क्या आप बुध ग्रह (Mercury in hindi) के बारे में सब कुछ जानना चाहते है? यह लेख आपको वो सारी जानकारी देगा, जो आपको चाहिए।
बुध ग्रह सौरमंडल का एक विचित्र ग्रह है, जो अपने अंदर कई रहस्यों को सिमटे हुआ है।
जिन्हें जानना सच में बहुत रोमांचक है।
तो चलिये जानते है इसके सारे रहस्यों को एक एक करके।
Note: इस लेख में 11 रहस्यों को 11 भागों में बांटा गया है।
Table of Contents
meaning of mercury in hindi
बुध ग्रह का mercury नाम रोमन भगवान पर से रखा गया है। जिसका हिंदी अर्थ भगवान का दूत होता है।
हिन्दू संस्कृति में भी बुध को एक भगवान माना जाता है जो सात दिन में बुधवार (Wednesday) को दर्शाता है।
अब जानते है इसके इतिहास को।
बुध ग्रह का इतिहास – history of Mercury planet in hindi
बुध ग्रह (Mercury in hindi) की खोज किसने की यह कहना असंभव है क्योंकि यह पृथ्वी पर से हमे नँगी आँखों से दिखाई देता है।
इसीलिये कई प्राचीन सभ्यताओं ने इसे देखा था।
लेकिन इसकी तेज गति और चमक कि वजह से प्राचीन लोग इसे दो तारे समझती थी।
Morning star and
evening star
क्योकि यह सूर्य के उदय और अस्त होने के साथ चमकता था।
लेकिन फिर ग्रीक सभ्यताओं को यह अहेसास हुआ की जिसे वो दो तारे समझ रहे है वो असल में एक ही है।
और वो कोई तारा नही बल्कि ग्रह (planet) है।
तब उन्होंने इस ग्रह को hermes नाम दिया। दूसरी और रोमन सभ्यता ने भी अपनी तरफ से इसे Mercury नाम दिया।
पर वह गेलिलियो ही था जिसने 17वी सदी में सबसे पहले बुध ग्रह (Mercury planet) का अभ्यास किया था।
वो भी अपने बनाये टेलिस्कोप की मदद से।
पर उसका यह सामान्य टेलिस्कोप इतना शक्तिशाली नही था कि बुध ग्रह की गहरी जानकारी बता सके।
पर आज के समय में हमारे पास इसकी कई ज़ानकारी है, यहा तक की वो कैसे बना।
बुध ग्रह कैसे बना – Formation of Mercury planet
आज से लगभग 4.5 अरब साल पहले एक विशाल बादल में से हमारे सौरमंडल का जन्म हुआ था।।
इसी बादल से निकली गैस ओर धूल गुरुत्वाकर्षण बल की वजह से जमा होने लगी और कई ग्रहो का निर्माण किया।
उस समय बुध ग्रह भी बनना शुरू हो गया।
लेकिन mercury के निर्माण में गैस की तुलना में धूल की मात्रा ज्यादा थी।
जिससे यह स्थलीय ग्रह (terrestrial planet) बना।
वो ग्रह जिनकी ठोस सतह होती है और उसका ऊपरी आवरण पत्थरो से बना होता है। उन्हें स्थलीय ग्रह कहते है।
हमारे सौरमंडल में चार स्थलीय ग्रह है।
बुध (mercury)
शुक्र (Venus)
पृथ्वी (earth)
मंगल (mars)
अब जानते है इसकी खगोलीय जानकारी को।
बुध ग्रह के बारे में – about mercury in hindi
जैसे हमारी पृथ्वी सूर्य का चक्कर काट रही है वैसे ही बुध ग्रह (Mercury in hindi) भी सूर्य के चारो और घूम रहा है।
