ध्यान यानी की मैडिटेशन। ध्यान से इंसान अपनी जिंदगी बदल सकता है। उससे हम अपने अवचेतन मन को एक्टिव कर सकते है।
ध्यान के सबसे बड़े प्रश्न
ध्यान शब्द आते ही हमारे मन में सबसे पहले यही प्रश्न आता है कि ध्यान आखिर कैसे करे, कहाँ पर करे, कब करे और आखिर में सबसे बड़ा सवाल ये की क्या ध्यान से सच में कोई फायदा होता है। तो चलो जानते है ध्यान के बारे में।
ध्यान शब्द आते ही हमारे मन में सबसे पहले यही प्रश्न आता है कि ध्यान आखिर कैसे करे, कहाँ पर करे, कब करे और आखिर में सबसे बड़ा सवाल ये की क्या ध्यान से सच में कोई फायदा होता है। तो चलो जानते है ध्यान के बारे में।
मैडिटेशन करने के स्थान
अगर हम ध्यान करना चाहे तो सबसे पहले हमारे मन में यही सवाल आता है कि ध्यान कहाँ पर करे। उसका जवाब सिम्पल है, आप कही पर भी मैडिटेशन कर सकते हो आप घर पर या कोई गार्डन में कर सकते हो, बस कोई शांत जगह हो। अगर आप कोई ऐसी जगह को चुनते हो जहां पर लोगो का आनाजाना ज्यादा है तो आपको ध्यान करने में मुश्केली होगी। इसीलिए कोई शांत जगह ही चुने।
अगर हम ध्यान करना चाहे तो सबसे पहले हमारे मन में यही सवाल आता है कि ध्यान कहाँ पर करे। उसका जवाब सिम्पल है, आप कही पर भी मैडिटेशन कर सकते हो आप घर पर या कोई गार्डन में कर सकते हो, बस कोई शांत जगह हो। अगर आप कोई ऐसी जगह को चुनते हो जहां पर लोगो का आनाजाना ज्यादा है तो आपको ध्यान करने में मुश्केली होगी। इसीलिए कोई शांत जगह ही चुने।
अब बात करते है कि ध्यान कैसे करे। देखिए ध्यान करने के लिए बहुत सी पद्धतिया होती है। आज हम जानेंगे ध्यान करने की सबसे सरल और श्रेष्ठ रीत।
आखिर किस तरह करे मैडिटेशन
मैडिटेशन हम किसी भी तरह कर सकते है। घर पर सोते सोते या फिर किसी कुर्सी पर। लेकिन अगर हम इस तरह करेंगे तो हमें नींद आने लगेगी। इसीलिए सबसे अच्छा यह है कि आप कोई आसन में बैठे। ध्यान के लिए पद्मासन सबसे बेस्ट है। हाथों को ध्यान मुद्रा या ज्ञान मुद्रा में रख सकते है। अपनी पीठ की करोडरज्जु के अलावा शरीर के सारे अंगो को ढीला छोड़ दो।
मैडिटेशन हम किसी भी तरह कर सकते है। घर पर सोते सोते या फिर किसी कुर्सी पर। लेकिन अगर हम इस तरह करेंगे तो हमें नींद आने लगेगी। इसीलिए सबसे अच्छा यह है कि आप कोई आसन में बैठे। ध्यान के लिए पद्मासन सबसे बेस्ट है। हाथों को ध्यान मुद्रा या ज्ञान मुद्रा में रख सकते है। अपनी पीठ की करोडरज्जु के अलावा शरीर के सारे अंगो को ढीला छोड़ दो।
अब आँखे बंद करके अपने मन को विचार शून्य करने का प्रयास किजिए। जब आप ऐसा करेंगे तो आपके मन में और ज्यादा विचार आना शुरू हो जाएंगे। तब आप अपने ध्यान को अपने श्वाश पर केंद्रित करो। श्वाश कैसे आपके शरीर के अंदर बहार हो रहा है उसका अनुभव करे। जैसे जैसे आप अपने श्वाश पर ध्यान लगाएंगे उससे आपके मन में और भी फालतू के विचार आना शरू हो जाएंगे, लेकिन आप अपने श्वाश पर ही अपना ध्यान केंद्रित रखना। अगर आपके मन में कोई विचार आए और आप उसमे घूम जाए तो वापस शांति से बिना कोई जोर जबरदस्ती करे अपने मन को वापस श्वाश पर लाकर केंद्रित कर देना।
और एक बात याद रखे, जो श्वाश अंदर बहार होता हो वो बिलकुल कुदरती हो, आप किसी भी तरह अपनी तरफ से कोई जबर्दस्ती ना करे।
मन के फालतू विचार
