता था कि जिन्हें वो दो अलग अलग तारे मान रहे है वो कोई तारा नहीं बल्कि एक ग्रह (planet) है।
इसके उपरांत नंगी आँखों से दिखाई देने की वजह से यह कहना असंभव है कि इस ग्रह या कहे तारें को सबसे पहले किसने देखा था।
लेकिन वो Galileo Galilei था जिसने 17वीं सदी में अपने बनाये टेलिस्कोप के जरिये यह बताया कि venus कोई तारा नहीं बल्कि एक ग्रह है।
आगे चलके इसके वायुमंडल की भी खोज हुई और आज के समय में हमारे पास इससे जुड़ी कई खगोलीय जानकारी है।
लेकिन उससे पहले हम जानते है इसके नाम का अर्थ।
Venus meaning in hindi
Venus नाम रोमन की प्यार और सुंदरता की देवी पर से रखा गया है।
इसे हम हिंदी भाषा में शुक्र कहते है जो हिन्दू संस्कृति के एक देवता का नाम है।
साथ ही यह सात दिनो में शुक्रवार को दर्शाता है।
अब आगे बढ़ते है।
Venus in hindi – शुक्र ग्रह के बारे में
पहले हम जानते है कि शुक्र ग्रह (Venus in hindi) कैसे बना।
आज से लगभग 4.6 अरब साल पहले एक विशाल बादल में से सौरमंडल का निर्माण हुआ था।
उस समय गैस, पत्थर और धूल गुरुत्वाकर्षण बल के चलते एक जगह जमा होने लगे और जन्म हुआ venus planet का।
लेकिन इसके निर्माण में पत्थर की मात्रा ज्यादा थी बजाय गैस के।
जिसकी वजह यह एक स्थलीय ग्रह बना।
स्थलीय ग्रह उसे कहते है जिसकी रचना पत्थर से बनी हो।
हमारे सौरमंडल में चार स्थलीय ग्रह है। जिनमे शुक्र दूसरा बड़ा स्थलीय ग्रह है जब की पृथ्वी पहले स्थान पर हैं।
आकार में पृथ्वी और वीनस दोनों लगभग समान है।
इसकी त्रिज्या 6,051 km है। जो की पृथ्वी की त्रिज्या से बस थोड़ी ही छोटी हैं।
द्र्व्यमान (mass) की बात करें तो वो पृथ्वी के 85 प्रतिशत जितना है।
इतनी सारी समानता की वजह से वीनस को पृथ्वी का जुड़वाँ भाई भी कहा जाता है।
orbit and rotation of Venus – कक्षा और परिभ्रमण
शुक्र ग्रह सूर्य से 0.7 AU की दुरी पर स्थित अपनी कक्षा (orbit) में घूम रहा है।
साथ ही सौरमंडल के दूसरे ग्रहो की तुलना में इसकी कक्षा भी ज्यादा गोल है।
इसे अपनी कक्षा का एक चक्कर पूरा करने में 225 दिन लगते हैं। जिसे Venusian year कहा जाता है।
इसी कक्षा में घूमते समय जब venus planet पृथ्वी और सूर्य के बिच आता है तब यह हम से सबसे नजदीक होता है।
सिर्फ 4 करोड़ किलोमीटर ही दूर।
लेकिन यह ज्यादातर पृथ्वी से दूर अपनी कक्षा (orbit) में ही घूमता रहता है, परिणाम स्वरूप बुध ग्रह सबसे नजदीक ग्रह बन जाता है।
परिभ्रमण (rotation) की बात करे तो शुक्र ग्रह पर सूर्य पश्चिम से उदय होता है और पूर्व में अस्त। क्योकि यह पूर्व से पश्चिम की तरफ घूमता है।
जो की सौरमंडल के बाकी ग्रहों की तुलना में उल्टी दिशा है। सिवाय यूरेनस के,क्योंकि वो भी शुक्र की तरह ही उल्टा घूमता है।
इस ग्रह की अपनी ही धरी पर घूमने की गति 6.5 km/h है। जो की सौरमंडल के सारे ग्रहों में सबसे धीमी गति है।
इसी वजह से यहाँ का एक दिन पृथ्वी के 243 दिन के समान है।
जो साफ़ दर्शाता है कि venus planet का एक दिन उसके एक साल से बड़ा होता है। ( है ना, गजब की बात)
अगर आप इस ग्रह की हमारी पृथ्वी की घूर्णन गति से तुलना करेंगे तो बहोत बड़ा अंतर देखने को मिलेगा।
जहाँ पृथ्वी की गति 1,674 km/h है वहाँ शुक्र की सिर्फ 6.5 km/h ही है।
वीनस की इतनी धीमी गति की एक वजह यह हो सकती है कि बहुत समय पहले कोई खगोलीय पिंड इससे टकराया होगा, जिससे इसकी घूर्णन गति उल्टी और धीमी हो गयी।
लेकिन आज के समय में शुक्र ग्रह की यह धीमी गति और भी धीमी होती जा रही है। पिछले कुछ सालों में किये गए अभ्यास से पता चला है कि इसकी गति 16 सालों में 6.5 मिनट धीमी हो गयी है।