बुध ग्रह सूर्य से सिर्फ 6 करोड़ किलोमीटर ही दूर है। जो AU एकम में 0.4 के आसपास होता है।
Note: पृथ्वी और सूर्य के बीच के अंतर को 1 AU कहा जाता है।
mercury के बाद शुक्र ग्रह आता है, और उसके बाद हमारी पृथ्वी।
लेकिन शुक्र ग्रह ज्यादातर हमसे दूर ही अपनी कक्षा (orbit) में खोया रहता है। इसी वजह से बुध ग्रह पृथ्वी का सबसे नज़दीकी ग्रह बन जाता है।
बुध का आकार पृथ्वी की तुलना में तीसरे भाग का है। इसकी त्रिज्या 2,400 km है।
इतना छोटा होने की वजह से इसका गुरुत्वबल भी पृथ्वी से बहोत कम है। अगर पृथ्वी पर आपका वजन 100 kg है तो mercury planet in hindi पर आपका वजन 38 kg ही होगा।
कद की बात करे तो 18 mercury planet आसानी से पृथ्वी के अंदर फिट हो सकते है।
साथ ही इस ग्रह का द्र्व्यमान (mass) भी पृथ्वी के सिर्फ 5.5% जितना ही है।
कक्षा और परिभ्रमण – orbit and rotation
बुध ग्रह की कक्षा थोड़ी सी विचित्र है।
जिससे उसकी दुरी सूर्य से कम ज्यादा होती रहती है।
सबसे कम दूरी 0.3 AU है। इसे aphelion कहा जाता है।
और सबसे ज्यादा दुरी 0.47 AU है। इसे perihelion कहा जाता है।
सूर्य के सबसे नजदीक होने की वजह से बुध को सूर्य का एक चक्कर पूरा करने में पृथ्वी की तरह 365 दिन नही लगते बल्कि सिर्फ 88 दिन में ही वो अपना एक साल खत्म कर देता है।
इतने कम समय की वजह, एक तो पहले से ही वो सूर्य के नजदीक है उपर से उसकी आगे बढ़ने की गति 47 km प्रति सेकंड है जो की पुरे सौरमंडल में सबसे तेज है।
लेकिन Mercury planet in hindi सिर्फ साल में ही आगे है क्योकि वहाँ का एक दिन पृथ्वी के 59 दिन के बराबर है।
और वो भी पूरी तरह से दिन माना भी नही जाता। क्योकि मरक्यूरी प्लेनेट सूर्य के साथ tidally locked है। तो उसका एक तरफ का भाग हमेशा सूर्य की और ही रहता है और दूसरा अंधकार में डूबा रहता है।
साथ ही उसकी आगे बढ़ने की गति बहोत तेज है इससे इस ग्रह की कई जगहों पर दो बार सूर्योदय देखने को मिलते है और कई जगहों पर दो बार सूर्यास्त।
इसीलिये अगर आपको इस ग्रह पर ऐसा दिन चाहिए जिसमें एक सूर्योदय और सूर्यास्त हो तो उसके लिए 176 दिन लग जाएंगे।
जो की वहा के दो साल बराबर जितना समय है।
बुध ग्रह की सतह – surface of mercury planet in hindi
4.6 अरब साल पहले जब मरकरी बना था तब इसकी सतह(surface) पर उल्कापिंडों के बमबारी हुई थी। जो लगभग 1 अरब साल तक चली थी। इस बमबारी को late heavy कहा जाता है।
ऊपर से Mercury in hindi पर वायुमंडल ना होने की वजह से इन उल्कापिंडों को रोकने वाला भी कोई नही था, इसीलिये यह सीधे आकर जमीन से टकराए।
जिसके निशान के तौर पर आज भी हम देख सकते है कि बुध पर बड़े बड़े गढ्ढे (craters) बने हुए है। इतने ज्यादा गढ्ढे है कि यह सौरमंडल का सबसे ज्यादा गढ्ढे वाला ग्रह कहलाता है।
