String theory से पहले
आज बात करते है string theory की। तो देखो सीधी बात है विज्ञानं को प्रकृति को समझने के लिए नए नए सिद्धांतो की जरूरत होती है। इसीलिए वो खोजे करते रहते है। लेकिन इसमें एक रसप्रद बात यह होती है कि ज्यादातर खोजे एक्सिडेंटली हो जाती है, मतलब की वो खोज किसी और चीज पर होते है और उन्हें मिलता भी कुछ और है।
यह नई खोज बहुत से पुराने रहस्यों को हल करती है, लेकिन खुद दूसरे नए सवाल खड़े करती है। उसी तरह की है यह एक स्ट्रिंग थियरी।
Classic physics
न्यूटन ने गति के तीन नियम और गुरुत्वाकर्षण का सिद्धांत दिया। इसने कई खोजे की और इससे ब्रह्मांड को समझने में मदद मिली। जैसे की यूरेनस ग्रह की खोज हुई और बाकि ग्रहों के गति पाथ को जान पाए। लेकिन बाद में आइन्स्टाइन ने कहा कि न्यूटन के नियम कुछ हद तक सही है, लेकिन ज्यादा गुरुत्वाकर्षण बल पर यह नियम सही नही है ओर प्रकाश की गति पर ये नियम काम नही करते। ध्यान रहे आइन्स्टाइन ने न्यूटन के सिद्धांतों को गलत नही बताया था, बस उसके नियम की सीमाएं दिखाई थी। इस समस्या को हल करने ने के लिए आइन्स्टाइन ने रिलेटिविटी का सिद्धांत दिया। इस सिद्धांत के जरिए हम ब्रह्मांड की बड़ी बड़ी चीजो को समझ पाए।
अब वैज्ञानिको लगा की अब हम ने भौतिक विज्ञान को पूरी तरह से जान लिया है और अब भौतिकी क्षेत्र में जानने को ज्यादा कुछ नही बचा है। लेकिन तभी जन्म हुआ quantum physics का। इसने वैज्ञानिको को बता दिया की अभी तो इसकी शुरुआत ही हुईं है और बहुत कुछ जानना अभी बाकी है।
Quantum physics
साल 1897 में वैज्ञानिक जॉन डाल्टन ने परमाणु थियरी (Atom theory) दी। इसके मुताबिक हर तत्व एक अलग तरह के परमाणु से बना होता है। बाद में वैज्ञानिक जे जे थॉमसन ने इलेक्ट्रान के अस्तित्व का सबूत दिया। इस के बाद मैक्स प्लेंक ने इसे आगे बढ़ाकर क़वोंन्टम् भौतिक विज्ञान का निर्माण किया। बाद में साल 1911 में रुथरफोर्ड ने एक मॉडल दिखाया, जिसके मुताबिक परमाणु के केंद्र में प्रोटोन होते है और इलेक्ट्रान उसके आसपास परिभ्रमण करते है। बाद में पॉल डिराक ने इलेक्ट्रान को समझने वाला समीकरण बनाया। फिर वैज्ञानिको को लगा की ऐसा ही एक प्रोटोन के लिए समीकरण मिल जाए और क़वोंन्टम् फिजिक्स का खेल खत्म।
लेकिन साल 1932 में जेम्स चैडविक ने न्यूट्रॉन को खोज निकाला। बाद में लगभग 30 सालो तक यही माना गया कि यह पार्टिकल (प्रोटोन, इलेक्ट्रान, न्यूट्रॉन) ब्रह्मांड के सबसे छोटे भाग है। लेकिन तभी सबके सामने आये क्वार्क्स। पहले कुछ ही क्वार्क्स को खोजा गया, लेकिन बाद में ज्यादा मात्रा में अलग अलग प्रकार के बहुत छोटे स्तर पर पार्टिकल को ढूंढा गया। इन सारे सूक्ष्म पार्टिकल और मुलभुत बलों के लिए विकसित हुआ standard model.
