Aditya L1 इसरो का पहला मिशन है, जिसके द्रारा हमारे सूर्य का अभ्यास किया जाएगा। इसमें चौकाने वाली बात यह है कि ये मिशन इसरो अकेला नही कर रहा है। इसमें हमारे ही देश की कई स्पेस संस्थाए इसरो का साथ देने वाली हैं। मिशन में इस्तमाल होने वाले उपकरणों को बनाने में बहुत सारी कंपनी अपना योगदान देने वाली है। इसका मतलब की यह मिशन पूरी तरह से भारत द्रारा ही बनाया जाएगा और उसे संचालित किया जाएगा। खेर चलो पहले जानते है इस मिशन के इतिहास के बारे में।
आदित्या L1 का इतिहास – history of aditya L1 in hindi
साल 2008 में हमारे सूर्य का अभ्यास करने हेतु आदित्य मिशन के विचार को रखा गया था। उस समय आदित्य सेटेलाइट को 800 km पृथ्वी की कक्षा से नीचे रखने का निर्णय किया था। उस समय इस मिशन का वजन 400 kg और इसमें एक उपकरण को रखने का भी निर्णय किया गया था। इसका बजेट 2016-2017 के साल में 3 करोड़ का रखा गया था। लेकिन तब से लेकर 2019 तक इस मिशन को विस्तारित किया जा रहा है। अब july 2019 को इस मिशन को Lagrangian point L1 पर रखने का तय किया हुआ है। इसीलिए अब इसका नाम aditya से बदल कर aditya L1 रख दिया है। उसके साथ इसके बजेट को भी बढ़ाकर 378 करोड़ कर दिया गया है। इस नए आदित्या L1 मिशन में 1 के बदले 7 नए उपकरण को लगाया जा रहा है, जिससे सूर्य के कोरोना और उसके वातारवरण के स्तर जैसे की photosphere, chromosphere की भी साथ में जानकारी प्राप्त कर सकेंगे।
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Aditya L1 mission |
आदित्या मिशन में L1 पॉइंट क्या है – what is L1 point in hindi
आपने देखा की आदित्या का नाम बदलकर आदित्या L1 रख दिया गया है। लेकिन यह L1 है क्या। इसीलिए पहले तो आपको वो समझना होगा की langragian point क्या होता है। यह वो बिंदु होता है जहाँ पर दो चीजो के गुरुत्वाकर्षण बल समान रूप से लगते है और एकदूसरे के गुरुत्वाकर्षण बल की असर को खत्म कर देते है। कुल मिलाकर हमारे पास 5 langragian point है। जिसके नाम L1, L2, L3, L4 और L5 है। आप इन पांचों बिंदु को इस नीचे दिए गए फोटो में देख सकते है।
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Lagrangian point |
अब आप सोच रहे होंगे की L1 ही क्यों। ऐसा इसीलिए क्योंकि इन पांच बिंदुओं में से सूर्य के सबसे नजदीक बिंदु L1 ही है। और जितना ज्यादा आदित्या सेटेलाइट सूर्य के करीब होगा उतना ही सटीकता से सूर्य का अभ्यास कर पाएगा। आप ऊपर दिए गए फोटो में देख सकते है कि पांच बिंदुओ में से L1 सूर्य के सबसे नजदीक है।
आदित्या L1 के उपकरण – payloads of aditya L1 in hindi
अब हम बात करेंगे की आदित्या L1 में कोन कोन से उपकरण लगे है, जो सूर्य का अभ्यास करने में सक्षम होंगे। लेकिन इससे पहले अगर आपको इनमें दिए गए कुछ शब्दों का अर्थ पता नही है तो हमने खास आपके लिए इस लेख के अंत में उन सारे शब्दों के बारे में मूल जानकारी दी है। जिससे आपको समझने में आसानी हो।
आदित्या L1 में कुल मिलाकर 7 उपकरणों को लगाया गया है। इन सारे उपकरणों को भारत की ही अलग अलग संस्थाएं बनाने वाली है। जिनके नाम हर उपकरण के अंत में दिए है।
Visible Emission Line Coronagraph
इस उपकरण के उपयोग नीचे दिए गए है।
सोलर कोरोना के लक्षण और मापदंडों को समझने के लिए।
कोरोनल मास इंजेक्शन कैसे उतपन्न होते है और उनकी गतिविधियो का अभ्यास करने के लिए।
सोलर कोरोना के चुम्बकीय क्षेत्र की रचना किस तरह बनी है वो जानने के लिए।
Organization : Indian Institute of Astrophysics (IIA)
Solar Ultraviolet Imaging Telescope
सूर्य के फोटोस्फियर और क्रोमोस्फियर की फोटो लेने के लिए इस टेलेस्कोप का उपयोग किया जाएगा।
इसके साथ ही सूर्य में से निकल रहे अलग अलग विकिरणों के बीच के अंतर को नाप ने के लिए भी उसका इस्तमाल किया जा रहा है।
सूर्य के वायुमंडल की ऊर्जा किस तरह से फोटोस्फियर से क्रोमोस्फियर और बाद में कोरोना में ट्रांसफर होती है और इनके बीच होने वाली प्रक्रिया को जानने के लिए इस उपकरण को लगाया जा रहा है।
Organization : Inter-University Centre for Astronomy & Astrophysics
Aditya Solar wind Particle Experiment
सोलर पवन के लक्षण और इसके साथ इसका वितरण और वर्णक्रमीय विशेषताओं का अभ्यास करने के लिए।
सोलर चक्र के समय सोलर वाइंड आयन, सुपर थर्मल आयन और सोलर एनर्जीटिक पार्टिकल की वर्णक्रमीय के बीच के अंतर को जानने के लिए।