अब इसकी सतह और संरचना के बारे में जानते है।
Venus planet structure and surface – शुक्र ग्रह की संरचना और सतह
शुक्र ग्रह की संरचना (Venus structure) पृथ्वी के समान ही है। जो तीन स्तर से मिलकर बनी है।
कोर (core)
आवरण (mantle)
पपड़ी (crust)
शुक्र ग्रह के केंद्र में रहे उसके कोर की त्रिज्या 3,200 km है। जो धातु और पत्थर से बनी है। यह पृथ्वी के कोर के साथ काफी मिलती जुलती है।
इसके ऊपर पत्थरो से बना आवरण (mantle) है और आखीर में सबसे ऊपर पपड़ी।
लेकिन यह ऊपर की सतह (surface) पृथ्वी के मुकाबले पतली है।
venus planet की सतह के 80 प्रतिशत भाग में मैदान बने हुए है। बाकी का भाग दो खंड में विभाजित है।
जिनमे पहला खंड है शुक्र ग्रह का उत्तरी गोलार्ध।
इस खंड को ishtar terra के नाम जाना जाता है जो बेबी लियोन की प्यार की देवी ishtar पर से रखा गया है।
शुक्र ग्रह का सबसे ऊंचा पर्वत montes Maxwell यही पर बना हुआ है। इसकी ऊंचाई 8.8 km है। हमारे Mount everest से बस थोड़ी सी ज्यादा।
दूसरा खंड है दक्षिण गोलार्ध।
ग्रीक की प्यार की देवी Aphrodite पर से इसका नाम Aphrodite Terra रखा गया है। यह खंड आकार में दक्षिण अमेरिका जितना बड़ा है।
अब बात करते है venus planet पर बने गड्ढों की। जिसकी वजह उस पर हुई उल्कापिंड (meteoroids) की बमबारी है।
सतह पर हमें 1.5 – 2.0 km से बड़े गढ्ढे ही देखने को मिलते है, जिसका मतलब की छोटे उल्कापिंड इस के वायुमंडल में ही जल गए होंगे। सिर्फ बड़े उल्कापिंड ही सतह तक पहुंच पाए।
लेकिन इस की दिख रही नई सतह (surface) से लगता है कि आधे अरब साल पहले कोई भयानक घटना घटी होगी। जिसने इस नई सतह को जन्म दिया।
फिर समय के साथ उल्कापिंड की वजह से उस घटना के सबूत मिट गए।
हाल के समय में शुक्र ग्रह (Venus in hindi) पर कई ज्वालामुखी आये हुए है। जिनमे से कई अभी भी सक्रिय है।
साल 1980 में ग्रह पर सल्फर डाइऑक्साइड की मात्रा कम हो गई थी। जो दर्शाता है कि 1870 के आसपास किसी ज्वालामुखी में से निकले गैस का परिणाम था।
Atmosphere of venus planet in hindi – शुक्र ग्रह का वायुमंडल
शुक्र ग्रह का वायुमंडल (Atmosphere of venus) 96.5% कार्बन डाइऑक्साइड, 3.4 % नाइट्रोजन ओर साथ मे कुछ फालतू के गेस से बना हुआ है।
यह कार्बन डाइऑक्साइड सूर्य से आने वाली गर्मी को अंदर कैद कर लेता है। परिणाम स्वरूप सतह का तापमान 465 ℃ को भी पार कर लेता है।
यह तापमान लीड धातु को भी पिघला सकता है।
यही वजह है कि शुक्र सबसे ज्यादा गर्म ग्रह है।
इसके अलावा वायुमंडल में सल्फ्यूरिक एसिड से बने बादल आसमान में 300 km/h की गति से घूमते है। जो ग्रह की घूर्णन गति से भी 60 गुना ज्यादा तेज है।
यह कैसे होता है वो आज भी एक रहस्य है।
लेकिन बादलों की ऊंचाई कम होने पर यह गति भी कम हो जाती है। सतह पर सबसे धीमी गति पाई गई है।
वायुमंडल के ऊपरी स्तर के बादल को blue absorber कहा जाता है। यह सूर्य से आने वाले ultraviolet किरणों को सोख लेते है।
जिससे इनके अंदर बहोत ही ज्यादा मात्रा में ऊर्जा आ जाती है। ग्रह पर पड़ने वाली लगभग आधी सौर ऊर्जा इनके पास होती है।
इसके विपरीत अगर हम ऋतु की बात करे तो यह ग्रह अंतरिक्ष में सिर्फ 2.7 डिग्री ही जुका हुआ है, जीससे यहाँ किसी भी तरह की ऋतु का अनुभव नहीं होता।
अब इसके चंद्रमा और चुम्बकीय क्षेत्र पर नजर डालते है।
Magnetosphere and moon – चुम्बकीय क्षेत्र और चंद्रमा
पहले जानते है कि Magnetosphere क्या होता है।
ग्रह की कोर में रहे धातु की वजह से दो ध्रुव बनते है।
उत्तर ध्रुव और दक्षिण ध्रुव।
जो ग्रह के चुम्बकीय क्षेत्र को बनाते है। यह वायुमंडल के जिस स्तर पर होता है उसे Magnetosphere कहते है।