इन उल्कापिंड की वजह से कई घाटी भी बनी हुई है। Caloris Basin नाम की घाटी इनमे सबसे बड़ी है। जो 1,550 km लंबी है और यह लावा से भरी हुई है।
इस ग्रह पर एक विकिरण वाला गढ्ढा भी खोजा गया है। पहले इसका नाम spider दिया था लेकिन फिर बदलकर इसे Apollodorus रख दिया।
पता नही नाम बदलकर क्या किया।
पर अब हम जानते है mercury planet की रचना को।
बुध ग्रह की रचना – structure of Mercury
बुध ग्रह की रचना तीन स्तरों से मिलकर बनी है।
कोर (core)
आवरण (mantle)
पपड़ी (crust)
बुध की कोर जो की लोहे और पथ्थर से बनी है वह ग्रह के 85% त्रिज्या में फैली हुई है जहा पृथ्वी के लिए उसकी कोर सिर्फ 55% ही है।
इतने बड़े कोर की वजह से ग्रह का गुरुत्वाकर्षण बल ग्रह की तुलना में बढ़ जाता है। इससे सतह केंद्र की और संकुचित हो जाती है।
जब से यह ग्रह बना तब से लेकर आज तक इसका आकार 1-7 km जितना छोटा हो गया हैं। क्योकि गुरुत्वाकर्षण बल (gravity) सतह को अंदर की तरफ खींचता रहता है।
Mercury in hindi की कोर क्यों इतनी बड़ी है इसके ऊपर भी कई धारणाए है। लेकिन सबसे व्यापक है खगोलीय पिंड का टकराव।
माना जाता है कि सौरमंडल के शरुआती समय में एक विशाल खगोलीय पिंड बुध से टकराया था। जिसने ग्रह की ऊपर की सतह और उसके नीचे रहे आवरण को तोड़ दिया।
और पीछे छूट गयी विशाल कोर। शरूआत के समय में mercury का कद भी आज की तुलना में दुगना था।
लेकिन messenger यान की 2015 की जनाकारी के मुताबिक इस घटना की संभावना बहुत कम है।
जो भी हो, लेकिन इतनी बड़ी कोर की वजह से mercury planet की घनता इतनी बढ जाती है कि यह सौरमंडल का दूसरा सबसे ज्यादा घनत्व ग्रह कहलाता है।
पहले स्थान पर हमारी प्यारी पृथ्वी है।
बुध ग्रह की इसी विशाल कोर के ऊपर सिलिकेट का आवरण बना हुआ है।
इसके आवरण का अभ्यास करके यह अंदाजा लगाया गया है कि भुतकाल में इस पर अग्नि के समुद्र थे।
इस आवरण के ऊपर मरकरी की पपड़ी बनी है, जो की 35 km पतली है।
बुध ग्रह के चाँद – moon of mercury in hindi
बुध ग्रह के पास कोई चाँद (moon) नही है। माना जाता है कि जब यह ग्रह बन रहा था तब आसपास का सारा पदार्थ ग्रह के निर्माण में ही चला गया।
जिससे किसी उपग्रह को बनने के लिए कुछ बचा ही नही।
दूसरी संभावना यह है कि मरक्यूरी प्लेनेट के उपग्रहो को सूर्य ने अपने गुरुत्वाकर्षण बल से अपने अंदर खींच लिया होगा।
पर जो भी हो सूर्य के इतने नजदीक होने की वजह से इसके पास चाँद नही रह सकते।
बुध ग्रह का वायुमंडल – Atmosphere of Mercury
गुरुत्वाकर्षण बल और सूर्य की गर्मी की वजह से mercury planet पर वायुमंडल का स्थिर रहना बहोत कठिन है ऊपर से यह है भी एक छोटा ग्रह।
फिर भी सूर्य से आनेवाले सौर पवन इसकी सतह से टकराते है और sodium, hydrogen, helium और potassium जैसे गैस को उत्तपन करते है।