अब इतने सूक्ष्म स्तर पर भौतिक विज्ञान के सामान्य नियम लागू नही होते थे और उसका प्रमाण हमे यह प्रयोग देते थे।
1.प्रकाश के दो स्वभाव – कण और तरंग
2.हाइजेनबर्ग का अनिश्चितता के सिद्धांत।
3.श्रोडिंजेर की बिल्ली
4.क़वोंन्टम् इंटेंगलेमेंट
5.भौतिक गुणों का क्वॉन्टिजेशन
अब भौतिक विज्ञान के दो भाग बन गए थे।क्लासिक फिजिक्स और क़वोंन्टम फिजिक्स। इन दोनों के लिए अलग अलग थियरी थी। क्लासिक फिजिक्स के लिए आइंनस्टाइन की जनरल रिलेटिविटी का सिद्धांत और क़वोंन्टम फिजिक्स के लिए क़वोंन्टम् फिल्ड थियरी।
String theory का उदभव
अब समस्या यह थी की एक ही प्रकृति को समझने के लिए दो अलग अलग थियरी थी। मतलब की ऐसा कैसे हो सकता है। इसीलिए इस समस्या को सुलजाने के लिए जन्म हुआ स्ट्रिंग थियरी का। पहली दो थियरी किसी चीज को उसके कण के स्वरूप में देखती थी। मतलब की अणु, परमाणु, इलेक्ट्रान, प्रोटोन, क्वार्क्स वगेरे। लेकिन स्ट्रिंग थियरी अणु के सबसे छोटे भाग को एक स्ट्रिंग यानि की एक तंतु की तरह समजता है। इसके मुताबिक परमाणु के अंदर एक ऊर्जा का तंतु होता है बिलकुल एक पतले तिनके जैसा।
String theory |
सारी थियरी कण पर आधारित थी। मतलब की उसके लिए सबसे छोटा भाग एक पार्टिकल ही था। अगर किसी कण को लिया जाए तो उसका आयाम (dimension) शून्य होता है, मतलब की वो गति के अलावा कुछ नही कर सकते। क्योंकि उसका आयाम जीरो है और जीरो आयाम में सिर्फ एक बिंदु ही होता है। लेकिन अगर बात करे string theory की, तो उसमें सबसे छोटे पार्टिकल को एक स्ट्रिंग की तरह लिया जाता है। जो एक आयाम में होता है। मतलब की यह स्ट्रिंग गति के अलावा भी और बहुत कुछ कर सकता है, जैसे की दोलन। थियरी के मुताबिक स्ट्रिंग (तंतु, लाइन) एक विशिष्ट तरह की दोलन गति करता है। अगर यह एक तरह से दोलन करे तो समझ पाएंगे कि यह इलेक्ट्रान है, दूसरी तरह से दोलन करे तो समझ पाएंगे कि यह प्रोटोन है। मतलब की एक ही तंतु अलग अलग तरह से दोलन करके सारे कणो को दर्शाता है।
आगले भाग में जानेंगे 26 आयाम और सुपर स्ट्रिंग थियरी।
आप पहले string theory के पहले भाग को पढ़े जिस से यह भाग आपको समझ में आए।
String theory part 1 ⏩ Click here
String theory पर पहले लोगॉ ने ज्यादा ध्यान नही दिया क्योंकि इसमें उनको कुछ फनी जैसा लगता था। और वो थे इस थियरी के 26 आयाम और टेकयोन्स। अब आपको पता ना हो तो बता दू की हम जिस दुनिया में रहते है वो तीन आयामो वाली है। और स्ट्रिंग थियरी 26 आयाम पर आधारित थी। इसीलिए यह कुछ अजीब सा था। अब बात करे टेकयोन्स की तो वो एक तरह के ऐसे कण होते है जो प्रकाश की गती से भी ज्यादा तेज रफ्तार से चलते है। मतलब की उसकी गती प्रकाश से भी ज्यादा होती है। लेकिन ऐसा वास्तव में होना असंभव है। आइंस्टाइन की रिलेटिविटी थियरी के मुताबिक कोई भी चीज प्रकाश से ज्यादा गति से नही चल सकती। बस कुछ यही कारणों की वजह से स्ट्रिंग थियरी को नकारा गया था।
26 dimensions and tachyons |
String theory and gravity
लेकिन यह थियरी बहोत से प्रश्नों को हल करती थी। कुछ ऐसे सवाल जिसका जवाब मिलना लगभग नामुमकिन सा था। कैसे, चलो वो जानते है।
हमारी प्रकृती में कुल चार बल है। विद्युत चुम्बकीय बल, कमजोर केंद्रीय बल, मजबूत केंद्रीय बल, गुरुत्वाकर्षण बल.
