क्या आप मंगल ग्रह (mars in hindi) के बारे में सब कुछ जानना चाहते है। यह लेख आपको वो सारी जानकारी देगा जो आपको चाहिये।
पुरे ब्रह्मांड में सिर्फ हमारी पृथ्वी ही एक मात्र ऐसा ग्रह है जिस पर जीवन है। लेकिन आज के समय में हम दूसरे ग्रहों पर भी जीवन विकसित करना चाहते हैं।
इसके लिए एक ऐसा ग्रह चाहिए जो रहने लायक हो और हम से ज्यादा दूर भी ना हो।
जिसके लिए मंगल ग्रह श्रेष्ठ विकल्प है।
तो चलिए जानते है इस ग्रह को गहराई से।
Note: इस लेख में 11 रहस्यों को 11 भागों में बांटा गया है।
Table of Contents
History of mars planet in hindi – मंगल ग्रह का इतिहास
मंगल ग्रह का इतिहास (history of mars planet in hindi) बहुत ही अद्भुत रहा है। क्योकि यह ग्रह पृथ्वी से नँगी आँखों से दिखाई देता है।
इसलिए कई प्राचीन सभ्यताओंने इस ग्रह (planet) को देखा था और अपनी तरफ से नाम दिए थे।
जैसे की, रोमन सभ्यता इसे खून और युद्ध का निशान मानती थी वही दूसरी और ग्रीक में इसे युद्ध के देवता के रूप में माना जाता था।
इस वजह से यह कहना असंभव है की मंगल ग्रह की खोज किसने की थी।
लेकिन वो Galileo Galilei ही था, जिसने सबसे पहले अपने बनाये टेलिस्कोप के जरिये इस ग्रह का अभ्यास किया था।
इसके बाद फिर कई खगोल शास्त्रीओ ने इस ग्रह से जुडी जानकारी प्राप्त की।
जैसे की इसका परिभ्रमण काल और अक्षीय झुकाव।
फिर समय के चलते किसी ने mars planet पर जीवन और पानी के विचार को रखा।
और इसी विचार के चलते हमने इस ग्रह के अभ्यास को बढ़ा दिया।
जिसका परिणाम यह निकला की आज हमारे पास इस ग्रह से जुडी बहुत सारी जानकारी है।
Formation of mars planet – मंगल ग्रह का निर्माण
गैस और धूल का विशाल बादल जिसे नेब्यूला कहा जाता है उसमें से ही हमारे सौरमंडल का जन्म हुआ था।
इस बादल के गैस और धूल के कण गुरुत्वाकर्षण बल के चलते केंद्र में जमा होने लगे जहा सूर्य का निर्माण (formation) हुआ और जो भाग बच गया उससे बने ग्रह।
जिनमे एक मंगल ग्रह (mars in hindi) भी था।
यह एक स्थलीय ग्रह बना। जिसका अर्थ की इसकी संरचना धातु और पत्थरों से मिलकर बनी है।
हमारी पृथ्वी की तरह।
जब की शनि और बृहस्पति ग्रह गैस से मिलकर बने है।
मंगल ग्रह की यह पृथ्वी से सबसे बड़ी समानता है।
अब आगे बढ़ते है।
Mars in hindi – मंगल ग्रह के बारे में
मंगल ग्रह (mars in hindi) सूर्य से 1.5 AU की दुरी पर स्थित अपनी कक्षा में घूम रहा है।
Note: सूर्य और पृथ्वी के बिच की दुरी को 1 AU कहा जाता है।
मंगल ग्रह सौरमंडल में सूर्य से चौथा ग्रह है। जो बुध, शूक्र और पृथ्वी के बाद आता है।
आकार की बात करे तो मंगल, पृथ्वी के व्यास का लगभग आधा है।
इस ग्रह की त्रिज्या 3,397 km है। जब की पृथ्वी की 6,378 km है।
इसका द्र्व्यमान (mass) भी पृथ्वी के मुकाबले 10वे भाग का है और लगभग 6 मंगल ग्रह पृथ्वी के अंदर समाँ सकते है।