यही सारे गैस मिलकर बुध के बर्हिमंडल (exosphere) का निर्माण करते है। जो की वायुमंडल (atmosphere) का ऊपरी स्तर होता है।
पर यह काफी नही है तापमान को बनाये रखने में।
वायुमंडल ना होने की वजह से सूर्य की गर्मी ग्रह के अंदर नही रह पाती है।
जिससे mercury planet in hindi पर दिन के समय तापमान 427℃ तक पहुंच जाता है और रात को यही तापमान गिरकर -173℃ हो जाता है।
ऐसे भयंकर तापमान में पानी का अस्तित्व होना लगभग असंभव है।
पर Messenger यान ने 2012 में उत्तर ध्रुव पर बर्फ होने को जानकारी दी थी।
इसके मुताबिक ध्रुव पर बने गहरे गढ्ढे में पानी हो सकता है क्योकि वहा सूर्य की रौशनी नही पहुंच रही है और तापमान भी बहुत कम है।
चुंबकीय क्षेत्र – Magnetosphere
क्या आप जानते है ग्रह का अपना चुंबकीय क्षेत्र भी होता है।
ग्रह के केंद्र में रही कोर और ग्रह के घूमने की वजह से उत्तर ओर दक्षिण दो ध्रुव बनते है।
जो मिलकर चुंबकीय क्षेत्र की रचना करते है।
यह चुंबकीय क्षेत्र वायुमंडल के जिस स्तर पर होता है उसे magnetosphere कहते है।
यह स्तर सूर्य से आने वाले विद्युत्त कणो को रोकता है। अगर यह कण वायुमंडल में प्रवेश करते है तो वायुमंडल को ही नष्ट करने लगते है।
ऐसा ही एक magnetosphere बुध ग्रह के पास भी है।
पर इसका चुंबकीय क्षेत्र हमारी पृथ्वी के सिर्फ 1 प्रतिशत ही शक्तिशाली है। फिर भी यह सौर कणो को रोकने में समर्थ है।
साथ ही पृथ्वी और बुध ग्रह दोनों के चुंबकीय क्षेत्र में एक तफावत यह है कि हमारी पृथ्वी का चुंबकीय क्षेत्र अक्षांश रेखा से 11° कोण पर है।
जब की बुध ग्रह का अक्षांश रेखा के सुरेखित है।
जीवन और मिशन – mission on Mercury
mercury in hindi पर अब तक कुल मिलाकर तीन मिशन हुए है। जिनमे से दो nasa की तरफ से थे।
साल 1974 में Mariner 10 अंतरिक्ष यान ने मरकरी की खोजबीन की थी। यह इस ग्रह का पहला मिशन था।
इसके बाद साल 2008 के दौरान MESSENGER यान ऐसा पहला यान बना था जिसने मरक्यूरी प्लेनेट की परिक्रमा की हो।
इन यानो ने ग्रह की सतह और उसके वायुमंडल की जानकारी दी थी। जो मैंने आपको ऊपर बताई।
यह जानकारी के बाद क्या आपको अभी भी लगता है कि mercury planet पर जिवन संभव हो सकता है।
अगर आप इस ग्रह पर जाते भी हो तो सूर्य की गर्मी और रेडिएशन से आपकी मौत हो जाएगी।
क्योकि यहाँ आपको सूर्य तीन गुना ज्यादा बड़ा और सात गुना ज्यादा चमकीला दिखाई देगा।
दूसरा, अगर आप जिंदा बच भी गये तो ऑक्सिजन कहा से लेंगे। इसका वातावरण इतना भी शुद्ध नही है कि आपको ऑक्सिजन मिल सके।
अगर आपने ऑक्सिजन की व्यवस्था कर भी ली तो पानी कहाँ से लाओगे।
कुल मिलाकर यहाँ पर जीवन संभव नही है।
बुध ग्रह में सापेक्षता का सिद्धांत