सोलर पवन में रहे प्रोटोन , आल्फा कण और भारी कण की विशेषताओ का अभ्यास करने के लिए।
Organization : Physical Research Laboratory
Plasma Analyser Package for Aditya
सोलर पवन की संरचना को समझने के लिए इस उपकरण को आदित्या L1 में लगाया जा रहा है।
इसके साथ ही सोलर पवन की ऊर्जा का वितरण कीस तरह से होता है वो समझने के लिए भी इसे विकसित किया जा रहा है।
Organization : Space Physics Laboratory
Solar Low Energy X-ray Spectrometer
सोलर कोरोना के हीटिंग तंत्र का अध्ययन करने के लिए इस उपकरण को लगाया गया है।
कोरोनल तापमान और DEM (डिफरेंशियल एमिशन माप) के स्वतंत्र माप के साथ-साथ कोरोनल प्लाज्मा की क्षमता नापने के लिए इसका इस्तेमाल होने वाला है।
Organization : ISRO Satellite Centre
High Energy L1 Orbiting X-ray Spectrometer
सोलर कोरोना में हो रही गतिशील घटनाओ का निरीक्षण करने के लिए।
साथ ही विस्फोटक की घटना के दौरान जो कण गति में आते है करते है उसमें इस्तमाल होने वाली ऊर्जा की जानकारी यह उपकरण द्रारा प्राप्त होगी।
Organization : ISRO Satellite Centre and Udaipur Solar Observatory
Magnetometer
यह एक सामान्य उपकरण है इसका उपयोग interplanetary magnetic field के लक्षण और magnitude को नाप ने के लिए होता है।
Organization : Laboratory for Electro-optic Systems and ISAC
यह सारे उपकरण आदित्या सेटेलाइट में कहाँ पर स्थित होंगे वो इस नीचे दिए गए फोटो में बताया है। यहाँ पर सारे उपकरण के नाम शॉर्ट कट में लिखे है।
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Aditya – L1 payloads |
आदित्या मिशन के चैलेंजेस – Challanges of aditya L1
Aditya -L1 के सामने कई पड़कार है, उनमे से तीन बातों को नीचे बताया हुआ है।
यह मिशन के कुछ उपकरण पहली बार हमारे देश में बनने वाले हैं जो देश के लिए गर्व की बात तो है लेकिन पहली बार बनाने की वजह से उसमे कई समस्याओं का सामना करना पड़ेगा।
आदित्या सेटेलाइट सूर्य के काफी करीब होगी, जिसकी वजह से सूर्य का तापमान बहोत ज्यादा होगा। इसके साथ ही सूर्य से आने वाले पार्टिकल और कॉस्मिक रे की मात्रा भी ज्यादा होगी। इन सबसे बचने के लिए सेटेलाइट को एक शील्ड की भी जरूरत होगी।
चुम्बकीय क्षेत्र में उपकरणों और अंतरिक्ष यान के परीक्षण के लिए एक टेस्ट सेंटर का निर्माण करना होगा।
प्राप्त होने वाली जानकारी
आदित्या L1 मिशन सूर्य से जुडी कई जानकारी देने में सक्षम होगा। उनमे लगे उपकरण इन सारे विषयो की जानकारी प्राप्त करेंगे।
Coronal heating
Solar wind acceleration
Origin of UV-near solar radiation
क्रोमोस्फियर, फोटोस्फियर और सौर कोरोना का निरीक्षण
सूर्य के वायुमंडल का ऊपर का तापमान 1,00,000 K है जब की निचले स्तर का तापमान सिर्फ 6,000 K जितना ही है। यह रहस्य सूर्य को लेकर सबसे बड़ा है। मतलब की ऐसा कैसे हो सकता है कि सूर्य के बाहर का तापमान ज्यादा है और अंदर का कम। इस रहस्य को सुलजाएगा यह मिशन।
आदित्या L1 मिशन के बारे मे – about aditya L1 mission
पहले मैंने बताया उसके मुताबिक इस मिशन का विचार 2008 में किया गया था और तब सिर्फ एक ही उपकरण को सूर्य के अभ्यास के लिए लगाया जाने वाला था, लेकिन जब समय के साथ पता चला की सूर्य के अभ्यास के लिए L1 पॉइंट सबसे श्रेष्ठ है। तब इसमें कई बदलाव किये गए और इसे पहले से ज्यादा विस्तरित करके कुल 7 उपकरण लगाये गए।
अब चलिए इस मिशन के बारे में थोड़ा और जानते है। इस मिशन को January 2022 में लॉन्च किया जाएगा और लॉन्च करने के लिए Satish Dhawan Space Centre स्थान को चुना गया है। इसके रॉकेट का नाम PSLV – XV है वैसे इस मिशन का समय काल 5 साल जितना प्लान किया गया है। इस मिशन के सेटेलाइट का कुल वजन 1500 kg के आसपास है जब की उनमे लगे 7 वैज्ञानिक उपकरण का वजन 244 kg जितना है। इसके साथ ही इसे पृथ्वी से 15 लाख किलोमीटर दूर रहे point L1 पर स्थापित किया जाएगा। जिससे बहेतर तरीके से हम हमारे सूर्य को जान पाए।
इसरो भविष्य में आदित्या L1 के अलावा और भी ऐसे कई मिशन करने वाला है, जो हमारे देश के लिए गर्व की बात होगी। अगर आप विज्ञान और ब्रह्मांड के कई रहस्यों को जानना चाहते हो तो हमारी इस वेबसाइट को और अच्छे से देखिए। आपको ऐसा बहुत कुछ जानने को मिलेगा जो आपने छायद कभी नही सुना होगा।
ब्रह्मांड की 10 अदभुत बाते जिसे सुनकर आप चौंक जाएंगे।
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