चलिये अब जानते है इसकी कक्षा और परिभ्रमण को।
Rotation and orbit – परिभ्रमण और कक्षा
mars को अपनी धरि पर एक घूर्णन पूरा करने में 24.6 घंटे लगते है। जिसे एक दिन माना जाता है। इसमें हमे एक सूर्योदय और एक सूर्यास्त देखने को मिलते है।
इसका यह परिभ्रमण काल (rotation period) पृथ्वी के लगभग समान ही है।
दूसरी और मंगल ग्रह सूर्य की परिक्रमा भी कर रहा है। परिक्रमा के इस पथ को कक्षा कहा जाता है।
इस कक्षा पर इसे सूर्य का एक चक्कर पूरा करने में 670 दिन लग जाते है। जिसे एक साल माना जाता है।
जो हमारे साल से दुगना बड़ा है।
इसके साथ ही मार्स अंतरिक्ष में लगभग 25.2 डिग्री झुका हुआ है।
यह अक्षीय झुकाव ग्रह पर ऋतुओं के लिए जरूरी है।
जैसे की शर्दी और गर्मी।
जब मंगल ग्रह (mars in hindi) सूर्य से नजदीक होता है तब दक्षिण भाग सूर्य की और जुका होता है जिससे वहा ज्यादा गर्मी होती है और उत्तरी भाग पर ठंड।
लेकिन सूर्य से दूर होने पर यह उल्टा हो जाता है।
यहाँ की ऋतुएँ भी पृथ्वी के मुकाबले दुगने समय की होती है।
अब इसकी सतह और सरंचना को जानते है।
Structure and surface of mars planet in hindi – मंगल ग्रह की सतह और सरंचना
मंगल ग्रह की सरंचना (structure) तीन स्तर से मिलकर बनी है।
कोर (core)
आवरण (mantle)
पपड़ी (crust)
सबसे अंदर ग्रह के केंद्र में कोर आयी हुई है जिसकी त्रिज्या 1500 – 2100 km के आसपास है।
जिसमे लोहे और निकल की मात्रा सबसे ज्यादा है, साथ ही इसमें सल्फर भी है।
इसके उपर सिलिकेट से बना हुआ आवरण है।
और आखिर में पपड़ी आयी हुई है जो ज्यादातर सिलिकॉन और ऑक्सीजन तत्व से बनी है।
इस पपड़ी में प्रचुर मात्रा में लोहा और मेग्नेशियम् भी है। यही वजह है कि यह ग्रह लाल रंग का दिखाई पड़ता है।
इसीलिये यह red planet (लाल ग्रह) के नाम से जाना जाता है।
लेकिन असल में यह सिर्फ लाल रंग का ही नही है इसकी सतह (surface) पर हमे brown और gold जैसे रंग भी देखने मिलते है।
चलिये अब इसी सतह को जानते है।
मंगल ग्रह की सतह का क्षेत्रफल पृथ्वी जितना ही है, भले वह छोटा ग्रह हो। क्योकि वहाँ पर पानी की अनुपस्थिति के कारण ज्यादा प्रतिशत सतह बनती है।
इसकी सतह पर बहुत सारे गढ्ढे भी बने हुए है लगभग 43,000 जितने।
यह सारे उल्कापिंड के टकराने की वजह से बने थे। इन गढ्ढो का आकर 5 km से बड़ा है। मतलब की इससे छोटे उल्कापिंड वायुमंडल में ही जल गए होंगे।
अब तक का सबसे बड़ा गढ्ढा Hellas impact basin है जिसे हम पृथ्वी से भी देख सकते है।
इसके उपरांत mars पर olympus Mons नाम का एक ज्वालामुखी बना हुआ है जो बहुत ही अद्भुत है।
क्योकि यह सिर्फ इस ग्रह का ही नही बल्कि पूरे सौरमंडल का सबसे बड़ा ज्वालामुखी है।
इसकी ऊंचाई हमारे माउन्ट एवरेस्ट से तीन गुना अधिक है। 27 km जितनी।
अगर यह ज्वालामुखी फटेगा तो क्या होगा?
