ये विषय एक साइंस फिक्शन मूवी जैसा है। आज हम जानेंगे एक ऐसी चीज के बारे में जिसने कई वैज्ञानिको को बहुत बड़ा झटका दिया है। जो है डार्क एनर्जी। डार्क एनर्जी को हिंदी में श्याम ऊर्जा कहते है, लेकिन सरलता के लिए ज्यादातर डार्क एनर्जी शब्द का ही उपयोग किया जाता है। तो चलिए जानते है डार्क एनर्जी के बारे में।
Big bang
डार्क एनर्जी से पहले हमें कुछ और चीजे जानने की जरूरत है। जैसे की महा विस्फोटक (big bang).
बिग बैंग थियरी के मुताबिक ब्रह्मांड की उत्पत्ति एक बिंदु से हुई थी, अरबो साल पहले एक बिंदु पर एक बहुत बड़ा विस्फोटक हुआ और ब्रह्मांड की रचना हुई। उस समय से लेकर आज तक हमारा ब्रह्मांड लगातार फ़ैल रहा है।
डार्क एनर्जी से पहले हमें कुछ और चीजे जानने की जरूरत है। जैसे की महा विस्फोटक (big bang).
बिग बैंग थियरी के मुताबिक ब्रह्मांड की उत्पत्ति एक बिंदु से हुई थी, अरबो साल पहले एक बिंदु पर एक बहुत बड़ा विस्फोटक हुआ और ब्रह्मांड की रचना हुई। उस समय से लेकर आज तक हमारा ब्रह्मांड लगातार फ़ैल रहा है।
ब्रह्मांड की गती
साल 1929 में एक गेलेक्सि में रहे सुपरनोवा पर हुई रिसर्च से ए तो पता चल गया था कि हमारा ब्रह्मांड फ़ैल रहा है। गुरुत्वाकर्षण बल के नियम के अनुसार ब्रह्मांड में मौजूद हर चीज अणु, परमाणु, ग्रह और गेलेक्सि गुरुत्वाकर्षण बल उतपन्न करते है। जिससे सारी चीजें एक दूसरे को अपनी तरफ खींचते है। इससे ये बात तो तय थी की गुरुत्वाकर्षण बल की वजह से ब्रह्मांड के फैलने की गति समय के साथ धीमी हो जाएगी, जो की स्वाभाविक था। क्योंकि ब्रह्मांड बहार की तरफ विस्तरित हो रहा था और गुरुत्वाकर्षण बल अंदर की तरफ उत्प्पन हो रहा था।
साल 1929 में एक गेलेक्सि में रहे सुपरनोवा पर हुई रिसर्च से ए तो पता चल गया था कि हमारा ब्रह्मांड फ़ैल रहा है। गुरुत्वाकर्षण बल के नियम के अनुसार ब्रह्मांड में मौजूद हर चीज अणु, परमाणु, ग्रह और गेलेक्सि गुरुत्वाकर्षण बल उतपन्न करते है। जिससे सारी चीजें एक दूसरे को अपनी तरफ खींचते है। इससे ये बात तो तय थी की गुरुत्वाकर्षण बल की वजह से ब्रह्मांड के फैलने की गति समय के साथ धीमी हो जाएगी, जो की स्वाभाविक था। क्योंकि ब्रह्मांड बहार की तरफ विस्तरित हो रहा था और गुरुत्वाकर्षण बल अंदर की तरफ उत्प्पन हो रहा था।
डार्क एनर्जी की खोज
साल 1990 तक यही माना जाता था। लेकिन ये बात 1998 तक ही सिमित रही, जब तक की वैज्ञानिको की दो टीम ने अलग अलग गेलेक्सि के सुपरनोवा पर परिक्षण किया। 1998 में space hubble telescope ने एक नष्ट होते हुए तारे यानी की एक सुपरनोवा की तस्वीर खींची। इससे वैज्ञानिको को पता चला की आज ब्रह्मांड के फैलने की गति भुतकाल से ज्यादा थी। इसका मतलब हमारे ब्रह्मांड की गति लगातार बढ़ रही थी। पर ऐसा कैसे हो सकता है? उसे तो गुरुत्व बल की वजह से धीमा हो जाना चाहिए था।
साल 1990 तक यही माना जाता था। लेकिन ये बात 1998 तक ही सिमित रही, जब तक की वैज्ञानिको की दो टीम ने अलग अलग गेलेक्सि के सुपरनोवा पर परिक्षण किया। 1998 में space hubble telescope ने एक नष्ट होते हुए तारे यानी की एक सुपरनोवा की तस्वीर खींची। इससे वैज्ञानिको को पता चला की आज ब्रह्मांड के फैलने की गति भुतकाल से ज्यादा थी। इसका मतलब हमारे ब्रह्मांड की गति लगातार बढ़ रही थी। पर ऐसा कैसे हो सकता है? उसे तो गुरुत्व बल की वजह से धीमा हो जाना चाहिए था।