जब आप मैडिटेशन करना शुरू करेंगे तो आपका मन आपसे कहेगा कि ” क्या ये फालतू की चीज कर रहा है, इसमें क्यों अपना टाइम बिगाड़ रहा है, इसके बजाय कुछ देर मोबाईल ही इस्तमाल कर लूं।” या फिर मन में ऐसे विचार आएँगे की “इसकी बजाय कुछ और काम ही कर लिया जाए” इस तरह के सारे विचार आपको सिर्फ ध्यान से भटकाने के लिए है। जब भी इस तरह के विचार आपके मन में आए तब अपने मन को फिरसे श्वास पर लगाए।
जब आप मैडिटेशन करना शुरू करेंगे तो आपका मन आपसे कहेगा कि ” क्या ये फालतू की चीज कर रहा है, इसमें क्यों अपना टाइम बिगाड़ रहा है, इसके बजाय कुछ देर मोबाईल ही इस्तमाल कर लूं।” या फिर मन में ऐसे विचार आएँगे की “इसकी बजाय कुछ और काम ही कर लिया जाए” इस तरह के सारे विचार आपको सिर्फ ध्यान से भटकाने के लिए है। जब भी इस तरह के विचार आपके मन में आए तब अपने मन को फिरसे श्वास पर लगाए।
आपको अपने मन में आ रहे विचारो को रोकना नही है, अगर आप ऐसा करने जाएंगे तो और भी विचारो के उलझन में फंस जाएंगे। आपको तो बस मन में जो विचार आते है उन पर से अपना ध्यान हटाकर श्वास पर करना है।
अगर आपके मन में ये बात आए की ध्यान करने के लिए समय नही है तो में बता दू की बस आपको पुरे दिन में सिर्फ 10 मिनिट ही तो ध्यान को देने है। जब आप मैडिटेशन करने बैठोगे तब भी आपके मन में ये खयाल आएगा की इसमें समय बर्बाद हो रहा है, जो की सामान्य है, लेकिन आपको ए समझना होगा की आप अपने पूरे दिन में कई मिनिट या घंटे वेस्ट करते हो, लेकिन ध्यान के लिए आपको सिर्फ 5-10 मिनिट की जरूरत होती है।
समय
कुछ लोगो के ये भी प्रश्न होते है कि ध्यान कब करना चाहिए। देखिए इसका कोई फिक्स जवाब नही है। आप मैडिटेशन कभी भी कर सकते हो। लेकिन अगर में आपको बताऊ तो सुबह जल्दी और रात को सूर्यास्त के समय करने से ज्यादा अच्छा रहता है क्योंकि इस समय पर प्रकृति शांत होने की वजह से ध्यान में मदद मिलती है।
कुछ लोगो के ये भी प्रश्न होते है कि ध्यान कब करना चाहिए। देखिए इसका कोई फिक्स जवाब नही है। आप मैडिटेशन कभी भी कर सकते हो। लेकिन अगर में आपको बताऊ तो सुबह जल्दी और रात को सूर्यास्त के समय करने से ज्यादा अच्छा रहता है क्योंकि इस समय पर प्रकृति शांत होने की वजह से ध्यान में मदद मिलती है।
फायदे
देखिए हम जो भी करते है अपने फायदे के लिए ही करते है, मतलब की जब भी आप मैडिटेशन करना शुरू करेंगे तब आपके अंदर यह सवाल जरूर आएगा की क्या मैडिटेशन के कोई फायदे है। इसका जवाब है हां। ध्यान करने से बहुत से लाभ होते है। ध्यान से मन शांत होता है, एकाग्रता बढ़ती है और आत्म विश्वास भी बढ़ता है।
देखिए हम जो भी करते है अपने फायदे के लिए ही करते है, मतलब की जब भी आप मैडिटेशन करना शुरू करेंगे तब आपके अंदर यह सवाल जरूर आएगा की क्या मैडिटेशन के कोई फायदे है। इसका जवाब है हां। ध्यान करने से बहुत से लाभ होते है। ध्यान से मन शांत होता है, एकाग्रता बढ़ती है और आत्म विश्वास भी बढ़ता है।
मैडिटेशन के कुछ ही दिन बाद आपको इसके परिणाम देखने को मिलेंगे। अगर आप एक खुश इंसान है तो ए असर 2 से 3 हप्ते में दिखने लगेंगे। परंतु अगर आप ज्यादा चिंता और टेंशन में हो तो 3 से 4 हप्ते लग सकते है। मैडिटेशन से आपको अपने अंदर एक पॉजिटिव एनर्जी का अनुभव होने लगेगा।
ये तो था कि ध्यान कीस तरह करे। अगर में इसके फायदे कहु तो वो तो बहुत ही ज्यादा है, उसे हम जानेंगे आगे।
तब तक के लिए अलविदा।
ध्यान के अनगिनत फायदे ⏩ ध्यान के लाभ
Nice work