सिर्फ यही नही, बल्कि मार्स पर विशाल घाटी भी बनी हुई है, जिसे Valles Marineris कहा जाता है।
यह 4,000 km लंबी और 200 km चौड़ी है साथ ही यह 7 km गहरी है।
इसके अंदर क्या है वो हम आज तक नही जान पाए है।
अब वायुमंडल की बारी है।
Atmosphere of mars planet – मंगल ग्रह का वायुमंडल
मंगल ग्रह का वायुमंडल 96% carbon dioxide, 1.93% argon और 1.89% nitrogen से मिलकर बना है।
यहाँ का वायुमंडल (atmosphere of mars in hindi) हमारे ग्रह से 100 गुना कम घना है। फिर भी इसमें आपको बादल दिखाई देते है।
कहा जाता है कि प्राचीन समय में मार्स का वायुमंडल इतना घना था कि पानी इसकी सतह पर स्थिर रह सके।
लेकिन चुंम्बकीय क्षेत्र ना होने की वजह से वायुमंडल कमजोर होता गया और आज के समय इतना कमजोर हो गया कि पानी भी स्थिर नही रह सकता।
क्या अब आप जानना चाहेंगे कि चुंम्बकीय क्षेत्र क्या होता है।
Magnetosphere
ग्रह की कोर में रहे प्रवाही धातु और ग्रह की घूर्णन गति की वजह से ग्रह एक चुम्बक की तरह बर्ताव करता है और दो ध्रुवों को बनाता है।
उत्तर ध्रुव और
दक्षिण ध्रुव
इससे चुंम्बकीय क्षेत्र उत्तपन्न होता है। यह वायुमंडल के जिस स्तर पर होता है उसे magnetosphere कहते है।
लेकिन इसकी जरूरत क्या है।
सूर्य से आने वाले विद्युत्त कणो को magnetosphere रोकता है, क्योकि अगर यह कण वायुमंडल में प्रवेश कर गए तो वायुमंडल को ही नष्ट करने लगते है।
पर यह चुंम्बकीय क्षेत्र मार्स के पास नही है।
अंदाजा लगाया जा रहा है कि कुछ करोड़ साल पहले विशाल उल्कापिंड के टकराने की वजह से इसका चुंम्बकीय क्षेत्र नष्ट हो गया था।
और तब से वायुमंडल भी धीरे धीरे कमजोर होता गया।
यही मुख्य वजह है कि mars पर पानी नही है।
Water on mars in hindi – मंगल ग्रह पर पानी
मंगल ग्रह पर भुतकाल में पानी (water on mars) होने के सबूत मिले है।
जैसे की, प्राचीन नदी का पथ और ऐसे खनिज पदार्थों का अस्तित्व जो सिर्फ पानी की उपस्थिति में ही बन सकते है।
कुछ रिसर्च के मुताबिक आज से लगभग 3.5 अरब साल पहले मार्स पर पानी की बाढ़ भी आई थी।
इसके आलाव ग्रह पर कुछ भु स्थलिय आकृतियां इस तरह बनी है जो बताती है कि इस ग्रह पर पहले पानी था।
जिसमे से मुख्य maidaam valley हैं जो 700 km लंबी घाटी है। जो किसी नदी के बहाव की वजह से बनी होगी।
जो भी हो लेकिन आज के समय में मंगल ग्रह की सतह पर तरल जल मौजूद नहीं है, क्योंकि वहाँ के वायुमंडल का दबाव सिर्फ पृथ्वी के 1% जितना ही है।
जो पानी को सतह पर रखने में अक्षम है।
लेकिन मंगल ग्रह की दो स्थायी ध्रुवीय बर्फ टोपियां है। सर्दियों के दौरान यह अंधकार में रहती है।
जिससे यहाँ का कार्बन डाइऑक्साइड भी बर्फ के स्वरूप में जम जाता है, लेकिन गर्मियों के समय यह पिघलकर वायु में बदल जाता है और तेज हवाओ का निर्माण करता है।
अगर यह ध्रुवीय टोपियां पिघल जाए तो पूरा ग्रह 11 मीटर पानी से भर सकता है।
इसके उपरांत उत्तर ध्रुव के पास एक विशाल गढ्ढा मिला है जो 81 km चौड़ा है और यह पूरी तरह से बर्फ से भरा हुआ है।
इसका नाम Korolev Crater रखा गया है।
क्या अब आप इसके उपग्रहों के बारे में जानना चाहेंगे।
Moons of mars – उपग्रह
मंगल ग्रह के पास 2 चंद्रमा है। phobos और deimos.