![]() |
1998 supernova |
सुपरनोवा का ये परीक्षण एक ही समय पर दो अलग अलग टीम ने किया था, मतलब गलती की कोई संभावना भी नहीं थी। फिर भी पहले तो वैज्ञानिको को इस प्रयोग पर शक हुआ, लेकिन बाद में सारी चीजो को सावधानी के साथ जांचने से पता चला की कोई रहस्मय बल तो जरूर है जो हमारे ब्रह्मांड को फैला रहा है। उस समय ब्रह्मांड का ए रहस्य किसी भी वैज्ञानिक को समज नही आया, इसीलिए उस चीज के समाधान के लिए उसे डार्क एनर्जी का नाम दे दिया गया।
हमारा रहस्यमय ब्रह्मांड
डार्क एनर्जी एक ऐसी चीज है जिसे ना देख सकते है और ना ही उसे जाँच सकते है, बस उसके प्रभाव को ही हम देख सकते है। बिलकुल डार्क मैटर की तरह। पहले ही डार्क मैटर ने वैज्ञानिको को मुश्केली में डाल रखा था और अब डार्क एनर्जी ने एक और झटका दिया है। डार्क एनर्जी की मात्रा हमारे ब्रह्मांड में 68% और डार्क मैटर की मात्रा 27% है। जिससे वैज्ञानिको को एक नए ब्रह्मांड को देखना पड़ा है।
डार्क एनर्जी एक ऐसी चीज है जिसे ना देख सकते है और ना ही उसे जाँच सकते है, बस उसके प्रभाव को ही हम देख सकते है। बिलकुल डार्क मैटर की तरह। पहले ही डार्क मैटर ने वैज्ञानिको को मुश्केली में डाल रखा था और अब डार्क एनर्जी ने एक और झटका दिया है। डार्क एनर्जी की मात्रा हमारे ब्रह्मांड में 68% और डार्क मैटर की मात्रा 27% है। जिससे वैज्ञानिको को एक नए ब्रह्मांड को देखना पड़ा है।
अंतरिक्ष और उसकी ऊर्जा
अल्बर्ट आइंस्टीन पहले ऐसे इंसान थे जिन्होंने कहा था कि अंतरिक्ष खाली तो बिलकुल नही है। खाली जगह की अपनी एक ऊर्जा होती है या फिर ऐसा कहा जा सकता है कि एनर्जी खाली स्थान का एक गुणधर्म है।
अल्बर्ट आइंस्टीन पहले ऐसे इंसान थे जिन्होंने कहा था कि अंतरिक्ष खाली तो बिलकुल नही है। खाली जगह की अपनी एक ऊर्जा होती है या फिर ऐसा कहा जा सकता है कि एनर्जी खाली स्थान का एक गुणधर्म है।
अल्बर्ट आइंस्टीन के मुताबिक अंतरिक्ष खाली जगहों का निर्माण कर सकता है। लेकिन उस समय वो समजा नही पाए की उनकी theory of gravity में cosmoligical constant की जरूरत क्या थी, जिससे इस theory को नकार दिया गया।
डार्क एनर्जी की संभावनाएं
1.अल्बर्ट आइंस्टीन की theory of gravity में एक गुरुत्वाकर्षण बल के विरुद्ध प्रभाव को दर्शाने के लिए एक cosmoligical constant (ब्रह्मांडीय स्थिरांक) दिखाया गया है। तब आइंस्टीन और बाकी वैज्ञानिक मानते थे की इसे सिर्फ गणितीय सरलता के लिए ही लिया गया है। लेकिन बाद में वो एक सच्चाई बना और सारे वैज्ञानिको के लिए बडा रहस्य बन गया। इसी स्थिरांक को आज हम डार्क एनर्जी कहते है।
2.दूसरी थियरी यह है की यह खाली स्थान असल में अस्थाई और आभासी कणो से बने हो, ऐसे कण जो लगादार अपने आप ही बनते हो और नष्ट या अदृश्य हो जाते हो। हो सकता है उन खाली जगह पर इन्ही आभासी कणो से एनर्जी मिलती होगी। physicist (भौतिकशास्त्रीओ) ने खाली स्थान की एनर्जी की गणना (calculation) की। लेकिन वो गलत साबित हुआ। वो कैलकुलेशन डार्क एनर्जी की तुलना में 10^120 (1 के पीछे 120 शून्य) ज्यादा था। मतलब डार्क एनर्जी एक रहस्य ही बना रहा।
तीसरी और चौथी थियरी और बाकी सभी जानकारी आपको मिलेगी अगले भाग में।
Click here⏩ Dark energy part 2