Mercury planet की खोज के बाद न्यूटन के नियम का उपयोग करके उसकी कक्षा का अभ्यास किया जा रहा था।
लेकिन गुरुत्वाकर्षण बल का नियम लागू होते ही इसमें एक त्रुटि आ रही थी।
अभ्यास में पाया गया कि कोई रहस्यमय खगोलीय पिंड बुध ग्रह के आसपास होना चाहिए जो उस पर अपना असर डाल रहा हो।
यह बात ऐसी ही चलती रही जब तक आइन्स्टाइन ने सापेक्षता का सिद्धांत ना दिया। इस सिद्धांत का परीक्षण करने के लिए तिन टेस्ट रखे थे, जिनमे से एक बुध ग्रह की कक्षा थी।
जब यह सिद्धांत mercury पर लगाया गया तब उस खगोलीय पिंड का अस्तित्व निकल गया और आइन्स्टाइन का सिद्धांत सफल रहा।
यहा पर हमारे 11 रहस्य समाप्त हुए। क्या अब आप इस ग्रह से जुड़े कुछ तथ्यों को जानना चाहेंगे।
बुध ग्रह के बारे में तथ्य – Mercury planet facts in hindi
बुध ग्रह अंतरिक्ष में 1 डिग्री से भी कम जुका हुआ है। इसी वजह से यहाँ आपको मौसम परिवर्तन देखने को नही मिलते।
बुध सौरमंडल के सबसे बड़े उपग्रह गेनीमेड से भी छोटा है।
पृथ्वी की कक्षा के अंदर के ग्रहो को आंतरिक ग्रह कहा जाता है। बुध और शुक्र इसी श्रेणी में आते है।
मरकरी के पास शनि की तरह रिंग्स नही है। होती तो भी सूर्य उसके पास नही रहने देता। 😁
सूर्य की रौशनी को हम तक आने में 8 मिनिट लगते है लेकिन इस की सतह पर पहुंचने में सिर्फ 3 मिनिट लगते है।
सो साल में 13 बार ऐसी स्थिति बनती है कि हम आसानी से बुध ग्रह को पृथ्वी पर से देख सकते है। इस घटना को transit कहा जाता है।
Mercury planet पर अगला मिशन साल 2025 में होने वाला है जिसका नाम BepiColombo है।
अब बारी है कुछ सवाल के जवाब देने की जो बहोत ज्यादा पूछे जाते है।
Frequently asked questions
पृथ्वी से बुध ग्रह की दूरी कितनी है?
पृथ्वी से इस ग्रह की दुरी 7.7 करोड़ किलोमीटर है।
यह दुरी खगोलीय इकाई में 0.5 AU होती है।
बुध ग्रह के कितने उपग्रह है?
बुध ग्रह (Mercury planet) के पास एक भी उपग्रह नही है। अगर होता तो भी वो सूर्य के गुरुत्वाकर्षण की वजह से उसमे समा जाता।
सबसे बड़ा दिन किस ग्रह पर होता है?
सबसे बड़ा दिन बुध ग्रह पर होता है जो अपनी धरि के अनुसार 59 दिन का और सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक का 160 दिन का होता है।
बुध ग्रह का रंग कैसा है?
बुध ग्रह का रंग वैसे तो हरा है। पर यह चमकीला और थोड़ा सा श्याम दिखाई पड़ता है।
बुध ग्रह का तापमान कितना है?
सूर्य के नजदीक होने की वजह से तापमान बहोत अजीब रहता है। दिन के समय 427℃ और रात को -173℃ हो जाता है।
तो बस यह थी कुछ जानकारी Mercury in hindi के बारे में।
अब बारी आपकी है कॉमेट में यह बताने की आपको बुध ग्रह की कौन सी बात सबसे अच्छी लगी।
और अगर आप कुछ मजेदार पढ़ना चाहते है तो यह लेख जरूर देखें।
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