इनके नाम ग्रीक के युद्ध के देवता के पुत्र पर से रखे गए है। जीनमे फोबोस का अर्थ fear और डेमोस का अर्थ rout होता है।
फोबोस का व्यास 25 km और डेमोस का व्यास सिर्फ 15 km है
जो की एक शहर से भी छोटे है। इनके इतने छोटे आकार की वजह से यह अंदाजा लगाया गया है कि यह पहले क्षुद्रग्रह थे, जो नजदीक के क्षुद्रग्रह घेरे में भटक रहे थे।
लेकिन फिर mars की ग्रेविटी ने इन्हें अपनी कक्षा में खिंच लिया होगा।
अभी के समय फोबोस मार्स के नजदीक आ रहा है। कुछ करोड़ साल बाद यह ग्रह के वायुमंडल में प्रवेश करेगा और इसकी सतह से टकरा जाएगा।
life and mission – जीवन और मिशन
एक सवाल हमेशा से पूछा जाता है कि क्या मंगल ग्रह पर जीवन संभव है।
जवाब है नही।
क्योकि इसके वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड ज्यादा है और ऊपर से यहाँ पर पानी नही है।
जिससे इंसानी जीवन (life) भी मुश्किल है।
लेकिन हम चाहे तो वहाँ इंसानी जीवन बना जरूर सकते है, आधुनिक टेक्नोलॉजी का उपयोग करके।
और इसके लिए nasa और space x जैसी अंतरिक्ष संस्थाए कार्यरत भी है।
मंगल ग्रह पर मिशन (mission) की शुरुआत 1960 के दशक में शुरू हुई थी।
अमेरिका ने अपने mariner 1 को 1964 में और mariner 6 को 1969 में भेजे थे।
इन यानो ने बताया कि mars एक बंजर जमीन है ओर वहाँ कोई जीवन या एलियन लाइफ नही है।
फिर mariner 9 ने साल 1971 में मंगल ग्रह की कक्षा में रहकर उसके 80% भाग का नकशा भी बना लिया था।
इसके बाद साल 1976 में nasa के viking 1 ने इस ग्रह की सतह पर लेंडिंग की। मानव इतिहास में यह पहला यान था जो इस ग्रह की सतह पर उतरा था।
साल 2014 में भारत के isro की तरफ से भी Mars Orbiter Mission मिशन हुआ था। जिसने इतिहास रच डाला।
क्योकि इस मिशन का बजेट nasa की तुलना में नौ गुना कम था। और भारत ने पहली बार में ही मिशन सफल किया था।
आगे के मिशन में मार्स पर लोगो को भेजने की तैयारी हो रही है।
लेकिन तब तक हम मंगल ग्रह से जुड़े तथ्य पर नजर डालते है।
Facts about mars planet in hindi – मंगल ग्रह से जुड़े तथ्य
मंगल ग्रह (mars planet) पर सूर्य पृथ्वी की तुलना में आधे आकार का दीखता है।
मार्स पर गुरुत्वाकर्षण बल पृथ्वी का 38% ही है।
मंगल ग्रह पर सबसे बड़े धूल भरे तूफान बनते हैं। जिनकी गति 160 km/h की तक की होती हैं।
सूर्य की रौशनी को इसकी सतह तक पंहुचने में 13 मिनिट लग जाते है, पृथ्वी के लिए यह समय सिर्फ 8 मिनिट है।
यह ग्रह पृथ्वी की तुलना में सूर्य से 1.5 गुना अधिक दूर है। जिससे यह हमारे ग्रह से ज्यादा ठंडा है।
तो बस यह थी कुछ जानकारी मंगल ग्रह (mars in hindi) के बारे में।
अब बारी आपकी है कमेंट में यह बताने कि, की यह जानकारी आपको कैसे लगी।
लेकिन अगर आप कुछ खास पढ़ना चाहते हो तो यह लेख जरूर देखें।
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