यह सूर्य से आने वाले विद्युत कणों से ग्रह की रक्षा करते है। हमारी पृथ्वी के पास तो है लेकिन शुक्र…
उसके पास नहीं है।
इस ग्रह की धीमी गति की वजह से Magnetosphere नही बनता। परिणाम स्वरूप सूर्य के कण वायुमंडल में प्रवेश कर जाते है और वायुमंडल को ही नुकसान पहुंचाते है।
लेकिन ऐसा नही है कि उसके पास चुम्बकिय क्षेत्र ही नही है।
शुक्र के पास अपना एक कमजोर चुम्बकिय बल है।
ग्रह के बाहरी गैस पर जब सूर्य के ultraviolet किरणे पड़ती है तब यह गैस विद्युत्त प्रक्रिया के चलते ions हो जाते है।
फिर जब सूर्य के कण यहा आते है तब वो गैस के कण से प्रक्रिया करके एक कमजोर ionosphere की रचना करते है।
जिससे चुम्बकीय क्षेत्र बनता है।
अब बात करते है इसके चंद्रमा के बारे में।
शुक्र ग्रह के पास अपना कोई चंद्रमा नही है।
पर माना जाता है कि उसके पास चाँद (moon) था जो किसी खगोलीय पिंड के टकराने की वजह से बना था।
लेकिन जब दूसरा टकराव हुआ तब वो चाँद भी अंतरिक्ष में बिखर गया।
अब जानते है इस ग्रह के जीवन और मिशन के बारे में।
Life and mission on venus in hindi – जीवन और मिशन
क्या शुक्र ग्रह पर जीवन (life) संभव है?
लगभग नहीं। क्योंकि इसके भयानक तापमान के चलते वहां पर जीवन बहुत कठिन है।
साथ ही उसके वायुमंडल में ऑक्सीजन भी नही है और वहां के बादल सल्फ्यूरिक एसिड से भरे है।
ऐसा कहा जाता है कि बहुत समय पहले venus पर पानी था, लेकिन ग्रीनहाउस असर के चलते सारा पानी वायुमंडल में मिल गया।
आज के समय में वहां पर पानी भी नहीं है। ऐसे में जीवन बना पाना मुश्किल है।
वैज्ञानिक अभी भी इस सवाल को जानने की कोशिश कर रहे है कि पृथ्वी और शुक्र दोनों ग्रह की आंतरिक रचना समान है और दोनों एक ही जगह से बने थे।
तो फिर क्यों एक नर्क जैसा बन गया और दूसरा जीती जागती दुनिया।
अब इस ग्रह पर किये गए मिशन (mission) पर नजर डालते है।
Venus हम से नजदीक है इसलिए उस पर मिशन करना सरल है। आज तक 40 से ज्यादा यान ने उसकी मुलाकात की है।
European Space Agency का Venus Express यान 8 साल तक इस ग्रह की कक्षा में रहा और उसका अभ्यास किया।
फिर साल 2014 में agency ने यान को उच्च कक्षा में भेजना चाहा।
यान वहाँ पहुंच भी गया लेकिन कुछ समय बाद वहाँ के भयानक वायुमंडल के चलते वह नष्ट हो गया।
Soviet Union द्वारा किया गया मिशन venera 13 को भी वहाँ की भयानक गर्मी और दबाव ने 2 घंटे में नष्ट कर दिया था।
इतनी कठिन परीस्थिति के बावजूद भी अंतरिक्ष संस्था इस ग्रह पर floating cities बनाने की सोच रहे है।
क्या अब आप शुक्र ग्रह से जुड़े मजेदार तथ्य जानना चाहेंगे।
Venus planet facts in hindi – शुक्र ग्रह के तथ्य
Maxwell montes शुक्र ग्रह की सबसे ठंडी जगह है, यहाँ का तापमान 365℃ रहता है।
सूर्य की किरणों को इसकी सतह तक पहुचने में 6 मिनिट लगते है जब की पृथ्वी के लिए यह समय 8 मिनट है।
Venus planet पर दिन और रात दोनों के समय तापमान समान रहता है।
वीनस 100 km से भी बड़े 167 ज्वालामुखी का मालिक है।
यहा के सिर्फ 6 पहाड़ी क्षेत्र ही venus planet की सतह का एक तिहाई हिस्सा रोक लेते है।
इस ग्रह के वायुमंडल में रहे बादल सूर्य की 75 प्रतिशत रौशनी (गर्मी नहीं) को परावर्तित कर देते है, जिससे यह planet चमकता है।
पृथ्वी की कक्षा के अंदर के ग्रहों को आंतरिक ग्रह (inferior planet) कहा जाता है और यह उनमें से एक है।
तो बस यह थी कुछ जानकारी शुक्र ग्रह (venus in hindi) के बारे में। आपको इस लेख में सबसे अच्छा क्या लगा वो कॉमेंट में जरूर बताना।
और अगर आप कुछ रोमांचक पढ़ना चाहते है तो यह लेख जरूर देखें।