ये दो हिस्से किसी भौतिकी तरह से नही बल्कि मनोवैज्ञानिक की तरह से किए गए हैं।
1. चेतन मन
2. अवचेतन मन
इसके अलावा तीसरा भी प्रकार है, अचेतन मन यानी बेहोश मन। पर अभी हम इसके बारे में बात नहीं करेंगे।
तो चलिए जानते है अवचेतन मन के बारे में।
हमारे मन की शक्ति की कोई सीमा नही है। अगर हम इसे जान ले तो उसका उपयोग कर सकते हैं।
हमारे मन की जो शक्ति है उसमें से 10% जितनी शक्ति हमारे चेतन मन के पास है और 90% जितनी शक्ति हमारे अवचेतन मन के पास है। जैसे समुद्र में कोई छोटी सी बर्फ की शिट के नीचे विशाल बर्फ का जथ्था होता है उसी तरह कुछ हमारे मन के अंदर होता है।
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Subconscious mind power |
हम ऐसा कह सकते है कि हमारा अवचेतन मन कोई जीन और चेतन मन उसका मालिक। जिसमे जीन यानि की अवचेतन मन के पास असीमित शक्तिया है लेकिन वो खुद कुछ करने के लिए सक्षम नही है। जब तक चेतन मन से कोई आदेश ना मिले तब तक वह कुछ भी नही कर सकता है। यानि की यदि किसी कार्य के लिए अवचेतन मन का उपयोग करना हो तो पहले उस कार्य को हमारे चेतन मन तक पहुचाना जरूरी है।
जो कोई बात या कोई कार्य एक बार अवचेतन मन तक पहुंच जाए तो उस बात या कार्य को अवचेतन मन हकीकत मतलब की वास्तविक में ला देता है।
विचार और अवचेतन मन
यदि हमारा चेतन मन किसी बात पर सच हो या उस बात पर संपूर्ण विश्वास करता हो तो हमारा चेतन मन उस बात को हमारे अवचेतन मन में भेज देता है। परंतु जो कोई बात या कोई कार्य पर हमारा चेतन मन यकीन नही करता होगा तो या फिर थोड़ा भी शक होगा तो वो उस बात को हमारे अवचेतन मन को नही भेजेगा। एकबार कोई बात हमारे अवचेतन मन तक पहुँच जाए तो वो किसी भी संजोग में हकीकत बन जाती है। फिर क्यो ना वो हकीकत हमारे लिए अच्छी हो या बुरी। क्योंकि अच्छे बुरे की पहचान तो मात्र हमारे चेतन मन को होती है। अवचेतन मन तो सिर्फ हमारे चेतन मन के भेजे गए आदेश का पालन करता है। इसीलिए अवचेतन मन के लिए कुछ भी अच्छा या बुरा नही होता, वो बस हमारे चेतन मन के विचारो पर कार्य करता है। इसीलिए हर सफल इंसान यही कहता है कि हमेशा सकारात्मक सोचो (positve thinking)। इसीलिए हमेंशा अच्छा सोचो और खुश रहो।
मन के प्रश्न
इस बात से कुछ लोगो के ऐसे विचार होंगे की सिर्फ सोचने से ही सबकुछ मिल जाता हो तो भला कोई क्यों महेनत करेगा? अच्छा है। पर हकीकत कुछ और है,जब आप कोई बात को अवचेतन मन तक पहुंचाते है तो आप खुद ही उस काम को सच करने के लिए अपने जीवन में काम करने लगते हो। हां, शरूआत में जब आप चेतन मन से कोई बात अवचेतन मन को पहुचाने की कोशिश करते हो तब थोड़ी सी मुश्केली होती है, साथ साथ जब आप उस कार्य की शरूआत करते हो तो थोड़ा संघर्ष भी करना पड़ता है। इस तरह अगर आप कुछ पाना चाहते हैं तो उसे अपने अवचेतन मन तक पंहुचा दो, फिर वो कार्य आपके जीवन में अपने आप होने लगेगा।
एक बात याद रखो,आपको अपने मन और जो कार्य कर रहे हो उस पर पूरा विश्वास करना होगा। फिर देखना, आप जो सोचोगे वो मिलेगा बस आपको अपने फैसले को अमल करना पड़ेगा।
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Subconscious mind |
Conclusion
सार सिर्फ इतना है कि यदि आप अपने आप और कार्य पर पूरा यकीन करोगे तो वो कार्य अवचेतन मन तक पहुचेगा और अवचेतन मन से कार्य अपने आप होने लगेगा। यहां पर अवचेतन मन कार्य करेगा इसका मतलब आप खुद उस काम को पूरा करने के लिए महेनत करोगे। इस तरह आप धीरे धीरे अपने काम में आगे बढ़ते रहोगे। इस अवचेतन मन से काम होने में थोड़ा समय लगेगा लेकिन आपको आपका लक्ष्य मिलकर ही रहेगा। मैंने खुद इस अनुभव को महसूस किया है और मुझे भी इस पर पूरा यकीन है।
ये तो सिर्फ अवचेतन मन का एक ही काम था, जो सिर्फ अवचेतन मन की शक्ति का 1%जितना भाग था। किसी काम को सोच कर उसका अमल करके पूरा करना ये तो अवचेतन मन के लिए आम बात है। हमारा अवचेतन मन यानी अर्धजाग्रत मन तो शक्ति का समंदर है। इससे हम पता नहीं क्या क्या कर सकते है। वो सब देखेंगे आगे।
तब तक के लिए अलविदा।