[Electromagnetic force, weak nuclear force, Strong nuclear force, gravitational force.]
वैज्ञानिको के मुताबिक कोई ऐसा सिद्धांत जरूर होना चाहिए जो इन सारे बलों को एकसाथ लाता हो। लेकिन अब तक खोजी गयी थियरी सिर्फ तीन बलों को ही एक जुट कर पाती थी। गुरुत्वाकर्षण बल साथ जुड़ने में असमर्थ होता था। लेकिन स्ट्रिंग थियरी चारो बलों को एकसाथ जोड़ती है। मतलब की इससे प्रकृति के चारो बलों को एकसाथ समझने में मदद मिलती है और एक ही प्रकृति के चारो अलग अलग बल कैसे एकसाथ मिले हुए हैं यह समजा जा सकता है।
Super string theory
आगे बात हुए इसी तरह इस थियरी को कुछ हद तक हास्य में निकाल जाता था। और उसकी वजह 26 आयाम और टेकयोन्स पार्टिकल थे। लेकिन इस समस्या को जड से निकालने के लिए इस थियरी को अपग्रेड किया और बनी एक नई थियरी। सुपर स्ट्रिंग थियरी। इस थियरी में 10 आयाम थे और यह टेकयोन पार्टिकल से भी स्वत्रंत था।
इस थियरी में पांच अलग अलग सिद्धांत थे। यहा पर जो स्ट्रिंग यानि की तंतु को देखा जाता है उसे ध्यान में रखकर ही इन पांच सिद्धांतों को लिया गया है। हम जानते है कि स्ट्रिंग दो तरह की होती है। एक खुली और दूसरी बंद। भौतिक विज्ञान के नियमो के मुताबिक कोई एक खुली स्ट्रिंग दूसरी खुली स्ट्रिंग के साथ उसके अंत बिंदु (end point) से मिलकर एक नई बड़ी स्ट्रिंग बनाएगी। इसी तरह दो खुली स्ट्रिंग के दोनों अंतबिन्दु (end point) एकदूसरे से जुड़कर एक नई बंद स्ट्रिंग बनाते है। लेकिन इसकी उल्टी प्रक्रिया संभव नही है। दो बंद स्ट्रिंग मिलकर एक बड़ी खुली स्ट्रिंग का निर्माण नही कर सकती। मतलब की खुली स्ट्रिंग के सिद्धांत में बंद स्ट्रिंग का सिद्धांत अंतनिर्मित है।
सुपरस्ट्रींग सिद्धांत के पांच प्रकार
1. स्ट्रिंग खुली हुई होती है।
2. बंद स्ट्रिंग का पहला प्रकार
3. बंद स्ट्रिंग का दूसरा प्रकार
4. साधारण स्ट्रिंग और सुपर स्ट्रिंग से मिलकर बना हुआ पहला सिद्धांत HO(SO(32))
5. साधारण स्ट्रिंग और सुपर स्ट्रिंग से मिलकर बना हुआ दूसरा सिद्धांत HE(E8 x E8)
इसमें भी एक समस्या थी। एक ही चीज को समझने के लिए अलग अलग पांच सिद्धांत कैसे? ऐसा कैसे हो सकता है कि सारे सिद्धांत एक दूसरे से विरुद्ध हो लेकिन सही साबित होते है। इसका यह जवाब मिला की पांचों सिद्धांत अपने अपने क्षेत्र में एक हद तक सही थे। string थियरी को अभीतक प्रायोगिक तरह से नही देखा गया है। क्योंकि एक बहोत ही सूक्ष्म स्तर पर अभ्यास करने के लिए भारी ऊर्जा की जरूरत होती है। इस पर रिसर्च चालू है और भविष्य में पता चल पाएगा की इसका सच।
अदभुत तथ्य
स्ट्रिंग थियरी खास करके ब्लेक होल से जुडी हुई है। ब्लेक होल एक ऐसी जगह है जहां पर भौतिक विज्ञान के सामान्य नियम और क़वोंन्टम् की दुनिया के नियम दोनों साथ में मिलते है। कुछ हद तक ब्लेक होल ही जिम्मेदार है स्ट्रिंग थियरी के विचार के लिए। बस तो यही थी स्ट्रिंग थियरी।
तब तक के लिए अलविदा।
Thanks बहुत ही साधारण शब्दों में आपने समझाया।